पूर्णिया : सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बच्चा वार्ड में भर्ती बच्चों की इलाज पूरे दिन मौजूद नर्स की ओर से देखभाल की जाती है. लेकिन शाम ढलते ही व्यवस्था बदल जाती है. बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों के पद रिक्त रहने के कारण रात में शिशु वार्ड का जिम्मा इमरजेंसी वार्ड पर आ जाता है.
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रात में इमरजेंसी वार्ड से संचालित होता है सदर अस्पताल का बच्चा वार्ड
पूर्णिया : सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. बच्चा वार्ड में भर्ती बच्चों की इलाज पूरे दिन मौजूद नर्स की ओर से देखभाल की जाती है. लेकिन शाम ढलते ही व्यवस्था बदल जाती है. बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों के पद रिक्त रहने के कारण रात में […]
हालांकि रात में यदि किसी बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है तो परिजन विचलित हो जाते हैं. परिजन को इमरजेंसी वार्ड अपने बच्चे को लेकर जाना पड़ता है. अररिया के मो तबरेज आलम ने अपनी 8 वर्षीय पुत्री इबरार परवीन को सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया. इबरार चमकी के लक्षण से ग्रस्त थी. तेज बुखार उतर नहीं रहा था.
परिवार वाले चिंता में थे. दिन भर तो वार्ड में इलाज चला. सोमवार की रात के करीब 9 बजे इबरार की तबीयत बिगड़ने लगी. बच्चे को गोद में लेकर उसकी मां वार्ड में इधर से उधर घूम रही थी और रोती भी थी. इसी दौरान किसी ने उसे बताया कि बच्ची को लेकर इमरजेंसी वार्ड चली जाये. इसके बाद इमरजेंसी वार्ड में ले जाने पर बच्ची को एक सुई दी गयी.
असल में यह किसी एक बच्चे का मसला नहीं है. रात में बच्चा वार्ड इमरजेंसी के भरोसे रहता है. वार्ड में अगर किसी बच्चे को स्लाइन चढ़ रहा है. यदि पानी रुक जाए या खत्म हो जाये तो परिजन को दौड़ लगाकर इमरजेंसी वार्ड जाना पड़ता है. कई परिजन ने बताया मरीज को अकेला छोड़ कर इमरजेंसी वार्ड जाना पड़ता है. जब इमरजेंसी वार्ड में भीड़ रहती है तो वहां समय ज्यादा लग जाता है.
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