Upendra Kushwaha: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है. यह धमकी उन्हें सोमवार शाम को मिली, जिसकी जानकारी उन्होंने खुद मंगलवार को सोशल मीडिया X (पहले ट्विटर) पर साझा की. धमकी भरे संदेशों में गंभीर भाषा का इस्तेमाल करते हुए 15 जुलाई तक कुछ बड़ा होने की चेतावनी दी गई है. कुशवाहा ने इसे न केवल अपनी सुरक्षा, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है.
X पर साझा किए धमकी संदेश
कुशवाहा ने पोस्ट में लिखा- “7 जुलाई को शाम 7:25 से 7:36 के बीच मोबाइल नंबर 7780012505 से तीन धमकी भरे संदेश भेजे गए. पहले भी मुझे धमकियां मिल चुकी हैं, जिनकी जानकारी प्रशासन को दी गई थी. अब यह सिर्फ एक व्यक्ति की सुरक्षा नहीं, लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है.”
उन्होंने धमकी भरे मैसेज का स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें कहा गया है – “राजनीति मत करो, नहीं तो सही नहीं होगा… हम छोड़ने वालों में से नहीं हैं… आपको पता चल जाएगा 15 तारीख को. भाई के खर्चे से पूरा बिहार हिला देंगे.”
पहले भी मिल चुकी है धमकी, आरोपी निकला समर्थक
20 जून को भी उपेंद्र कुशवाहा को जान से मारने की धमकी मिली थी. उस वक्त कॉल लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम से की गई थी. हैरानी की बात यह रही कि पुलिस जांच में आरोपी उन्हीं की पार्टी का कार्यकर्ता निकला- राकेश कुमार, जो सीवान के दरौली का रहने वाला है. उसने पुलिस को बताया कि वह कुशवाहा की एनडीए से जुड़ी गतिविधियों से नाराज था और इसी वजह से उसने धमकी दी थी.
फोन कॉल और SMS से भी दी गई थी धमकी
कुशवाहा ने इससे पहले भी बताया था कि 8:52 से 9:20 बजे के बीच उन्हें लगातार सात धमकी भरे कॉल आए थे, जिनमें कहा गया कि “अगर एक पार्टी विशेष के खिलाफ बयानबाजी की तो 10 दिन के भीतर खत्म कर दिया जाएगा.” धमकी देने वाले खुद को बिश्नोई गैंग का सदस्य बता रहे थे.
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
सांसद ने पटना एसएसपी से मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह अब व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र और लोकतंत्र की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है. उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इस मामले को हल्के में न लें और दोषियों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई हो.
राजनीतिक सफर और पृष्ठभूमि
उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अब तक कुल 9 चुनाव लड़े हैं, जिनमें से केवल 2 बार जीत दर्ज की है. पहली बार वे वर्ष 2000 में समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधायक बने थे. 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे. इन दिनों वह जन सुराज और एनडीए से जुड़े सियासी घटनाक्रमों को लेकर लगातार सक्रिय और मुखर हैं.
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