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Jitiya Vrat Date: महिलाओं ने खाया माछ-मड़ूआ, शुक्रवार सुबह ओठघन के साथ शुरू होगा निर्जला जितिया व्रत

Jivitputrika Vrat 2022: सनातन धर्म में जीउतपुत्रीका व्रत महिलाओं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है. हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जीउतपुत्रीका व्रत करने का विधान है. महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती है.

पटना. सनातन धर्म में जीउतपुत्रीका व्रत महिलाओं के लिए बेहद कठिन व्रत माना जाता है. इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती हैं. हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जीउतपुत्रीका व्रत करने का विधान है. महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती है. देश के अलग-अलग हिस्सों में इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र एवं स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं. माताएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं.

तारीख को लेकर कोई विवाद नहीं

पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्तूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 अक्तूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. अतः 6 अक्तूबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा. मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार माछ-मड़ूआ गुरुवार एवं ओठघन गुरुवार को रात्रि अंत 4.23 सुबह तक है. जिसके बाद निर्जला व्रत शुक्रवार से शुरू होगा एवं पारण शनिवार की सुबह 10.35 के बाद होगा. ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाता है.

वैष्णव संप्रदाय की महिलाएं खाती है नौनी साग

गुरुवार को निर्जला व्रत से एक दिन पूर्व महिलाओं ने परंपरागत मान्यताओं के अनुसार मड़ुआ की रोटी और मछली का सेवन किया. माना जाता है कि आज के दिन मछली का सेवन शुभ होता है. यही कारण है कि महिलाएं आज न केवल मछली का सेवन करती हैं बल्कि आसपास की महिलाओं में मछली का वितरण भी करती हैं. वैसे वैष्णव संप्रदाय की महिलाएं आज के दिन मछली के बदले नौनी साग बनाती हैं.

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सुपौल में लगता है मेला

सुपौल के सरायगढ़ प्रखंड क्षेत्र में भी गुरुवार को जितिया पर्व को लेकर महिलाओं ने विशेष पूजा की. कल अहले सुबह से महिलाएं 24 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगी. पुत्र, पुत्री व समाज के सुख, शांति, समृद्धि के लिए यह उपवास रखा जाता है. मान्यता है कि जितिया व्रत करने से अपने परिवार व समाज के लिए सुख, शांति व समृद्धि मिलती है. हालांकि जितिया व्रत को लेकर पिपरा खुर्द चौक, झिलाडुमरी, सहित विभिन्न गांव में देवी देवताओं की मूर्ति स्थापित कर मेले का भी आयोजन किया गया है. कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन रखा गया है. जहां लोग बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं.

जितिया व्रति कैसे करें पूजा

शुक्रवार को व्रति स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करेंगी. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करेंगी. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में कहीं कहीं मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा देने की भी परंपरा रही है.

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