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बिहार सरकार 70 एकड़ जमीन दे तो हम हाजीपुर में फूड प्रोसेसिंग विवि खोलने को तैयार : पशुपति पारस

प्रभात खबर ने सत्ता सिस्टम में बैठे लोगों, नौकरशाहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संवाद की नयी श्रृंखला शुरू की है. ऐसा संवाद, जो जन सरोकारों के साथ लोगों को जोड़ें. कार्यक्रम का उद्देश्य है कि नियम - नीति बनाने वालों, व्यवस्था को चलाने वालों तक आम लोगों से जुड़ी समस्या व सवाल पहुंचे.

प्रभात खबर के संवाद कार्यक्रम में शनिवार को केंद्रीय मंत्री और रालोजपा प्रमुख पशुपति कुमार पारस मुखातिब थे. उन्होंने बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संभावनाएं, यहां के प्रमुख उत्पादों, अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव के साथ ही भतीजे चिराग पासवान को लेकर भी बातें कीं. बिहार में फूड प्रोसेसिंग की पढ़ाई को लेकर उन्होंने कहा कि अगर सरकार जमीन दे तो केंद्र यहां विश्वविद्यालय खोलेगा, जो देश में तीसरा होगा. लोजपा के दोनों गुटों के विलय को लेकर पूछे गये प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि चिराग निष्पक्ष भाव के साथ आएं तो कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन, उनके इर्द-गिर्द जितने लोग भी हैं, वे अच्छे सलाहकार नहीं हैं. जातीय गणना के मसले पर श्री पारस ने कहा कि यह देश में होनी चाहिए. इसमें सभी जाति और धर्म की गिनती की जानी चाहिए. पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर उन्होंने कहा कि इस पर पुन: विचार किया जाना चाहिए.

प्रश्न : बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की क्या संभावनाएं हैं ?

  • उत्तर : बिहार में लीची, मक्का सहित कई उत्पादों के खाद्य प्रसंस्करण की काफी संभावनाएं हैं. इससे तीन बड़े फायदे हैं. किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, आम जनता को अच्छा सामान उपलब्ध होगा और तीसरा शिक्षित बेरोजगारों को इसके माध्यम से रोजगार सुलभ हो सकेगा. प्रसंस्कृत किये गये उत्पाद सामान्य से पांच गुणा अधिक कीमत पर बिकते हैं और उनको बड़ा बाजार भी उपलब्ध होता है.

प्रश्न : मंत्रालय के जरिये बिहार को क्या सौगात देना चाहेंगे ?

  • उत्तर : फूड प्रोसेसिंग की पढ़ाई को लेकर वर्तमान में मात्र दो जगह तमिलनाडु के तंजावुर और हरियाणा के सोनीपत में निफटेम (नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी इंटर्नशिप एंड मैनेजमेंट) विश्वविद्यालय है. बिहार में निफटेम का एक्सटेंशन सेंटर हाजीपुर में खोलने के लिए इसी साल 23 सितंबर को बीएसएनएल के साथ एग्रीमेंट कर काम शुरू कर दिया गया है. इसको जनवरी से प्रारंभ करने की योजना है. फिलहाल इसमें ट्रेनिंग सेंटर खुलेगा. विश्वविद्यालय के लिए 70 एकड़ जमीन की जरूरत होती है. अगर राज्य सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध करा दे, तो हम इस विश्वविद्यालय को बिहार में खोलने का पूरा प्रयास करेंगे.

प्रश्न : फूड प्रोसेसिंग को लेकर बिहार में क्या हो रहा है ?

  • उत्तर : फूड पार्क स्थापित करने में 50 एकड़ जमीन और 100-150 करोड़ रुपये का निवेश लगता है. इसके बावजूद देश भर में 43 में से 21 फूड पार्क ही सफल हो सके हैं. इसको देखते हुए अब देश भर में मिनी फूड पार्क खोलने की पहल की जा रही है. इसके लिए मात्र 10 एकड़ जमीन और 10 से 20 करोड़ रुपये का ही बजट लगता है. बिहार में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत मंत्रालय ने अब तक कुल 12 परियोजनाओं (2 मेगा फूड पार्क, छह कोल्ड चेन, एक मिनी फूड पार्क और तीन फूड प्रोसेसिंग यूनिट) को मंजूरी दी है. बिहार में मेगा फूड पार्क योजना के लिए लगभग 87.30 करोड़ रुपये, कोल्ड चेन योजना के लिए लगभग 48.45 रुपये, मिनी फूड पार्क के लिए लगभग 7.90 करोड़ रुपये व यूनिट स्कीम के लिए लगभग 11.80 करोड़ रुपये का अनुदान अनुमोदित किया जा चुका है.

