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बेमौसमी फसलों की संरक्षित खेती पर सेविकाओं को प्रशिक्षण

जलालगढ़

जलालगढ़. कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ परिसर में गुरुवार को 30 आंगनबाड़ी सेविकाओं को बेमौसमी फसलों की संरक्षित खेती पर एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. मौके पर केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ के एम सिंह ने कहा कि महिलाओं के लिए पोषण बहुत ही आवश्यक है. आंगनबाड़ी सेविका अपने केंद्र में पोषण वाटिका की स्थापना कर सालों भर मौसमी या बेमौसमी सब्जियों की खेती कर सकती हैं. जिससे स्वास्थ्य में सुधार ला सकती हैं. दैनिक फल, सब्जी, दाल, तेल, मछली, मशरूम को आहार में शामिल करना चाहिए . इसके साथ ही उन्होंने बेमौसमी सब्जियों जैसे शिमला मिर्च, गोभी वर्गीय सब्जियां, गाजर आदि के बारे में जानकारी प्रदान की. इसके उपरांत उद्यान वैज्ञानिक डॉ संगीता मेहता ने महिलाओं को विभिन्न प्रकार के फल एवं सब्जियों की विस्तृत रूप से जानकारी दी. बताया कि किचन गार्डन में जो सब्जी उगायी जाएगी वह रासायनिक उर्वकों से मुक्त होगी और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगी. मौके पर डॉ राबिया परवीन एवं अनामिका कुमारी ने लगने वाले रोग पर चर्चा की. साथ ही सब्जियों के बीज लगाने का तरीका साझा किया. केवीके के कृषि वैज्ञानिक डॉ आतिश सागर ने संरक्षित कृषि में उपयोग हेतु शेड नेट अथवा पाॅली हाउस का निर्माण करने की जानकारी प्रदान की. प्रशिक्षण के बाद सेविकाओं को केंद्र की विभिन्न इकाइयों खासकर पोषण वाटिका व अन्य पौध नर्सरी क्षेत्र का भ्रमण कराया गया.

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