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जर्जर सड़कों से हादसे का डर

बिक्रमगंज : आज से 20 वर्ष पहले गांवों में जब किसी की तबीयत खराब होती थी तो उसे बाजार व शहर तक लाने के लिए खटिया का सहारा लिया जाता था, जिससे आधे से अधिक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे. इस दर्द को समझते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना […]

बिक्रमगंज : आज से 20 वर्ष पहले गांवों में जब किसी की तबीयत खराब होती थी तो उसे बाजार व शहर तक लाने के लिए खटिया का सहारा लिया जाता था, जिससे आधे से अधिक मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे. इस दर्द को समझते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से गांवों की तस्वीर संवारने की रूप रेखा तैयार की.

जिसे काफी जोशो-खरोश के साथ जमीन पर उतारा गया. पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो या मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना सभी सड़कों की हालत अब बद से बदतर हो गयी है, जिससे उस सड़क पर चलना काफी मुश्किल भरा डगर हो गया है.
गांवों की कच्ची-पक्की रास्तों को कालीकरण कर उसे मुख्य मार्गों से जोड़ने की सरकारी मुहिम ने गांवों की तस्वीर को बदला व उसे मुख्य सड़कों से भी जोड़ा. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी अधिकांश गांवों की सड़कें जल्दबाजी में बना दी गयी, जिसका परिणाम यह हुआ की साल भर के अंदर ही सड़कें टूटने लगीं. ग्रामीण आबादी को मुख्य मार्ग से जोड़ने की योजना का सच सामने आने लगा.
नहरों के किनारों का पक्कीकरण कर बनायी सड़क : तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में बनी योजना गांवों को नहर मार्ग से जोड़ मुख्य सड़क से जोड़ों. इस योजना के तहत गांव के बीचो-बीच निकलते नहरों के किनारों को दो फायदों के लिए पक्की किया गया.
पहला की उसे मुख्य मार्ग से जोड़ना व दूसरा नहरों के तटबंध को मजबूत रखना. दोनों ही तरह से गांवों को फायदा होना सुनिश्चित हुआ. क्योंकि नहरें नहीं टूटेंगी तो सिंचाई सही होगी व सड़कें पक्की होंगी तो ग्रामीण आबादी सुगमता से मुख्य मार्ग तक जुड़ जायेगी. हुआ भी यहीं पर जल्दबाजी में बनी सड़कों ने दोनों ही लक्ष्य को पूरा होने से पहले ही अपना वजूद खोने के कगार पर पहुंच गयी हैं.
कहां-कहां की सड़कें हैं बदहाल : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनी मानपुर, परसा, औराई, तिलई, चांदी इंग्लिश, उदयपुर, चैता, बहोरी, डिहरा समेत दर्जनों गांवों को जोड़नेवाली सड़कों की तस्वीर बद से बदतर हो गयी है. इन गांवों में रहनेवाले ग्रामीण कहते हैं कि हमारे गांव के रास्ते ना पक्की बने नाही कच्ची ही रहे.

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