प्रश्न : बिहार के कौन-कौन से उत्पाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाते दिखते हैं, उन्हें प्रमोट करने में आप क्या योगदान करना चाहेंगे?

  • उत्तर : बिहार के सभी 38 जिलों के लिए एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत मखाना, लीची, केला, बेसन, सत्तू और चावल आधारित उत्पाद चिउड़ा, भूजा आदि की पहचान कर ली गयी है, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनायी है. फलों के लिए वैशाली और सब्जियों के लिए नालंदा में दो इंक्यूबेसन केंद्र स्वीकृत किये गये हैं. इसके साथ ही बिहार में उत्पाद लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत लालगंज, बेगूसराय, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, पटना, मुंगेर आदि में फूड प्रोसेसिंग के प्लांट भी लगाये जा रहे हैं.प्रश्न : बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव का क्या परिदृश्य होगा, चालीस में से किसके हिस्से कितनी सीटें आयेंगी

प्रश्न : बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव का क्या परिदृश्य होगा, चालीस में से किसके हिस्से कितनी सीटें आयेंगी

  • उत्तर : हमारा उद्देश्य 2024 में फिर से केंद्र में एनडीए की सरकार बनाना है. इसके लिए सभी 40 सीटों पर जीत की तैयारी चल रही है. भाजपा गठबंधन की बड़ी पार्टी है और इसको लेकर समय पर फैसला करेगी. लोजपा 2014 से एनडीए के साथ जुड़ी हुई है. स्व रामविलास पासवान जी ने बिना किसी शर्त एनडीए को अपना समर्थन दिया था. मैं जब तक राजनीति में रहूंगा, एनडीए के साथ रहूंगा. सीटों का बंटवारा मिल कर तय कर लेंगे. लोकसभा चुनाव में बिहार में 40 सीटों पर जीतेंगे तो 2025 में भी सभी 243 सीटों पर जीतने की तैयारी करेंगे.

प्रश्न : चिराग अगर एनडीए में रहेंगे तो आप किस ओर होंगे

  • उत्तर : भारत बहुत बड़ा देश है. यहां कितनी पार्टियां होंगी. एनडीए में बहुत ही पार्टियां हैं. इसमें चिराग पासवान भी आ जाएं, तो हमको क्या आपत्ति होगी ?

प्रश्न : अगर लोजपा के दोनों गुटों के विलय की कोई संभावना बने, तो क्या आप तैयार होंगे ?

  • उत्तर : दल टूटता है, तो जुड़ जाता है, लेकिन दिल टूटता है तो नहीं जुड़ता. यहां दल और दिल दोनों टूटा है. परिवार का मुखिया के नाते चिराग को सड़क-सड़क घूमते देख दर्द होता है. वैसे व्यक्ति नहीं समय बलवान होता है. परिवार को टूटने में हमारा कोई दोष हो तो बता दीजिए. हमारे कार्यकाल में छह सांसद और एक राज्यसभा सांसद बने, फिर क्या कारण था कि बिना किसी कारण के हमको अध्यक्ष पद से हटा दिया ? यह सवाल भविष्य के गर्भ में है. हमारी पार्टी में बहुत सारे लोग हैं और उनका भविष्य भी हमारे साथ जुड़ा है. चिराग निष्पक्ष भाव के साथ आएं तो कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन, उनके इर्द-गिर्द जितने लोग भी हैं, वे अच्छे सलाहकार लोग नहीं हैं. सलाह होगी कि मिल जुल कर पार्टी और देश को चलाओ.

Also Read: प्रभात खबर संवाद: पशुपति पारस बोले- पिता की संपत्ति के वारिस हैं चिराग, मैं हूं राजनीतिक उत्तराधिकारी

प्रश्न : रामविलास पासवान जी की बड़ी राजनीतिक विरासत रही है. इस विरासत पर चिराग की दावेदारी को आप कैसे देखते हैं?

  • उत्तर : चिराग पासवान रामविलास पासवान नहीं हो सकते ? रामविलास पासवान जी का उनमें कोई गुण ही नहीं है. रामविलास जी हम भाइयों के साथ दो नदी पार कर स्कूल पढ़ने जाते थे. हम लोग मार भी खाये, जेल भी गये, जमीन पर सोये, फाइव स्टार होटल में भी रहे. चिराग को गरीबी का अनुभव ही नहीं है. क्या कारण रहा कि पासवान जी के नहीं रहने पर उनका परिवार टूट गया? भारत के संविधान के मुताबिक चिराग पासवान को पिता की संपत्ति पर अधिकार है, लेकिन पासवान जी का राजनीतिक उत्तराधिकारी मैं ही हूं. 1977 में जब उनकी सीट खाली हुई तो हमको टिकट मिला. 2019 में जब वे राज्यसभा गये तो उन्होंने अपने बेटे या पत्नी को टिकट नहीं दिया, मुझे हाजीपुर से चुनाव लड़ाया.

