Patna News: पटना जिले के हजारों बच्चों और महिलाओं के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है. अब जिले के आंगनबाड़ी केंद्र छोटी झोपड़ियों या तंग किराये के कमरों में नहीं चलेंगे. सरकार ने इन केंद्रों को आधुनिक और पक्के भवनों में शिफ्ट करने का मेगा प्लान तैयार कर लिया है.
नाबार्ड के सहयोग से शुरू होने वाली इस योजना के तहत अब बच्चों को पढ़ाई और पोषण के लिए अपना स्थायी और सुरक्षित आशियाना मिलेगा. जिला प्रशासन ने इसके लिए कमर कस ली है और पहले चरण में सात प्रमुख अंचलों को इस बदलाव के लिए चुना गया है.
सात अंचलों में बदलेगी आंगनबाड़ी की सूरत
पहले चरण में पुनपुन, संपतचक, धनरूआ, मनेर, पालीगंज, मसौढ़ी और खुसरूपुर अंचल को शामिल किया गया है. इन इलाकों में लंबे समय से आंगनबाड़ी केंद्र अस्थायी ढांचों में संचालित हो रहे थे, जिससे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और सेविकाओं को परेशानी होती थी. अब इन केंद्रों को अपना स्थायी ठिकाना मिलेगा.
भवन निर्माण का काम नाबार्ड के सहयोग से किया जाएगा. निर्माण एजेंसी के तौर पर स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसकी देखरेख में भवनों का निर्माण होगा. सभी भवन गैर-मजरूआ जमीन पर बनाए जाएंगे और संबंधित अंचलों के सीओ द्वारा जमीन को लेकर एनओसी पहले ही दी जा चुकी है.
तीन डिसमिल जमीन पर बनेगा आधुनिक आंगनबाड़ी भवन
हर आंगनबाड़ी केंद्र का भवन कम से कम तीन डिसमिल जमीन पर बनेगा. इसमें बच्चों के बैठने और गतिविधियों के लिए एक बड़ा हॉल, पोषण आहार तैयार करने के लिए किचेन और एक टॉयलेट रूम की व्यवस्था होगी. इसका मकसद बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और अनुकूल माहौल देना है.
एक आंगनबाड़ी केंद्र के भवन निर्माण पर लगभग 19 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है. हालांकि, फिलहाल प्रति भवन 12-12 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. शेष राशि को लेकर बाद में निर्णय लिया जा सकता है. प्रशासनिक स्तर पर भवन निर्माण की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है.
5226 आंगनबाड़ी केंद्रों में से अधिकतर अभी भी अस्थायी
पटना जिले में कुल 5226 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से अधिकांश अभी भी किराये के भवनों या अस्थायी ढांचों में संचालित हो रहे हैं. पहले चरण में 27 भवनों का निर्माण इस दिशा में एक अहम शुरुआत माना जा रहा है.
कछुआरा, शाहपुर, अदैनी मुसहरी, डुमरी, पकौड़ा, बालुवा, रूपापुर, गोपीपुर, जमालपुर, बैकटपुर और अन्य गांवों में बनने वाले ये भवन न सिर्फ बच्चों के लिए बेहतर माहौल तैयार करेंगे, बल्कि आंगनबाड़ी सेवाओं को भी अधिक प्रभावी बनाएंगे. प्रशासन का मानना है कि आने वाले समय में इस मॉडल को जिले के अन्य केंद्रों तक भी विस्तार दिया जाएगा.

