अररिया, किशनगंज व जहानाबाद जिले से शुरू होगी कवायद
मनोज कुमार, पटना
मनरेगा में अब मजदूरों का चेहरा मिलान करने के बाद ही काम मिलेगा. यह सुनिश्चित किया जायेगा कि काम पर आया व्यक्ति वही है, जिसके पास काम का अधिकार है. बिहार में अररिया, किशनगंज और जहानाबाद जिले से इसकी शुरुआत होगी. इन तीनों जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है. इन तीनों जिले के बाद राज्य के अन्य जिलों में इसे लागू किया जायेगा. मनरेगा के लिए बनायी गयी राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) ऐप में फेस ऑथेंटिकेशन ऐप को जोड़ा (एकीकृत) जायेगा. फेस ऑथेंटिकेशन ऐप से श्रमिकों की उपस्थिति को उनके चेहरे से सत्यापित किया जायेगा. इससे यह सुनिश्चित होगा कि काम पर आने वाले श्रमिक वास्तविक है. इससे मनरेगा में फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी. किसी के बदले कोई दूसरा मजदूरी नहीं कर पायेगा.
मनरेगा में अभी पंजीयन नंबर के आधार पर काम मिलता है. कोई भी अपना पंजीयन नंबर बताकर किसी को अपने बदले में काम के लिए भेज सकता है. अब इस नयी तकनीक से वास्तविक श्रमिक ही काम कर सकेगा. अगर वास्तविक मजदूर काम पर नहीं आयेगा तो, हाजिरी ही नहीं बनेगी. हाजिरी नहीं बनेगी तो, भुगतान नहीं होगा.
मनरेगा में अभी राज्यभर में 10 फीसदी ही कार्य हो रहे हैं. बरसात के कारण 90 फीसदी कार्य ठप हो गये हैं. वर्तमान में अभी पौधारोपण और प्रधानमंत्री आवास में ही मजदूरों को काम मिल रहा है. पोखर, पईन और कच्ची सड़क निर्माण का कार्य पूरी तरह से बंद है. मनरेगा में इस वित्तीय वर्ष 21 करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य रखा गया है. इसमें अभी तक 14 करोड़ 95 लाख मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है.
21 लाख से घटकर सवा लाख मजदूर ही कर रहे काम
मनरेगा में आम दिनों में प्रतिदिन 21 से 23 लाख तक मजदूर मजदूरी करते हैं. वर्तमान में प्रतिदिन एक लाख मजदूर ही काम कर रहे हैं. बारिश के कारण लगभग 22 लाख मजदूर अभी मनरेगा में कम काम कर रहे हैं. मनरेगा में रेगुलर कार्य होने से प्राय: मजदूरी मद में राशि का टोटा बना रहता है. वर्तमान में मजदूर काफी कम संख्या में काम कर रहे हैं. इस कारण मनरेगा मजदूरों के भुगतान में अभी समस्या नहीं आ रही है. मजदूरी मद में 200 करोड़ रुपये शेष हैं.
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