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बिहार : भकचोन्हर, फिर विसर्जन और अब बुखार छुड़ा देंगे! आखिर लालू क्यों दे रहे ये बयान

बिहार चुनाव से ठीक पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भकचोन्हर, फिर विसर्जन और अब बुखार छुड़ा देंगे! यह बयान देकर बिहार की राजनीति में अपनी इंट्री मारी. लालू प्रसाद आखिर ऐसे बयान क्यों देते हैं.

पटना. चुनाव से ठीक पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भकचोन्हर, फिर विसर्जन और अब बुखार छुड़ा देंगे! यह बयान देकर बिहार की राजनीति में अपनी इंट्री मारी. लालू प्रसाद आखिर ऐसे बयान क्यों देते हैं. प्रभात खबर के संपादक अजय कुमार लालू प्रसाद के इस अंदाज को लेकर कहते हैं कि लालू प्रसाद अपने इस अंदाज से अपने वोटरों के साथ कनेक्ट होते हैं. शुरु से ही गरीबों, अशिक्षित, पिछड़ा और ग्रामीणों तबके के लोग उनके वोटर रहे हैं. यही कारण है कि वे अपने इसी अंदाज से अपने वोटरों को साधते हैं. लालू वोटरों को गुदगुदाने के लिए कई बार चुटकुला और देहाती कहावत भी कहते नजर आते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्रा का कहना है कि लालू ऐसी बयानबाजी अपने वोटरों के बीच जोश भरने के लिए करते हैं. यही कारण है कि लालू प्रसाद अपनी चुनावी सभाओं में जब पहुंचते हैं या फिर किसी माध्यम से अपने लोगों से कनेक्ट होते हैं तो भकचोन्हर, बुखार छुड़ा देंगे, विसर्जन कर देंगे, कचुमर निकाल देंगे जैसे बयानों का उपयोग करते हैं. वे इसके माध्यम से अपने वोटरों को गोलबंद करने की भी कोशिश करते हैं. लालू प्रसाद अपने इन बयानों से अपने विरोधियों को भी एक तरह से परेशान करते हैं. ताकि उनके विरोधी एक तरह से दबाव में रहे और जिसका लाभ वो उठा सकें.

यही कारण है कि लंबी बीमारी के बाद वे बुधवार को चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे तो वे अपनी वापसी का भरपूर आनंद उठाया. अपने पुराने अंदाज में अपने विरोधियों पर तंज कसा. भले शरीर से वे थोड़े कमजोर नजर आ रहे थे, लेकिन पहले की तरह ही ठेठ गंवाई अंदाज में उन्होंने अपने वोटरों को साधने की कोशीश किया. पटना आने से पहले कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को भकचोन्हर कहकर चुनाव मैदान में इंट्री से पहले सिक्सर मारकर अपने वोटरों को गुदगुदाने का काम किया.

अगले दिन विसर्जन और फिर बुखार छुड़ा देंगे कहकर बिहार में हो रहे विधानसभा के दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मैदान फतह का प्रयास किया है. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि लालू अपनी इस आक्रामक बयानों से विरोधियों को टारगेट कर उन पर प्रेशर बनाया और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया. उनको इसका दोनों चुनावी सभा में लाभ भी मिला. उनको देखने और सुनने के लिए छह साल बाद भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे.

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