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Love: रिश्तों का मर्म समझायेगा ‘प्यार और ब्रेकअप’ कोर्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी की तर्ज पर पीयू और पीपीयू में भी शुरू…

Love: आज कल के युवा रिश्ते बना तो लेते हैं, मगर उन्हें लंबे समय तक चलाने में कामयाब नहीं हो पाते. पहले लोग कमिटमेंट में विश्वास रखते थे, जो जीवन भर साथ चलते थे. आज के युवाओं की सोच बदल गयी है. ये अब कम‍िटेड होने से कतराते हैं. वे न तो पूरी तरह से दोस्ती निभा पाते हैं, और न ही एक सीरियस रिलेशनशिप. इसी से बचने और बॉन्डिंग बढ़ाने के लिए हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) ने ‘नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप’ नामक नये कोर्स की शुरुआत की है, जो छात्रों को प्यार-ब्रेकअप और रिश्तों से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद करेगा. आज के समय में इस तरह के कोर्स की जरूरत क्यों है? क्या बिहार के यूनिवर्सिटियों में इसे शुरू किया जा सकता है? आदि से जुड़े सवालों के लिए पढ़िए प्रभात खबर की रिपोर्ट...

Love: पटना. दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) ने छात्रों की भावनात्मक और मानसिक सेहत को ध्यान में रखते हुए एक नया और अनूठा इलेक्टिव कोर्स शुरू किया है. इस कोर्स का नाम है ‘नेगोशिएटिंग इंटीमेट रिलेशनशिप्स’. इसे मनोविज्ञान विभाग द्वारा डिजाइन किया गया है और यह 2025-26 सत्र से छात्रों के लिए उपलब्ध होगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी का यह कोर्स रिश्तों को लेकर आज के युवाओं की सोच को वैज्ञानिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण देने का प्रयास है. यह सिर्फ एक शैक्षणिक कोर्स नहीं, बल्कि एक मानसिक स्वास्थ्य अभियान की तरह है, जो आने वाले दिनों में देशभर के विश्वविद्यालयों के लिए एक मॉडल बन सकता है.

जाने- इस कोर्स का क्या है उद्देश्य

इस कोर्स का मकसद छात्रों को रिश्तों की बारीकियों को समझाना है. जैसे कि दोस्ती, प्रेम, आकर्षण, ब्रेकअप, जलन, आत्मसम्मान, नफरत और मनोवैज्ञानिक हिंसा जैसी स्थितियों से कैसे निपटा जाये. कोर्स के जरिये यह सिखाया जायेगा कि: रिश्तों में ‘रेड फ्लैग’ कैसे पहचानें. ब्रेकअप के बाद मानसिक संतुलन कैसे बनाये रखें. भावनाओं को कैसे संभालें. स्वस्थ और भरोसेमंद रिश्ते कैसे बनाए जाएं. कोर्स में ‘कबीर सिंह’ और ‘टाइटैनिक’ जैसी फिल्मों के उदाहरणों के जरिये रिश्तों के मनोविज्ञान को समझाया जायेगा. सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स और वर्चुअल वर्ल्ड की भूमिका को भी इसमें शामिल किया गया है.

आज के समय में क्यों है यह जरूरी?

मनोविज्ञान विभाग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि आज के डिजिटल दौर में रिश्ते बहुत जल्दी बनते और टूटते हैं. युवा भावनात्मक तौर पर परिपक्व नहीं होते, जिससे छोटी बातों पर तनाव, अवसाद और आत्महत्या जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं. मगध महिला कॉलेज मनोविज्ञान विभाग की डॉ निधि सिंह कहती है कि युवा दिल टूटने की स्थिति में खुद को अकेला और असहाय महसूस करते हैं. यह कोर्स उन्हें भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम पहल है.

कोर्स की खास बातें

  • यह चार क्रेडिट का कोर्स होगा
  • हर हफ्ते तीन लेक्चर और एक ट्यूटोरियल होगा-छात्रों को आत्मविश्लेषण, रोल-प्ले और केस स्टडी के जरिये रिश्तों को समझाया जायेगा
  • सोशल मीडिया व्यवहार, सीमाओं की पहचान और सहमति पर चर्चा

बिहार के यूनिवर्सिटियों में भी ऐसे कर्स की जरूरत

प्रभात खबर ने इस कोर्स की अवधारणा पर पटना यूनिवर्सिटी व पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी से जुड़े मनोविज्ञान शिक्षकों और छात्रों से बात की. दोनों यूनिवर्सिटियों के प्रोफेसर ने कहा कि यह बहुत ही सकारात्मक पहल है. बिहार जैसे राज्यों में भी युवाओं को इस तरह के इमोशनल एजुकेशन की जरूरत है. अगर यूजीसी स्तर पर इसे समर्थन मिलता है, तो पटना यूनिवर्सिटी, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में भी ऐसा कोर्स शुरू किया जा सकता है. वहीं, पीजी मनोविज्ञान की छात्रा ने बताया कि आज हम पढ़ाई के साथ-साथ भावनाओं से भी जूझते हैं. ऐसे में अगर यूनिवर्सिटी हमें सिखाएं कि कैसे रिश्तों को संभालें, तो यह खुद को समझने का जरिया बन सकता है.

