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पीड़ितों को पहले उपलब्ध करायें प्राथमिक चिकित्सा – डीआईजी

पीड़ितों को पहले उपलब्ध करायें प्राथमिक चिकित्सा - डीआईजी

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में निहित प्रावधानों के तहत प्राथमिक चिकित्सा है प्राथमिकता लापरवाही बरतने वालों के विरूद्ध होगी दंडात्मक कार्रवाई सहरसा . पुलिस उप महानिरीक्षक कोसी क्षेत्र मनोज कुमार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में निहित प्रावधानों के प्रभावकारी कार्यान्वयन के संबंध में उल्लेख किया है. उन्होंने कहा कि सभी लोक या प्राइवेट अस्पताल चाहे वे केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाये जा रहे हैं, किसी भी अपराध के पीड़ितों को तुरंत प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा उपचार मुफ्त प्रदान करेंगे. भारतीय न्याय संहिता के विभिन्न धाराओं के अधीन या लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धारा के अधीन आने वाले किसी अपराध के पीड़ितों को तुरंत निशुल्क प्राथमिक या चिकित्सीय उपचार उपलब्ध करायेंगे. साथ ही ऐसी घटना की तुरंत सूचना पुलिस को करेंगे. उन्होंने कहा कि विधिक प्रावधान के अनुसार यह स्पष्ट है कि प्रत्येक प्रकार का अस्पताल, चाहे वह सार्वजनिक, निजी या सरकारी हो या किसी स्थानीय निकाय द्वारा संचालित किया जा रहा हो, वे बलात्कार, तेजाब हमला व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पॉक्सो एक्ट के पीड़ितों का मुफ्त इलाज करेंगे. कोई अस्पताल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता का उल्लंघन करता है एवं किसी भी प्रकार से ऐसे पीड़ित के इलाज में लापरवाही बरतता है तो उनके विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई के लिए अभियोजन प्रस्ताव समर्पित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में निहित प्रावधानों व उपबंधों का उल्लंघन करता है उन्हें एक वर्ष तक का कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जायेगा. इसके अतिरिक्त लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम में लैंगिक अपराध से पीड़ित के चिकित्सीय सहायता एवं देख-रेख के लिए यह प्रावधान है कि जब भी कोई एसजेपीयू या स्थानीय पुलिस अधिकारी द्वारा अधिनियम के अधीन यह सूचना प्राप्त की जाती है कि अधिनियम के अधीन अपराध किया गया है. उसका यह समाधान हो जाता है कि जिस बालक के खिलाफ अपराध किया गया है, उसे तत्काल चिकित्सीय देखरेख एवं सुरक्षा की आवश्यकता है तो जैसा भी मामला हो, वह अधिकारी या स्थानीय पुलिस ऐसी सूचना प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर ऐसे बालक को सबसे निकट के अस्पताल या चिकित्सीय सेवा सुविधा केंद्र में उसके चिकित्सीय देखभाल के लिए ले जाने का प्रबंध करेंगी. उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 3, 5, 7 या नौ के अधीन अपराध किया गया हो तो पीड़ित को आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए भेजा जायेगा. पुलिस उप महानिरीक्षक ने सभी सरकारी, निजी या स्थानीय निकाय द्वारा संचालित अस्पताल प्रबंधकों से अनुरोध किया कि उपरोक्त वर्णित अपराध के पीड़ितों को तुरंत निशुल्क प्राथमिक या चिकित्सीय उपचार उपलब्ध करायेंगे. ऐसी घटना की तुरंत सूचना पुलिस को देंगे. उन्होंने कहा कि यह बात प्रकाश में आती है कि किसी अस्पताल द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के विधिक प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया है तो उनके विरूद्ध भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 200 के तहत दंडात्मक कार्रवाई के लिए अभियोजन प्रस्ताव न्यायालय को समर्पित किया जायगा. उन्होंने आम जनता एवं जन प्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया कि वर्णित अपराध के पीड़ितों को निशुल्क चिकित्सीय सहायता के लिए तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में भर्ती करायेंगे.

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