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आपाधापी के बीच जीवन जीने की कला सीखा गये गुरुदेव रविशंकर

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पूर्णिया. बदलते परिवेश में जीवन के झंझावातों से निकल कर स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जीने की चाहत रखनेवालों के लिए आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित महासत्संग संबल बन गया. रोजमर्रे की आपाधापी के बीच सुकून की जिंदगी बसर करने वालों को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री गुरुदेव रविशंकर जीने की कला सीखा गये. महासत्संग के दौरान गुरुदेव के सानिध्य में की गयी महज 20 मिनट की योग साधना के बाद न केवल बीमार होने का डर भाग गया बल्कि सामाजिक व पारिवारिक अवसाद की चिंता भी खत्म हो गयी.

आर्ट ऑफ लिविंग के एपेक्स मेंबर एवं आयोजन समिति के सचिव नीलम अग्रवाल तथा महासत्संग के संयोजक डा. अनिल कुमार गुप्ता बताते हैं कि गुरुदेव के कार्यक्रम से सबसे ज्यादा युवा प्रभावित हुए हैं क्योंकि गुरुदेव ने रोजगार का संदेश देकर उनकी चिंता दूर कर दी है और शारिरिक व मानसिक स्वस्थता के मंत्र भी दिए हैं. श्री अग्रवाल ने बताया कि गुरुदेव से पूर्णिया कीसौरा नदी समेत कई समस्याओं को लेकर चर्चा हुई है. आयोजन समिति के सचिव श्री अग्रवाल एवं संयोजक डा. गुप्ता ने आर्ट ऑफ लिविंग के सभी स्वयंसेवक, शिक्षक एवं कार्यक्रम में आए सभी भक्तों, श्रद्धालुओं एवं सहयोगियों को कार्यक्रम कीअपार सफलता के लिए बधाई दी है और आभार व्यक्त किया है. रविवार को गुरुदेव श्री श्री को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ विदा किया गया इस उम्मीद के साथ कि वे पूर्णियावासियों को गान,ज्ञान और ध्यान का स्नान कराने के लिए फिर आएं.

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आज पूरी दुनिया आयुर्वेद को अपना रही है

श्री श्री रविशंकर जी ने लोगों से बीते शनिवार की शाम आयुर्वेद को अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा इस जिले को लोग चिकित्सा नगरी कहते हैं. उन्होंने चिकित्सकों से अपील करते हुए कहा कि मरीजों को एलोपैथ के साथ आयुर्वेद दवा भी लिखें. कोरोना काल की चर्चा करते हुए श्री श्री ने कहा कि 19 जडी बूटियों से तैयार आयुर्वेद की दवा को सभी ने माना कि यह पूर्ण रूप से वायरस के प्रकोप को रोकता है. आज पूरी दुनिया आयुर्वेद की तरफ जा रही है. इससे रोगरोधी क्षमता का विकास होता है. आयुर्वेद के साथ साथ सुदर्शन क्रिया एवं योग ध्यान के जरिये व्यक्ति स्वस्थ और तंदुरुस्त जीवन जी सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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