विशेषज्ञों और छात्रों ने दिये राय, ऐसे कोर्स की जरूरत है, पीयू भी कर रहा काम

आज के युवाओं को सिर्फ कैरियर गाइडेंस नहीं, बल्कि इमोशनल गाइडेंस की भी जरूरत है. रिश्तों को कैसे निभाना है, यह कोई नहीं सिखाता. ऐसे में दिल्ली यूनिवर्सिटी का यह कोर्स साहसिक और दूरदर्शी कदम है. पढ़ाई के साथ क्रेडिट भी मिलेगा और रिश्तों और अकेलेपन को स्टूडेंट्स समझेंगे भी. बच्चों के अनुसार कोर्स डिजाइन करने की जरूरत है. पटना यूनिवर्सिटी भी इस तरह काम करना शुरू कर दिया है. कुलपति मनोविज्ञान के अलग-अलग आयामों को लेकर सक्रिय हैं. हम भी ऐसा कोर्स शुरू करने के लिए तैयार हैं. हम पढ़ाई करके स्टूडेंट्स के प्रॉब्लम को बता सकते हैं. स्टूडेंट्स पढ़ाई भी करेंगे और क्रेडिट भी हासिल कर सकते हैं. – डॉ निधि सिंह, मनोविज्ञान विभाग, मगध महिला कॉलेज

सामाजिक सहायता की भी है जरूरत

जरूरत है सामाजिक सहायता की समसामयिक विषयों पर चर्चा की जाये तो दिल्ली यूनिवर्सिटी का नया कोर्स आवश्यक लगता है. बदलते परिवेश में यह दिक्कतें सामने आ रही हैं जहां हम अपने भाव सही तरीके से उजागर नहीं कर पा रहे. नवयुवकों नवयुवतियों को जरूरत है अपने भाव और व्यवहार का अवलोकन करने की, मगर साथ ही जरूरत है सामाजिक सहायता की. -डॉ नूपुर सिन्हा, एचओडी, मनोविज्ञान विभाग, पीडब्ल्यूसी

सराहनीय है डीयू की यह पहल

डीयू की पहल सराहनीय है. मनोविज्ञान के शिक्षक ने समाज को ध्यान में रखते हुए यह कोर्स जारी किया है. एकल परिवार की पद्धति बढ़ती जा रही है इसको देखते हुए यह कोर्स काफी बेहतर है. माता-पिता कई बार समझ नहीं पाते हैं. इसमें समाज की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. कई तरह के दबाव से बच्चे गुजरते हैं, उसे समझने की जरूरत है. बच्चों को हर परिस्थिति से निपटने की शिक्षा ग्रहण करनी होगी. डीयू ने बेहतर पहल की है. इस तरह के कोर्स को पूरे देश में लागू करने की जरूरत है. – डॉ अनुप्रिया, मनोविज्ञान से पीएचडी

हम अक्सर रिश्तों में फंस जाते हैं लेकिन बाहर निकलना नहीं जानते. ब्रेकअप के बाद जो मानसिक स्थिति होती है, वो पढ़ाई से लेकर जीवन तक को प्रभावित करती है. अगर कोई हमें समझा दे कि रिश्ते कैसे संभालें, तो हम ज्यादा संतुलित इंसान बन सकते हैं. – अंशुमान, युवा लेखक

आज का युवा सोशल मीडिया से जुड़ा है लेकिन भावनात्मक रूप से टूट चुका है. यह कोर्स बहुत ही जरूरी है. पटना या बिहार के किसी विश्वविद्यालय में भी अगर ऐसा कोर्स शुरू हो, तो मैं जरूर पढ़ना चाहूंगी. – शैल सिंह, छात्र

प्यार, नफरत, ईर्ष्या, गुस्सा-यही सब युवा मन में चलता रहता है, लेकिन उसे दिशा नहीं मिलती. अगर उन्हें यह सिखाया जाये कि कैसे भावनाओं को समझें और संबंधों को बेहतर करें, तो मानसिक बीमारियों और आत्महत्या के मामलों में भारी गिरावट आ सकती है. – रोहित कुमार, छात्र, पीपीयू

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Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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