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मेहनताना बांटने से ममता उदासीन

पहले मानदेय, फिर राशि में बंटवारे से ममता के समक्ष उत्पन्न हुई आर्थिक संकट वर्ष 2015 तक एक दिन में होता था करीब नौ बच्चों का जन्म वर्तमान में संख्या चार तक सिमटी सासाराम सदर : पहले मानदेय में एक ममता को इतनी रकम मिल जाती थी कि उसका परिवार आराम से चल जाता था. […]

पहले मानदेय, फिर राशि में बंटवारे से ममता के समक्ष उत्पन्न हुई आर्थिक संकट
वर्ष 2015 तक एक दिन में होता था करीब नौ बच्चों का जन्म
वर्तमान में संख्या चार तक सिमटी
सासाराम सदर : पहले मानदेय में एक ममता को इतनी रकम मिल जाती थी कि उसका परिवार आराम से चल जाता था. बाद के दिनों में सरकार ने एक अस्पताल में 20 ममता की बहाली कर दी और प्रसव पर मिलने वाली राशि को सांझा कर दिया.
यह भी वर्ष 2015 तक कुछ हद तक ठीक रहा, जब एक दिन में करीब नौ बच्चे सदर अस्पताल के प्रसव विभाग में जन्म लेते थे़ बाद के दिनों में सदर अस्पताल में प्रसव की संख्या घटती गयी.
वर्तमान वर्ष में अब तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो एक दिन प्रसव की संख्या चार तक सिमट गयी है़ ऐसे में ममता के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. एक प्रसव पर करीब सौ रुपये मेहनताना मिलता है. जिसे20 ममता के बीच बांटा जा रहा है, जो प्रति ममता पांच रुपये पड़ रहा है. दिन में एक ममता को 20 रुपये पर संतोष करना पड़ रहा है.
क्या है नियम
सदर अस्पताल के ममता की संख्या 20 है. एक प्रसव होने के बाद सौ रुपये मिलता है. जिसे 20 ममता के बीच बांट दिया जाता है. जो मानदेय के रूप में उन्हें मिलता है.
सरकार के नियम के आलोक में काम हो रहा है. नियम को हम बदल नहीं सकते. ममता की बात उच्च अधिकारियों तक पहुंचा दी जायेगी. जो नियम बनेगा, उसे लागू कर दिया जायेगा.
डॉ नवल किशोर प्रसाद सिन्हा, सिविल सर्जन
पहले व्यवस्था अच्छी थी. प्रसव पर 25 रुपये मिल जाते थे. अब तो हालत यह है कि एक दिन में 25 रुपया नहीं मिल पा रहा है. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
निर्मला देवी, ममता
सदर अस्पताल के प्रसूता गृह में प्रसव की संख्या कम हो गयी है. एक दिन में बमुश्किल चार प्रसव ही हो पा रहा है. ऐसे में हम 20 लोगों के बीच सौ रुपये का वितरण कितना सही है.
मिन्टू देवी, ममता
सरकार को हमें मानदेय देना चाहिए. हम दिन भर यहां पड़ी रहती हैं और पूरे दिन के इंतजार के बाद पता चलता है कि 20 रुपये ही कमाया. ऐसे में हमारा परिवार कैसे चलेगा.
विमला देवी, ममता
सरकार ममता का मानदेय फिक्स कर दे. प्रसव पर मानदेय नहीं मिलना चाहिए. इससे हमारे समक्ष आर्थिक समस्या आ खड़ी हुई है. मानदेय जो भी मिलेगा, एक मुस्त होगा, तो हमारा परिवार चल सकता है.
सरिता देवी, ममता
चार से 20 हो गयी ममता की संख्या
प्रसव के दौरान व बाद में जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए वर्ष 2008 में सरकार ने सदर अस्पताल में चार ममता की नियुक्ति की थी. उस समय भी प्रति प्रसव पर मानदेय सौ रुपये ही थी़
ममता की संख्या कम थी और प्रसव करानेवालों की संख्या अधिक थी. तो एक ममता की एक दिन में कमाई चार से पांच सौ रुपये हो जाती थी. बाद के दिनों में सदर अस्पताल में 20 ममता की नियुक्ति कर दी गयी. प्रसव की संख्या घटने लगी. हालात यह है कि एक ममता को उनके परिश्रम का सौ रुपये भी प्रतिदिन नहीं मिल पा रहा है.

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