बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए आए दिन नए आदेश जारी हो रहे हैं. इसी क्रम में अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय में पढ़ रहे ऐसे विद्यार्थी जिनकी उपस्थिति 75 फीसदी से कम है, वह विश्वविद्यालय की तरफ से आयोजित किसी भी परीक्षा में भाग नहीं ले सकेंगे. ऐसे विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने के क्रम में परीक्षा पत्र जमा नहीं कराने के आदेश भी दिये हैं. इस मामले में राजभवन की ओर से बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र जारी किया गया है. जारी पत्र में कहा गया है कि 75 फीसदी से क उपस्थिति वाले छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति न दी जाए.
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के वर्तमान रवैये से कुलाधिपति अप्रसन्न
राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंग्थू ने इस संबंध में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को बुधवार को आदेश जारी किया हैं. हालांकि संबंधित पत्र में राज्यपाल के प्रधान सचिव ने लिखा है कि कोई उचित कारण होने पर इस आदेश में शिथिलता की जा सकती है और छात्रों को परीक्षा में शामिल होने दिया जा सकता है. आधिकारिक पत्र में बताया गया है कि 75 फीसदी उपस्थिति के संदर्भ में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के वर्तमान रवैये से कुलाधिपति महोदय प्रसन्न नहीं हैं.
राजभवन ने 75 फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जारी किया आदेश
रॉबर्ट एल चौंग्थू ने कुलपतियों को जारी पत्र में बताया है कि कई बार ऐसा देखा जा रहा है कि विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में विभिन्न परीक्षाओं में शामिल होने के क्रम में परीक्षा प्रपत्र जमा कराने के समय 75 फीसदी उपस्थिति न होने के बाद भी विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है. इस तरह की जानकारी आने के बाद कुलाधिपति ने व्यापक विमर्श के बाद 75 फीसदी उपस्थिति के नियम को सुनिश्चित कराने के लिए आदेश जारी करने का निर्देश दिया है.
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राज्यपाल से मुख्यमंत्री ने की मुलाकात
वहीं इससे पहले राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को राजभवन जा कर मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान दोनों नेताओं के बीच उच्च शिक्षा और विश्वविद्यालयों से संबंधित विषयों पर समाधानपूर्ण विमर्श हुआ. दोनों के बीच करीब 20 मिनट तक चली यह मुलाकात विश्वविद्यालयों की स्वायतत्ता और राज्य सरकार के हस्तक्षेप को लेकर शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच चल रहे विवाद को लेकर महत्वपुर मां जा रही है. इस मुलाकात के बाद अब ऐसा लग रहा है कि शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच हाल रहा विवाद थम जाएगा.
राजभवन व शिक्षा विभाग के बीच विवाद की वजह…
वहीं इससे पहले राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंग्थू की तरफ से जारी विभागीय पत्र में कहा गया था कि शिक्षा विभाग कुलाधिपति के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रहा है. प्रधान सचिव ने शिक्षा विभाग द्वारा बीआरए बिहार विवि के कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन पर रोक लगाने के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सरकार को विवि के कामकाज पर नजर रखने का अधिकार है, पर वेतन और वित्तीय अधिकार पर रोक बिना किसी अधिकार के लगायी गयी है.
राजभवन ने शिक्षा विभाग से आदेश वापस लेने को कहा था
रॉबर्ट एल चौंग्थू ने अपने पत्र में कहा था कि शिक्षा विभाग का यह आदेश विवि की स्वायत्तता पर नियंत्रण करने जैसा है. प्रधान सचिव ने शिक्षा विभाग से तत्काल कुलपति और प्रति कुलपति के वेतन रोकने एवं वित्तीय अधिकार पर रोक लगाने संबंधी आदेश को वापस लेने को कहा था. साथ ही भविष्य में भी इस तरह के आदेश जारी करने से बचने की सलाह दी थी.
राजभवन और शिक्षा विभाग दोनों ने कुलपति की नियुक्ति के लिए निकाला विज्ञापन
इसी बीच शिक्षा विभाग ने राज्य के सात विश्वविद्यालयों के लिए कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया. जबकि इन पदों पर नियुक्त के लिए राजभवन पहले ही विज्ञापन जारी कर चुका था. शिक्षा विभाग द्वारा के एस डी संस्तकृ विवि दरभंगा, जय प्रकाश विवि छपरा, पटना विवि, बी आरए बिहार विवि मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विवि दरभंगा, बीएन मंडल विवि मधेपुरा और आर्यभट्ट विवि पटना के कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गये हैं.
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