बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस वर्किंग कमेटी की विस्तारित बैठक अहमसंवाददाता,पटना बिहार विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी ने पटना के सदाकत आश्रम में अपनी वर्किंग कमेटी की विस्तारित बैठक आयोजित कर बिहार में अपनी राजनीतिक सक्रियता का सशक्त परिचय दिया है. स्वतंत्रता के बाद पहली बार इस तरह की बैठक का आयोजन होना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन तलाशने और पुनः बिहार में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए गंभीर है. 1990 के बाद से कांग्रेस बिहार में सत्ता से लगभग बाहर रही है. मगर पार्टी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व को स्वीकार करते हुए गठबंधन के माध्यम से राज्य में अपनी चुनावी राजनीति को जारी रखा है. अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पहली बार गंभीरता से सक्रियता दिखा रहा है जो पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नयी रणनीति और पुनरुत्थान की उम्मीद जगाती है. संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को राष्ट्रीय मुद्दा बना कर पार्टी की राजनीतिक अभियान को मजबूती दी है. राहुल गांधी के नेतृत्व में राज्य में ‘वोट अधिकार यात्रा’ निकाली गयी जिसने चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने का काम किया है. राष्ट्रीय स्तर पर बिहार वह एकमात्र राज्य है जहां विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में कांग्रेस इस चुनाव को केवल राज्य के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए राजनीतिक संदेश देने का मंच बना रही है. बैठक में तय होना है कि पार्टी ऐसे मुद्दे तैयार करे जो न सिर्फ बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनें बल्कि पूरे देश में कांग्रेस के लिए एक नया नैरेटिव भी तैयार करें. यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह कांग्रेस की चुनावी रणनीति को स्पष्ट रूप देने के साथ ही उसके अंदर एक नयी राजनीतिक ऊर्जा और संगठनात्मक मजबूती का परिचायक बने. बिहार में कांग्रेस के पुनरुद्धार की यह पहल न सिर्फ पार्टी के लिए बल्कि पूरे विपक्ष के लिए भी निर्णायक भूमिका निभा सकती है. देश की सारी निगाहें अब बिहार में कांग्रेस की इस सक्रियता पर हैं जो आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की वापसी का मार्ग प्रशस्त कर सकती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

