आयकर विभगा के सर्वे में सीमावर्ती जिलों में काले धन को रियल स्टेट में लगाने के मिले सुबूत पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मधुबनी एवं सीतामढ़ी में निबंधन कार्यालयों की मिलीभगत उजागर संवाददाता, पटना. बिहार के सीमावर्ती जिलों में जमीन की रजिस्ट्री के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. आयकर विभाग के विशेष सर्वेक्षण में पता चला है कि पांच से दस करोड़ रुपये तक की जमीन की रजिस्ट्री के हजारों सौदे हुए, लेकिन निबंधन कार्यालयों ने खरीदार और विक्रेता की जानकारी विभाग को नहीं सौंपी. सूत्रों ने पुष्टि की है कि जमीन की खरीद बिक्री में अब तक करीब दो हजार करोड़ रुपये का अनरिपोर्टिड ट्रांजेक्शन पकड़ा गया है. सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि रियल एस्टेट से जुड़े इन सौदों में कर चोरी ही नहीं, काले धन के इस्तेमाल का भी प्रयोग हुआ है. नियमों के मुताबिक निबंधन कार्यालय को साल के अंत में 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की हर रजिस्ट्री की जानकारी आयकर विभाग को देना अनिवार्य है, लेकिन पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मधुबनी एवं सीतामढ़ी के निबंधन कार्यालय करोड़ों के सौदे भी दबा दिए गये. जांच में यह भी तथ्य सामने आया है कि बड़ी संख्या में जमीन की खरीद-बिक्री अमान्य पैन नंबर या डुप्लीकेट पैन के आधार पर की गयी. कई मामलों में तो पैन नंबर लिया ही नहीं गया और फॉर्म-60 भी दर्ज नहीं हुआ. सर्वेक्षण में उन दस्तावेजों का भी भंडाफोड़ हुआ है जिनमें जमीन की रजिस्ट्री के समय दो लाख रुपये से अधिक की रकम सीधे नकद दी गयी. यह सीधे-सीधे कर कानून का उल्लंघन है. विभाग को आशंका है कि इन सौदों में बेनामी संपत्ति और काले धन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है. आयकर विभाग ने ऐसे मामलों की गहन जांच शुरू कर दी है. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में खरीदारों, विक्रेताओं और रजिस्ट्री अधिकारियों तक पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है. सीमावर्ती जिलों में जमीन की कीमतों में तेज उछाल ने काले धन के निवेश को आसान बना दिया है.
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