बनमनखी. नये प्रधानाचार्य डॉ.प्रमोद भारतीय से जीएलएम कॉलेज बनमनखी के विकास की काफी उम्मीद है. पिछले 30 साल में उन्होंने उत्तराखंड से लेकर बिहार तक शैक्षणिक विकास में अहम योगदान दिया है. वर्ष 1996 में मसूरी के म्युनिसिपल पोस्ट ग्रेजुएट काॅलेज में संस्कृत विभाग में सहायक आचार्य नियुक्त हुए. वर्ष 2008 में डॉ. भारतीय ने स्नातकोत्तर काॅलेज जगजीवन राम श्रमिक काॅलेज,जमालपुर मुंगेर में प्राचार्य के रूप में कार्यभार संभाला . संस्कृत साहित्य में उनके योगदान उल्लेखनीय हैं. जबकिउनकी उर्दू कहानियों के संकलन बदचलन को उत्तराखण्ड की पहली उर्दू किताब होने का गौरव प्राप्त है. डॉ. भारतीय खगड़िया के एक गांव नयागांव के मूल निवासी हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा किशनगंज के ठाकुरगंज में हुई है. इसलिए क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और मेधा के स्तर की परख उन्हें पहले से है. इसलिए प्रबुद्धजनों को अपेक्षा है कि वे कॉलेज में शैक्षणिक वातावरण सुदृढ़ कर इसे कोसी-सीमांचल की सीमा का मॉडल महाविद्यालय बनायेंगे.
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