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Thursday, March 28, 2024

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बिहार: तनाव और क्रोध से मुक्ति के लिए विपश्यना योग, ठहरने व भोजन के साथ कोर्स भी फ्री, ऐसे करें अप्लाई

मन को शांत करने और विकार व क्रोध को दूर करने विपश्यना योग बेहद कारगर साबित होता है. बिहार के विपश्यना केंद्र में ध्यान करने के लिए मुफ्त में सारे इंतजाम किये जाते हैं.

सुमित कुमार,पटना: विपश्यना केंद्र में ध्यान करने के लिए सरकारी अधिकारी-कर्मियों को छुट्टी दिये जाने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा के बाद इसको लेकर आम लोगों का आकर्षण बढ़ा है. बिहार में राजधानी पटना के साथ ही बोधगया, राजगीर, मुजफ्फरपुर, चकिया और वैशाली में इसके केंद्र हैं.

बिना फीस के विपश्यना केंद्र में ध्यान

केंद्रों पर उपलब्ध क्षमता के मुताबिक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन लिया जाता है. संचालकों के अनुसार विपश्यना केंद्र में ध्यान लगाने के लिए लोगों को कोई फीस नहीं देनी पड़ती. महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है. पटना केंद्र पर नवंबर तक की बुकिंग फुल हो चुकी है.

पटना में हर साल अधिकतम 24 कोर्स :

पटना स्थित विपश्यना केंद्र में हर महीने दो और सालभर में 24 कोर्स चलाये जाते हैं. हर कोर्स में अधिकतम 60-70 लोगों की क्षमता है. आवेदन की स्क्रूटनी के बाद जिनको बुलाना होता है, उनको कन्फर्मेशन मेल भेज देते हैं. हर महीने की तीन से 14 तारीख और 17 से 28 तारीख तक कोर्स चलता है. इस कोर्स के लिए रहना, खाना, पीना सब नि:शुल्क होता है. बाहर की दुनिया से कोई संपर्क नहीं रख सकते. ठहरने के लिए भवन में 50 से अधिक कमरे हैं. हर कमरे में दो व्यक्ति को ठहराया जाता है.

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दस दिन पूरी तरह रहना होगा मौन :

पहले दिन ही मोबाइल या गैजेट को सेफ कस्टडी में रख लिया जाता है, जिसे अंतिम दिन वापस कर दिया जाता है. पूरी तरह मौन व्रत का पालन करना होता है. इस दौरान किसी से भी बात नहीं कर सकते हैं. सिर्फ सहायक आचार्य से बात कर सकते हैं. यह विद्या शिक्षकों द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम से सिखायी जाती है. कोर्स के दौरान कोई शारीरिक परेशानी होने पर धम्म सेवक को अपनी बात कह सकते हैं. दसवें दिन जब व्यक्ति कोर्स कर बाहर निकलता है तो उनको अहसास होता है कि उनका मन कितना निर्मल हुआ है.

मन हो जाता है शांत, विकार व क्रोध होता है खत्म

10 दिनों तक साधना का अभ्यास करते-करते मन बिलकुल शांत हो जाता है. इसके बाद आप कोई भी काम शांतिपूर्वक और संयम के साथ कर सकते हैं. चित पर मैत्री-करुणा का भाव बढ़ता है. विकार व क्रोध कम होता चला जाता है.

भगवान बुद्ध ने 2600 साल पहले की थी शुरुआत

शिक्षकों के मुताबिक करीब 2600 साल पहले भगवान बुद्ध ने इस विद्या की शुरुआत की थी. इस विद्या में मन को काबू करना सिखाया जाता है, ताकि मन के विकार को दूर किया जा सके.

पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन करें अप्लाइ

सेंटर टीचर सज्जन गोयनका ने बताया कि नि:शुल्क कोर्स के लिए ऑनलाइन पोर्टल https://dhamma.org/ पर जाकर अप्लाइ करना होगा. पोर्टल पर जाकर, जिस तिथि को ध्यान करना होता है, उस तिथि के सामने अप्लाइ कर सकते हैं. फॉर्म भरने पर वह संबंधित केंद्र को चला जाता है. हर केंद्र की अलग-अलग क्षमता है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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