प्रश्न : परिवार की अगली पीढ़ी का राजनीतिक भविष्य क्या है ?

  • उत्तर : देश में रामविलास पासवान का एकमात्र परिवार रहा है, जिसके घर में पांच सांसद हुए. रामविलास पासवान, रामचंद्र पासवान और मेरे (पशुपति पारस) बाद चिराग पासवान और प्रिंस राज सांसद हैं. यह गिनीज बुक में दर्ज हो सकता है. मुलायम सिंह यादव के खुद के परिवार में भी इतने सांसद नहीं रहे. प्रिंस राज और कृष्ण राज पासवान रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. मेरे बेटे यशराज पासवान को राजनीति में रुचि नहीं है और वो सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा है.

प्रश्न : आपका राजनीति में किस तरह आना हुआ ?

  • उत्तर : 1977 से पहले राजनीति में आने की हमारी कोई योजना नहीं थी. हम तो पॉलिटिकल साइंस से ऑनर्स करने के बाद कमीशन के माध्यम से नियुक्त होकर सरकारी नौकरी कर रहे थे. खगड़िया में 14 महीने तक नौकरी भी की. लेकिन, 77 में जब रामविलास पासवान हाजीपुर से सांसद बने तो अलौली सीट खाली हो गयी. कर्पूरी ठाकुर और रामानंद तिवारी जी की राय पर पासवान जी के परिवार से मुझको अंतिम क्षण में टिकट दिया गया. जनता के आर्शीवाद से उस समय सबसे कम उम्र का विधायक रहा. उसके बाद सात बार उस क्षेत्र से विधायक चुने गये. चार बार बिहार सरकार में मंत्री बने. इसके बाद विधान पार्षद बने. हम सांसद का चुनाव लड़ कर केंद्र की राजनीति नहीं करना चाहते थे. लेकिन पार्टी और बड़े भैया के आदेश पर अपनी इच्छा के विरुद्ध हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. संयोग ही है कि पहली बार सांसद चुने जाने के बावजूद केंद्र की सरकार में कैबिनेट मंत्री हूं.

प्रश्न : कई बार नीतीश जी के काम की प्रशंसा की, फिर अब उनके खिलाफ बयानबाजी क्यों ?

  • उत्तर : यह किसी व्यक्ति नहीं बल्कि सत्ता के खिलाफ बयान है. विपक्ष का काम ही सत्ताधारी दल के अवगुण को उभार कर उनको बताना है. वर्तमान में बिहार की विधि-व्यवस्था की स्थिति किसी से छिपी है क्या ? शराबबंदी की यह हालत है कि ट्रक ड्राइवर 50 रुपये की शराब पीकर आठ बच्चों को सड़क पर रौंद देता है. हम शराबबंदी के समर्थक हैं, लेकिन यह असल में दिखना भी चाहिए. नीतीश जी को भी मालूम हो कि पटना में शराबबंदी की हालत सबसे खराब है, लेकिन इस पर रोक नहीं लग पा रही.

प्रश्न : क्या आप नहीं चाहते की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले ?

  • उत्तर : विशेष राज्य का अब प्रावधान ही नहीं रहा. वैसे नीतीश कुमार जब 14 साल एनडीए गठबंधन में मुख्यमंत्री रहे, तो उन्होंने यह मांग क्यों नहीं रखी? बिहार के विकास को लेकर केंद्र सरकार हर स्तर पर लगातार प्रयास कर रही है.

प्रश्न : क्या आप चाहेंगे कि 2025 में बिहार में दलित मुख्यमंत्री बने ?

  • उत्तर : भोला पासवान शास्त्री और रामसुंदर दास जी के बाद अगर किसी दलित को मुख्यमंत्री बनने का मौका मिलता है, तो इससे अच्छी बात क्या होगी? लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा में आपकी संख्या भी होनी चाहिए. जिसका बहुमत होगा, वही मुख्यमंत्री बनेगा. अगर चुनाव बाद बिहार में कोई ऐसी परिस्थिति बनती है तो हम चाहेंगे कि दलित सीएम बने.

प्रश्न : जातीय जनगणना और पुरानी पेंशन स्कीम पर आपकी पार्टी का क्या स्टैंड है ?

  • उत्तर : जातीय गणना पूरे देश में होनी चाहिए. इसमें सभी जाति और धर्म की गिनती की जानी चाहिए. पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर भी मांग उठती रही है. हमारे हिसाब से इस पर पुन: विचार किया जाना चाहिए. नगर निकाय चुनाव के मामले में बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग पहले ही देख लेनी चाहिए थी. बिहार सरकार ने जानबूझ कर चुनाव को फंसाने का काम किया. अब तक उम्मीदवारों के कितने पैसे बर्बाद हो गये.

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