संवाददाता, पटना फाउंडेशन फॉर आर्ट, कल्चर, एथिक्स एंड साइंस (फेसेस) के द्वारा अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की पूर्व संध्या पर बांकीपुर कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक और छात्रों के समक्ष म्यूजियम-शिक्षा विषय पर भारत के पहले इन्फोड्रामा यक्षिणी की प्रस्तुति की गयी. संस्था की ओर से इन्फोड्रामा यक्षिणी में विश्व-प्रसिद्द मौर्यकालीन कलाकृति दीदारगंज यक्षिणी के 1917 में प्राप्त होने की सत्यकथा को व इस कलाकृति के पुरातात्विक और सौन्दर्यशास्त्रीय गुणों को विस्तार से प्रदर्शित किया गया है. इस नाटक में पीयू के छात्र नरेन्द्र और गुलाम रसूल की भूमिका में निखिल कुमार, डॉ जोगिन्दर नाथ समादार की भूमिका में डॉ प्रियदर्शी हर्षवर्धन, मि वाल्श की भूमिका में निखिल रंजन, प्रसिद्द पुरातत्वविद डॉ डीबी स्पूनर और ग्रामीण बदरुद्दीन की भूमिका में विनोद मिश्र, पंडित भुनेसर पांडे की भूमिका में श्री शुभम कुमार, ग्रामीण जानकी की भूमिका में संतोष कुमार, ग्रामीण अकलू व मालसलामी थाना के इंस्पेक्टर की भूमिका में अभिनव शर्मा, ग्रामीण दशईं की भूमिका में उमेश शर्मा, ग्रामीण रहमान की भूमिका में विक्रम प्रसाद, ग्रामीण बालक मुनवा की भूमिका में मास्टर लक्ष्य, ग्रामीण उत्खनक की भूमिका में निरंजन उपाध्याय और रामजी सिंह तथा धोबिन बुलकनी की भूमिका में निर्देशक सुनीता भारती ने 1917 में दीदारगंज, पटना के ग्रामीण परिवेश एवं नगर के तत्कालीन शैक्षणिक, बौद्धिक और प्रशासनिक परिदृश्य को जीवंत किया है. विद्यालय की प्राचार्या किरण कुमारी ने फेसेस टीम के कलाकारों एवं निर्देशक को संस्कृति-शिक्षा के इस अभिनव प्रयास के लिए बधाई दी और कहा कि नाटकीय माध्यम और मनोरंजक तरीके से शिक्षा का यह अभियान न केवल संस्कृति और विरासत की शिक्षा के लिए बल्कि मानविकी के अन्य विषयों में भी प्रभावी सिद्ध हो सकता है.
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