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एक परिवार के पांच लोग लाइन में

नोटबंदी. असर कायम, बैंक खुलने से पहले लग जाती है भीड़ नोटबंदी ने आम अवाम को बैंकों व एटीएम के आगे कतारबद्ध कर दिया है. सुबह से ही लाइन लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है. हालांकि एटीएम में अब नोट मिलने लगे हैं. इससे लोगों की परेशानी थोड़ी कम हुई है. सहरसा : नोटबंदी […]

नोटबंदी. असर कायम, बैंक खुलने से पहले लग जाती है भीड़

नोटबंदी ने आम अवाम को बैंकों व एटीएम के आगे कतारबद्ध कर दिया है. सुबह से ही लाइन लगने का सिलसिला शुरू हो जाता है. हालांकि एटीएम में अब नोट मिलने लगे हैं. इससे लोगों की परेशानी थोड़ी कम हुई है.
सहरसा : नोटबंदी के बाद निरस्त किए गए नोट को जमा करने, बदलने और निकासी करने वालों की भीड़ सभी बैंक व डाकघरों में छठे दिन मंगलवार को भी यथावत बनी रही. ढाई हजार तक रुपये की निकासी करने के लिए सभी एटीएम की भी यही दशा रही. दो दिन पूर्व रकम की निकासी करने वाले लोग फिर से कतार में खड़े नजर आने लगे. सरकार द्वारा नोट बदली और निकासी की सीमा बढ़ा तो दी गयी है. लेकिन उस हिसाब से रुपये उपलब्ध नहीं कराये गए हैं. लिहाजा कम समय में ही उपलब्ध राशि समाप्त हो जा रही है और अधिकतर उपभोक्ताओं के हाथ खाली ही रह जाते हैं. सभी वित्तीय संस्थानों में रुपये के लिए लोगों की बेचैनी स्पष्ट रूप से दिख रही है.
पांच फॉर्म-आइडी के साथ साढ़े 22 हजार: बैंक अथवा डाकघरों में लगी कतार काफी कम गति से आगे बढ़ रही है. लिहाजा एक दिन में अधिक उपभोक्ता भुगतान पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि एक ही परिवार के लोग पांच अलग-अलग फॉर्म व पहचान पत्र के साथ कतार में होते हैं. कई व्यवसायियों ने तो अपनी दुकान के कर्मचारियों को ही कतार में लगे रहने की ड्यूटी दे दी है. वे एक बार के बाद फिर से दोबारा-तिबारा कतार में लग रहे हैं. हालांकि ऐसा करने से भी उन्हें बमुश्किल दो बार रुपये बदलने में सफलता मिल पा रही है. कुछ लोग नोट बदले जाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही एकमात्र इसी काम में लगे हुए हैं.
चार-पांच कार्ड लेकर आते हैं एटीएम: नोटबंदी से आर्थिक संकट की संभावना के बावजूद सभी एटीएम को चालू नहीं किया जाना भी उपभोक्ताओं की परेशानी का सबब है. शहर में विभिन्न बैंकों के लगभग 50 से 60 एटीएम हैं. इस विशेष परिस्थिति में भी उनमें से बमुश्किल 10 ही चालू हैं. लोग रुपये निकासी के लिए एटीएम दर एटीएम भटकते रह जाते हैं. इधर जिस एटीएम में पैसे डाले जाते हैं. उसकी कतार अहले सुबह से देर रात तक लंबी बनी रहती है. कतार छोटी नहीं होने का एक कारण यह भी है
कि उपभोक्ता विभिन्न बैंकों का चार-पांच कार्ड लेकर एटीएम पहुंच रहे हैं. एक के बाद एक कार्ड से ढ़ाई हजार रुपये की दर से निकासी करने से पीछे खड़े उपभोक्ता का समय देर से आता है. इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि एटीएम के रुपये घंटे भर में ही समाप्त हो जाते हैं और दूसरी खेप रुपये आने में कम से कम तीन से चार घंटे का समय लग जाता है. हालांकि निकासी के लिए जरूरतमंद लोग तक भी वहीं रूक इंतजार करते रहते हैं.

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