बगैर किसी पड़ताल के दुकानदार दे रहे दवा
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एक बार में छह बोतल कोरेक्स पी जाते हैं युवा
बगैर किसी पड़ताल के दुकानदार दे रहे दवा प्रशासन व अभिभावकों को सजग होने की है जरूरत बर्बाद होता जा रहा युवाओं का यौवन, कैरियर भी हो रहा चौपट सिमरी : नशा मुक्ति के तमाम प्रयास के बावजूद बच्चों और युवाओं में मादक पदार्थों की लत बढ़ती ही जा रही है. नशे की यह आदत […]
प्रशासन व अभिभावकों को सजग होने की है जरूरत
बर्बाद होता जा रहा युवाओं का यौवन, कैरियर भी हो रहा चौपट
सिमरी : नशा मुक्ति के तमाम प्रयास के बावजूद बच्चों और युवाओं में मादक पदार्थों की लत बढ़ती ही जा रही है. नशे की यह आदत चोरी, लूटपाट, दुष्कर्म की घटना को बढ़ावा दे रही है. जानकार बताते हैं कि नशे की लत एक बीमारी है. जिसके युवा शिकार हो रहे हैं. वहीं वे अपने कैरियर के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हैं. जिले के सोनवर्षा कचहरी, सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ के अलावा आस-पास के कस्बा और गांवों के युवा पूरी तरह नशे की चपेट में आ रहे हैं.
जिसकी वजह से खांसी में उपयोग आनेवाली दवा कोरेक्स की मांग बढ़ गयी है. इसका उपयोग नशा उत्पाद के रूप में होता है. लेकन प्रशासनिक सख्ती के बावजूद जिले के कई इलाकों में कोरेक्स की बिक्री अवैध तरीके से लगातार जारी है.
शाम होते ही जुटती है नशेड़ियों की भीड़
इन दिनों सोनवर्षा कचहरी में देर शाम युवाओं की भीड़ लगने लगी है. यह भीड़ शराबबंदी के बाद से ही लगनी शुरू हुई थी. जानकारी के अनुसार, बीते कई महीनों से सोनवर्षा कचहरी में प्रति बोतल कोरेक्स 200 रुपये तक में बेची जा रही है. बताया जाता है कि नशे के रूप में इसका इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति रोजाना पांच से छह बोतल कोरेक्स गटक जाते हैं और उसके बाद रेलवे स्टेशन के पास नशे के शौकीन चीनी, रसगुल्ला, चाकलेट या मीठी चाय का सेवन करते हैं. यही हाल सिमरी बख्तियारपुर का है. सिमरी बख्तियारपुर के हटियागाछी, रानीबाग आदि के मेडिकल दुकानों पर कोरेक्स की अवैध बिक्री जोर-शोर से जारी है. इसके साथ ही युवा फेंसीड्रिल कफ सिरप पर भी जोर देते हैं.
फैशन बनता जा रहा है नशापान: कई किशोरों ने तो नशापान को अपना फैशन बना लिया है. इसे रोकने के लिए समाज की ओर से भी सार्थक पहल नहीं हो रही है. जो चिंताजनक है. सिमरी बख्तियारपुर के एक नशेड़ी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सोनवर्षा कचहरी में हमें नशे की दवाइयां बिना डॉक्टरी पर्ची के आसानी से मिल जाती हैं. कई चाय या पान की दुकानों एवं होटलों में भी नशे की दवाइयां आसानी से मिल जाती हैं. यहां यह बता दें कि नशे के आदी किशोर कोरेक्स के अलावा गांजा, भांग का भी नशे के रूप में उपयोग करते हैं. गरीब बच्चे डेंड्राइट, आयोडेक्स आदि से काम चला रहे हैं. हाल के दिनों में युवा कोरेक्स फेंसीड्रिल कफ सिरप, नींद की दवा एलजोलम आदि का उपयोग कर रहे हैं. दर्द निवारक कैप्सूल स्पासमो प्रोक्सीवोन का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. कुछ लोग कैप्सूल को कोरेक्स के साथ मिलाकर सेवन करते हैं. क्षेत्र में कोरेक्स को नशेड़ी फाइल कोड वर्ड के साथ नशे का सामान भी खरीदते है.
ये होता है नुकसान
अधिक उपयोग से इंसान खो देता है दिमागी नियंत्रण
अत्यधिक सेवन करने वाला भ्रम का हो जाता है शिकार
निर्णय लेने की क्षमता हो जाती है कम
इंसान खोने लगता है आत्मविश्वास
आती है शारीरिक दुर्बलता
खानपान में कमी व कब्जियत का हो जाता है शिकार
वाहनों से दुर्घटना का खतरा
ये हैं उपाय
नशापान के विरुद्ध प्रशासन को कड़ा कदम उठाना होगा.
अभिभावकों को बच्चों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी.
युवाओं को नशापान से होने वाले बीमारियों के प्रति जागरूक करना होगा.
बिना चिकित्सकीय सलाह के नशीली दवाइयों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना होगा.
बिना पर्ची के कोरेक्स बिक्री पर कड़ाई से रोक लगानी होगी.
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