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बिहार में अब घर बैठे मिलेगा शाही लीची और जर्दालु आम का स्वाद, सरकार कर रही व्यवस्था

सरकार भागलपुर के जर्दालु आम और मुजफ्फरपुर की शाही लीची की ऑनलाइन मार्केटिंग कराने की तैयारी कर चुकी है. आॅनलाइन कारोबार करने वाली कंपनी उड़ान, देहात और बिग बास्केट से बातचीत कर रही है.

पटना. सरकार भागलपुर के जर्दालु आम और मुजफ्फरपुर की शाही लीची की आॅनलाइन मार्केटिंग कराने की तैयारी कर चुकी है. आॅनलाइन कारोबार करने वाली कंपनी उड़ान, देहात और बिग बास्केट से बातचीत कर रही है. बात बन जाती है ,तो बिहार के लोगों को इसी सीजन से घर बैठे ही किसान समूहों (एफपीओ) के बागों में प्राकृतिक रूप से पके हुए लीची- आम की फ्री होम डिलिवरी मिलेगी.

वहीं, कोरोना काल में किसानों को बाजार से जुड़ने का पूरा लाभ मिलेगा. कृषि विभाग उड़ान, देहात, और बिग बास्केट से पहले चरण की बातचीत कर चुका है. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को कहा है कि कंपनी लोगों से आॅर्डर लेगी. उसके बाद प्रतिनिधि कृषि विभाग द्वारा गठित किसान समूह के बागों में जाकर ताजे और पके हुए फल किसान से खरीदकर, लोगों को उपलब्ध करायेंगे.

उपभोक्ताओं के घर पहुंचने वाला यह फल प्राकृतिक रूप से पका हुआ होगा. जर्दालु आम और शाही लीची से जुड़े किसान उत्पादक समूहों को उद्यान निदेशालय में गठित तकनीकी सहयोग समूह के माध्यम से बिग बास्केट, देहात और उड़ान जैसी संस्थाओं से जुड़ने का प्रयास किया गया है. इन संस्थानों के माध्यम से बिहार के विशिष्ट उत्पाद देश के उपभोक्ताओं तक पहुंच सकेगा.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परिकल्पना हर भारतीय की थाली में बिहार का एक उत्पाद हो को पूरा करेगी. मंत्री ने कहा कि शाही लीची और जर्दालु आम बिहार के गौरव एवं विशिष्ट उत्पाद हैं. इनको भौगोलिक सूचकांक जीआइ टैग प्राप्त हैं.

जर्दालू आम एवं शाही लीची के किसानों को इस कोरोना काल में बाजार की व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए सचिव कृषि डा. एन सरवण कुमार एवं उद्यान निदेशक नंद किशोर के प्रयासों को भी सराहा है. योजना के अंतर्गत किसान उत्पादक कम्पनियों को बाजार के साथ जुड़ने के साथ-साथ उद्यानिक फसलों की प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने में भी सहयोग दिया जा रहा है.

बाजार से जुड़ते समय इस बात का विशेष ध्यान दिया जा है कि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले. साथ ही, उपभोक्ताओं को ताजा एवं उच्च गुणवत्तायुक्त उत्पाद उनके घर पर ही उपलब्ध हो सके. ‘बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास योजना’ के अंतर्गत 15 महत्वपूर्ण उद्यानिक फसलों को उत्पाद से लेकर बाजार तक की व्यवस्था की जा रहा है. इस योजना में 22 जिलों में 23 किसान उत्पादक कम्पनियों का गठन किया गया है.

कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए बन रहा है मास्टर प्लान

बिहार सरकार आने वाले सालों में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से कृषि उत्पादों के निर्यात के क्षेत्र में उपस्थित दर्ज कराने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर रहा है. इसमें एपीडा मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभायेगा. बिहार को एग्रो निर्यात की जमीन के रूप में विकसित करेगा.

उत्पादन से लेकर निर्यात तक प्रत्येक चरण में आने वाली कठिनाइयों- समस्याओं की पहचान की जायेगी. सूचीबद्ध कर उनकी कठिनाइयों को दूर किया जायेगा. एपीडा के अध्यक्ष डॉ एम अंगामुथ्थु का कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह और कृषि सचिव डॉ एन सरवण कुमार के साथ इस संबंध में वार्ता हो चुकी है.

बिहार के कृषि उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिये एपीडा को लीची, सब्ज़ियां और शहद उत्पादों के निर्यात, संवर्धन एवं विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है. इस योजना को कृषि निर्यात क्षेत्र (एग्री एक्सपोर्ट जोन) योजना नाम दिया गया है.

इसमें मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, हाजीपुर, वैशाली, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, बेगूसराय, खगडिया, सीतामढ़ी, सारण और गोपालगंज जिला हैं. परियोजना के तहत सरकार एपीडा की मदद से यहां उन कृषि प्रोजेक्ट को विकसित करेगी जो व्यवहारिक हैं और तुरंत लागू किये जा सकते हैं.

एपीडा के अध्यक्ष डॉ एम अंगामुथ्थु ने बिहार सरकार से कहा कि आने वाले दिनों में कोविड महामारी खत्म होने के बाद एपीडा खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े व्यापार संघों के साथ बिहार में मूल्य संवर्द्धन तथा प्रसंस्करण पर पटना में एक सम्मेलन आयोजित करेगा. इसके साथ ही, किसानों तथा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को फल एवं सब्जी के निर्यात के लिए आवश्यक गुणवत्ता पर क्षमता संवर्द्धन संबंधित प्रशिक्षण आयोजित करेगा.

बिहार के कृषि एवं बागवानी से जुड़े पदाधिकारियों को भी निर्यात के लिए आवश्यक नियमक प्रक्रियों की विस्तृत से जानकारी दी जायेगी. सिलसिलेवार ट्रेनिंग प्रोग्राम कराये जोयंगे. एपीडा के अध्यक्ष ने कहा कि एपीडा बिहार में फलों के सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए समेकित पैक हाउस बनाने में मदद करेगा.

गौरतलब है कि बीते 24 मई को मुजफ्फरपुर की 500 किलोग्राम शाही लीची लंदन और 750 किलोग्राम शाही लीची दुबई भेजकर एग्रो निर्यात की शुरुआत की जा चुकी है. हालांकि अभी रास्ता लंबा तय करना है.

Posted by Ashish Jha

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