पटना. राज्य के सात सीमावर्ती जिलों में स्मार्ट गांव विकसित नहीं हो सके. केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस योजना तहत सीमा के समीप बड़ी आबादी वाले कम से कम एक गांव के विकास की परिकल्पना की गयी थी.राज्य में यह कार्य योजना एवं विकास विभाग के को-ऑर्डिनेशन में होना था, लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण यह योजना बिहार में परवान नहीं चढ़ सका.यह खुलासा सीएजी की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने योजना के लिए राशि भेज दी,लेकिन जिलों के द्वारा इसका उपयोग नहीं किया गया.पश्चिम चंपारण के जिला परियोजना पदाधिकारी के खाते में 27.24 करोड़ बिना उपयोग का पड़ा रहा. केंद्र ने जब इस बारे में पूछताछ की तो जवाब दिया कि स्मार्ट गांव के बदले वाइब्रेंट गांव योजना शुरू की गयी इसलिए जिलों ने दिलचस्पी नहीं दिखायी. इस योजना के तहत अररिया और सीतामढ़ी जिलों में दो मॉडल गांवों के लिए प्रस्ताव केंद्र भेजे गये थे.गृह मंत्रालय ने अररिया जिला के लिए 1.59 करोड़ की राशि स्वीकृति की थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

