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रजौली में खदान धंसने से 10 मजदूरों के मरने की चर्चा
जांच करने गये वन विभाग के रेंजर व थानाध्यक्ष, पर मामले की नहीं की पुष्टि हर बार अबरक कारोबारियों की मिलीभगत से मामला हो जाता है रफा-दफा नवादा/रजौली : नवादा जिले के रजौली प्रखंड की सवैयाटांड़ पंचायत स्थित तीन अबरक खदानों में गुरुवार को 10 मजदूरों के मरने की चर्चा रही. यह भी कि मजदूरों […]
जांच करने गये वन विभाग के रेंजर व थानाध्यक्ष, पर मामले की नहीं की पुष्टि
हर बार अबरक कारोबारियों की मिलीभगत से मामला हो जाता है रफा-दफा
नवादा/रजौली : नवादा जिले के रजौली प्रखंड की सवैयाटांड़ पंचायत स्थित तीन अबरक खदानों में गुरुवार को 10 मजदूरों के मरने की चर्चा रही. यह भी कि मजदूरों की मौत के बाद उनके शवों को खदान में ही गाड़ दिया गया.
हालांकि, पुलिस खदान में मौत की घटना से साफ इनकार कर रही है. घटना की जांच करने गये वन विभाग के रेंजर व स्थानीय थाने के एसआइ ने भी मामले की पुष्टि नहीं की. लेकिन, सूत्रों का कहना है कि माइका कारोबारियों की मिलीभगत से प्रशासनिक अधिकारी मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं. इस संबंध में एसपी विकास बर्मन का कहना है कि उक्त चर्चा सिर्फ अफवाह है. सच्चाई नाममात्र भी नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक, सवैयाटांड़ पंचायत में माइका कारोबारी राहुल मोदी के शारदा माइंस के अलावा ब्रह्मदेव लाल, सिराजउद्दीन व अल्ताफ नाम के कारोबारियों द्वारा अवैध रूप से संचालित खदानों में काम करने के दौरान चाल धंसने से अलग-अलग जगहों पर 10 मजदूरों की मौत हुई है. सूत्रों ने बताया कि जब भी खदान में काम करनेवाले मजदूरों की मौत होती है, तो माइका कारोबारी मजदूरों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 50 से 60 हजार रुपये देकर शव खदानों में ही दफना देते हैं. मजदूरों के परिजन लाचारीवश रुपये ले लेते हैं, क्योंकि उन्हें माइका कारोबारियों द्वारा खदान में काम नहीं करने की धमकी दी जाती है.
इस क्षेत्र के लोगों की आजीविका का एक मात्र साधन होने के कारण उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं होता. गौरतलब है कि सवैयाटांड़ पंचायत में दर्जनों अवैध अबरक खदानें चल रही हैं. इनमें आये दिन मजदूरों की मौत होती है, लेकिन हर बार पुलिस-प्रशासन के अधिकारी अफवाह बता कर मामले को बंद कर देते हैं. इस संबंध में रजौली वन क्षेत्र के रेंजर आरके श्रीवास्तव और थानाध्यक्ष संजीव कुमार गुप्ता ने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया गया है, लेकिन मजदूरों के मरने से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला.
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