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Bihar News: बिहार के इस जिले में हुआ बड़ा घोटाला, बंगाल के 200 लड़के बंधक, जाने क्या है मामला

Bihar News: बिहार के पूर्णिया में नौकरी घोटाला का मामला सामने आया है. पूर्णिया में करीब 200 बंधक बने लड़कों को मुक्त कराया गया है.

Bihar News: बिहार के पूर्णिया में नौकरी घोटाला का मामला सामने आया है. पूर्णिया में करीब 200 बंधक बने लड़कों को मुक्त कराया गया है. मंगलवार की देर रात पुलिस ने शहर के कई जगह छापामारी कर बंगाल के लड़कों को छुड़ाया है. पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है.  लड़कों का कहना है कि यहां नौकरी देने के नाम पर बुलाया गया था. 

पुलिस अधीक्षक ने बताया

पूर्णिया पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि लोगों को आयुर्वेद की कंपनी में नौकरी के नाम पर बुलाया जाता था और ट्रेनिंग के नाम पर पैसे वसूले जाते थे और यहां आने पर उन्हें बंधक बना लिया जाता था. मुक्त लड़कों ने बताया कि सात लोगों की पूरी टीम इस धोखाधड़ी को अंजाम देती थी. पुलिस ने छपमारी कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मास्टरमाइंड की तलाश अभी भी जारी है. 

सोशल नेटवर्किंग के नाम पर ठगी

सोशल नेटवर्किंग के नाम ठगी करने वाले फर्जी गिरोह के चंगुल से निकले पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर का रहनेवाला अखिल मंडल ने बताया कि आयुर्वेदिक दवा बेचने का प्रशिक्षण देकर नेटवर्किंग का काम कर रहा था. उससे बारी-बारी से कुल 20 हजार रुपये की ठगी कर 10 दिन से बंधक बना कर रखा था. पीड़ित ने बताया कि उसके ही इलाके का रहनेवाला शिव कुमार नाम का एक युवक ने उसे फोन कर एक कंपनी में अच्छे वेतन के साथ नौकरी देने के नाम पर बीते 7 सितंबर को पूर्णिया बुलाया था.

इतने पैसे ऑनलाइन भुगतान कराया गया

वह बस स्टैँड पहुंच कर शिव कुमार से फोन पर संपर्क किया तो कहा गया कि टोटो पकड़ कर रामबाग चौक पहुंच जाओ. रामबाग चौक पहुंचने के बाद वहां से शिव कुमार एवं एक अन्य युवक उसे सरना चौक ले गया. आने से पहले शिव कुमार ने उससे कहा था कि सीट सीमित है, बुकिंग करना पड़ेगा इसलिए उससे 8500 रुपये ऑनलाइन भुगतान करवाया गया. सरना चौक पहुंचने के बाद उसे एक घर में ले गया जहां एक अन्य व्यक्ति से मिलवाया. फिर उसे एक कार्यालय ले जाकर 600 रुपये में एक फार्म दिलवाया और उसे भरने को कहा.

एक हॉल में 100 से अधिक लडके थे

फार्म भरा कर उससे 11 हजार रुपये ऑनलाइन भुगतान करवाया. रात में उसके ही पैसे से शिव कुमार समेत तीन लोग खाना खाया. अगले दिन कार्यालय के एक हॉल में जहां 100 से अधिक लडके थे, वहां ले जाकर प्रशिक्षण दिलवाने लगा. वहां कुछ आयुर्वेद दवा को बेचने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. इस दौरान प्रशिक्षण देनेवालों ने उससे कहा कि वह एक सौ ऐसे कांटेक्ट नंबर ओर नाम की सूची बनाये, जिन्हें वे जानते हैं. उससे ऐसा ही किया. इसके बाद सूची में दिये गये कांटेक्ट नंबर पर उसे फोन कर कंपनी से जुडने की बात कही.

100 कांटेक्ट नंबर और नाम की सूची मांगी गयी

सभी को 85 सौ रुपये ऑनलाइन भुगतान करने को कहा गया. जैसे उसके साथ किया गया था, ठीक उसी प्रकार उसे ऐसा करने के लिए दबाव डाला गया. जो लोग जुड़ गये थे, उन्हें भी 100 कांटेक्ट नंबर और नाम की सूची मांगी गयी. इसके बाद वह समझ गया कि फर्जी कंपनी बना कर ये लोग नेटवर्किंग के नाम पर लोगों से ठगी कर रहे हैं. यहां 10 दिन गुजर चुके थे. उसके मोबाइल फोन पर भी नजर रखी जा रही थी कि वह किसी को कंपनी के बारे में गलत बातें तो बता नहीं रहा.

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पुलिस को इसकी सूचना दी गयी

वह जहां-जहां बात करता उसके नंबर की जांच की जाती थी. इसके बाद वह समझ गया कि उसके पैसे तो डूब गये और यहां नौकरी भी नहीं है. इसके बाद उसने सदर थाने की पुलिस को इसकी सूचना दी. उसने बताया कि ज्यादातर ठगी के शिकार पश्चिम बंगाल के लड़के थे, जिन्हें थाना लाकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया. उसने बताया कि अब उसके पास इतने पैसे भी नहीं है जो अपने घर पहुंच सके.

Anshuman Parashar
Anshuman Parashar
मैं अंशुमान पराशर पिछले एक वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल बिहार टीम से जुड़ा हूं. बिहार से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक, अपराध और जनसरोकार के विषयों पर लिखने में विशेष रुचि रखता हूं. तथ्यों की प्रमाणिकता और स्पष्ट प्रस्तुति को प्राथमिकता देता हूं.

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