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इंटरव्यू: UPSC टॉपर ने पांच साल से नहीं देखी कोई फिल्म, सोशल मीडिया से दूर रहे शुभम, जानें सफलता का राज

यूपीएससी के ऑल इंडिया टॉपर शुभम कुमार से प्रभात खबर ने खास बातचीत की. शुभम ने अपनी सफलता के पीछे की पूरी कहानी बताइ है. लक्ष्य साधने के लिए ईमानदार कोशिश किस तरह जरूरी है ये आप भी जानें...

राजकिशोर/सूरज गुप्ता, कटिहार: यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया टॉपर हुए शुभम कुमार ने कहा कि जीवन में आप जो भी लक्ष्य तय करें, उसे पाने के लिए ईमानदारी से काम करना जरूरी है. यह ईमानदारी-प्रतिबद्धता ही वह मूल है, जो आपको आपके लक्ष्य के दरवाजे तक पहुंचा देती है. शुभम इन दिनों अपने गांव कटिहार के कुम्हरी में हैं. प्रभात खबर की टीम ने उनके बातचीत की. पढ़िए उसके महत्वपूर्ण अंश:

यूपीएससी जैसी परीक्षा में कैसे सफलता मिल सकती है. कितने घंटे की पढ़ाई और रीड़िंग मैटेरियल क्या होनी चाहिए?

किसी भी लक्ष्य को साधन के लिए समयबद्ध रणनीति बनानी होती है. फिर स्टडी मैटेरियल पर ध्यान केंद्रित करना होता है. मैं पांच-छह महीने दिल्ली में कोचिंग से जुड़ा था. उसके बाद सेल्फ स्टडी पर फोकस किया. स्टडी का सारा मैटेरियल इंटरनेट से मिल जाता है. एनसीइआरटी की सारी बुक ऑनलाइन मिल जाती है. न्यूज पेपर का सब्सक्रिप्शन भी ऑनलाइन मिल जाता है. यूट्यूब पर बहुत-सी स्टडी मैटेरियल उपलब्ध हैं. बस खुद को लक्ष्य के लिए समर्पित कर तैयारी में ईमानदारी से लगना होगा. न्यूजपेपर के जरिये करंट अफेयर्स की तैयारी आसान हो जाती है. पूरी एकाग्रता के साथ तैयारी में जुटना पड़ता है.

आप सोशल मीडिया के कौन से प्लेटफाॅर्म से जुड़े हैं?

मैं कभी भी किसी तरह के सोशल प्लेटफाॅर्म से नहीं जुड़ा हूं. सोशल मीडिया के प्लेटफाॅर्म पर मेरे नाम से कई फेक आइडी बनायी गयी हैं. मेरा सोशल प्लेटफाॅर्म पर कोई अकाउंट नहीं है. मैंने रविवार की रात को अपना एक ट्विटर अकाउंट खोला है.

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और किन बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है?

दिल्ली में एक दोस्त के साथ रहकर तैयारी की. दो-तीन लेवल पर प्लान होता था. पूरी रणनीति के साथ प्री से लेकर मेंस की तैयारी का प्लान बनाया. इसके बाद मंथली प्लान बनाया और फिर डेली प्लान तैयार किया. मैंने सुबह सात-आठ बजे से रात के आठ-नौ बजे तक पढ़ाई को लेकर प्लान तैयार किया. हर सब्जेक्ट की पढ़ाई का अलग-अलग समय तय निर्धारित किया. इसी प्लान पर अमल करता रहा. समय-समय पर उसका रिव्यू भी करता रहा और अभ्यास भी जारी रहा.

आपको कब लगा कि हम ऐसा कर सकते हैं और इसमें सबसे ज्यादा किनका योगदान रहा?

शुरू से ही सिविल सेवा में जाने की इच्छा थी. आइआइटी,बॉम्बे से करने के दौरान ही तैयारी शुरू कर दी थी. वर्ष 2018 में दिल्ली में आकर रणनीति के साथ तैयारी शुरू की. छह-सात महीने एक कोचिंग से जुड़ा. उसके बाद सेल्फ स्टडी के तहत ही तैयारी करने लगी. मेरे इस लक्ष्य को साधने में परिवार का पूरा साथ मिला. माता-पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों ने सपोर्ट किया.

अपने गुरुजन व गांव के लिए आप क्या योगदान देंगे?

यह बात सही है कि यहां तक पहुंचने में गुरुजनों का मार्गदर्शन व सहयोग रहा. हमारा इलाका पिछड़ा है. ग्रामीण क्षेत्र रहने की वजह से यहां शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य बुनियादी जरूरतों की काफी कमी है. मेरी कोशिश रहेगी कि इन पिछड़े इलाके के लिए कुछ बेहतर काम करें.

पसंदीदा खाना, पसंदीदा फिल्म, संगी, हीरो-हीरोइन, खेल, हॉबी के बारे में कुछ बताएं?

मुझे हरी साग-सब्जी खाना बेहद पसंद है. ग्रामीण क्षेत्रों में हरी साग सब्जी आसानी से मिल जाती है. सामान्य भोजन अच्छा लगता है. मूवी देखने में कोई दिलचस्पी नहीं रहती है. वर्ष 2017 के बाद मूवी देखी भी नहीं है. इसलिए हीरो-हीरोइन के बारे में कुछ बता नहीं सकता. मेरी टेबल टेनिस के साथ फुटबॉल और वॉलीबॉल में दिलचस्पी रही है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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