28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

राम नवमी अनादिकाल से मनाई जा रही है, रामायण-महाभारत में भी इसकी चर्चा, जानिए कब-कहां किया गया है वर्णन

चैत्र शुक्ल नवमी 30 मार्च गुरुवार को भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का प्राकट्य उत्सव मनाया जायेगा. रामनवमी का वर्णन वाल्मीकि-रामायण, महाभारत के अलावा लगभग सभी पुराणों और तुलसी के अमर महाकाव्य रामचरितमानस में भी किया गया है. आइए जानते हैं...

पटना. महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं, अयोध्या अनादि काल से रामनवमी के उपलक्ष्य में लाखों भक्तों को आकर्षित करता रहा है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में भगवान विष्णु के प्रकट होने के उपलक्ष्य में रामनवमी मनायी जाती है. यह वाल्मीकि-रामायण, महाभारत के अलावा लगभग सभी पुराणों और तुलसी के अमर महाकाव्य रामचरितमानस में वर्णित है.

रामनवमी मनाने का कब-कहां किया गया है वर्णन

  • 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जब आईन-ए-अकबरी 1585 ईस्वी में लिखी गयी थी, इसके लेखक अबुल फजल ने यह उल्लेख करना नहीं भूला कि “चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को एक महान धार्मिक उत्सव मनाया जाता है.”

  • 1631 ईस्वी में जोंस डे लिएट ने लिखा कि भारत के सभी हिस्सों से तीर्थ यात्री इस स्थान पर आते हैं और मूर्ति की पूजा करने के बाद अपनी यात्रा के प्रमाण के रूप में कुछ अन्न या चावल अपने साथ ले जाते हैं.

  • 1767 में जब जोसेफ टिफेंथेलर ने अयोध्या में राम-जन्मभूमि का दौरा किया था तो उन्होंने उल्लेख किया है कि बड़ी संख्या में तीर्थयात्री राम के जन्मोत्सव मनाने के लिए यहां आते हैं.

  • 1859 में जब विष्णु भट्ट गोधे वरसीकर अयोध्या आये तो उन्होंने अयोध्या में रामनवमी पर सात से आठ लाख तीर्थयात्रियों को देखा.

  • 1879 में ‘नेशनल रिपॉजिटरी’ ने सूचना प्रस्तुत की : “अयोध्या में प्रतिवर्ष लगनेवाला रामनवमी का विशाल मेला हाल ही में बंद हुआ है. इसमें इस वर्ष लगभग दस लाख तीर्थयात्रियों का आगमन हुआ.”

  • 1881 में जब डब्ल्यू.डब्ल्यू. हंटर ने “द इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया” का संपादन किया, उन्होंने लिखा, “अयोध्या में थोड़ा-बहुत स्थानीय व्यापार होता है, लेकिन यहां हर साल होनेवाले रामनवमी के महान मेले में 5,00,000 लोग शामिल होते हैं.”

  • 1891 में ‘जॉर्ज रूटलेज एंड संस लिमिटेड’, लंदन द्वारा यूरोपीय यात्रियों के लिए एक पुस्तिका ‘पिक्चेरेस्क्यू’ इंडिया प्रकाशित की गयी थी. इसमें कहा गया है (परिशिष्ट 71) “महान् रामनवमी मेले के समय बड़ी संख्या में मंदिर और अन्य परिसर में लगभग 4,00,000 तीर्थयात्री जमा होते हैं.”

  • 1908 में जब ब्रिटिश संसद में भारत के सचिव प्राधिकार के तहत ‘इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया’ को ऑक्सफोर्ड से प्रकाशित किया गया था, तो निम्नलिखित जानकारी प्रस्तुत की गई थी: “यहां कोई व्यापार नहीं है; यदि है भी तो बहुत कम, लेकिन सालाना तीन महान मेले मार्च, अप्रैल (यानी रामनवमी), जुलाई-अगस्त (यानी सावन में झूलन) और अक्टूबर-नवंबर (यानी कार्तिकी-परिक्रमा) में लगते हैं, जिनमें कभी-कभी 4,00,000 लोग शामिल होते हैं. विशेष मेलों में दस लाख तक यात्रियों की उपस्थिति का अनुमान लगाया गया है.”

Also Read: जय श्री राम के नारों से गूंजेगा पटना, झांकियों में दिखेगी श्रीराम की कथा, जानिए और क्या होगा खास

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें