डेबील सोसाइटी द्वारा नौकरी देने के नाम पर आवेदकों से एक हजार से तीन हजार रुपये तक की वसूली की गयी है और अबतक 200 से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया है.
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नौकरी का झांसा दे एनजीओ ने की लाखों की ठगी
डेबील सोसाइटी द्वारा नौकरी देने के नाम पर आवेदकों से एक हजार से तीन हजार रुपये तक की वसूली की गयी है और अबतक 200 से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया है. पूर्णिया : युवाओं को नौकरी देने का सपना दिखा कर एक एनजीओ द्वारा लाखों की ठगी करने का मामला प्रकाश […]
पूर्णिया : युवाओं को नौकरी देने का सपना दिखा कर एक एनजीओ द्वारा लाखों की ठगी करने का मामला प्रकाश में आया है. बुधवार को मामले का खुलासा तब हुआ जब कुछ आवेदक एनजीओ के कार्यालय पहुंचे तो वहां दफ्तर में ताला लटका पाया. आवेदकों ने जब पता किया तो उन्हें मालूम हुआ कि एनजीओ ने आवेदकों को संपर्क करने के लिए नंबर उपलब्ध कराया है, लेकिन वह अभी बंद मिला. दरअसल, बीते एक जुलाई को डेबील नामक एनजीओ ने स्वयं सेवकों के चयन के लिए आवेदन आमंत्रित किया था. संस्थान ने आवेदकों को पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर नौकरी देने की बात कही थी.
इसके साथ ही आवेदकों ने जब संस्थान के वेबसाइट को चेक किया तो उसपर ने तो इस संबंध में कोई पोस्ट था और न ही किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध हो सकी. इधर इस संबंध में संस्थान के एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि डेबील सोसाइटी द्वारा नौकरी देने के नाम पर आवेदकों से एक हजार से तीन हजार रुपये तक की वसूली की गयी है और अबतक 200 से अधिक युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन किया है. ठगी का शिकार होने वालों में सिपाही टोला के नीरज कुमार सिंह, मधुबनी के रोशन कुमार, राकेश कुमार, सूरज कुमार, विवेक आदि शामिल हैं. बहरहाल ठगी का शिकार हुए युवक अब एफआइआर दर्ज कराने की तैयारी में जुट गये हैं.
सीतामढ़ी का है संस्थान
आवेदकों ने बताया कि संस्थान ने इश्तेहार में अपना मुख्य कार्यालय सीतामढ़ी का गौशाला चौक दर्शाया है. बताया कि संस्थान ने अपना निबंधन संख्या 1890 भी दिखाया और एनजीओ के भारत सरकार से मान्यता प्राप्त होने की बात कही तथा संस्थान का निबंधन प्रमाण पत्र भी दिखाया. इसके साथ ही संस्थान के लोगों ने उन्होंने महानिरीक्षक निबंधन विभाग पटना से भेजा गया पत्र भी दिखाया जिसमें सीतामढ़ी मुरलिया चक के वार्ड संख्या 04 के चंद्र मोहन कुमार को सचिव पद पर मनोनीत करने की बात कही गयी थी.
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