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सीट व उम्मीदवार चयन में जिला कांग्रेस अध्यक्ष निभायेंगे भूमिका

बिहार विधानसभा चुनाव में जिला कांग्रेस अध्यक्षों की भूमिका राहुल गांधी ने निर्धारित कर दी है. दिल्ली में आयोजित जिला कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक में उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीट और कैंडिडेट के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका होगी.

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बिहार विधानसभा चुनाव से इस प्रयोग की होगी शुरुआत संवाददाता,पटना बिहार विधानसभा चुनाव में जिला कांग्रेस अध्यक्षों की भूमिका राहुल गांधी ने निर्धारित कर दी है. दिल्ली में आयोजित जिला कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक में उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीट और कैंडिडेट के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका होगी. चुनाव में जीत सेहरा और हार का ठिकरा भी जिलाध्यक्षों पर फोड़ा जायेगा. जिलाध्यक्षों को सौंपी गयी नयी जिम्मेदारी का पहला प्रयोग बिहार विधानसभा चुनाव, 2025 से होगा. जिलाध्यक्षों को सौपें गये दायित्वों का प्रस्ताव अहमदाबाद में आठ और नौ अप्रैल को आयोजित कांग्रेस महाधिवेशन में पारित कराया जायेगा. पार्टी सूत्रों ने बताया कि जिलाध्यक्षों को प्रत्याशियों के चयन में सीइसी की बैठक में बुलाया जायेगा. इसके अलावा जिलाध्यक्ष हर माह एक बैठक आयोजित करनी है. कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिलाध्यक्ष द्वारा आयोजित बैठक और जिला के कार्यक्रमों में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया है. बैठक में विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद, विधान परिषद सदस्य और पूर्व विधान परिषद सदस्य को भी उपस्थित रहना होगा. जिलाध्यक्षों द्वारा आयोजित बैठक की पूरी प्रोसिडिंग प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को हर माह भेजी जायेगी जिसकी वे समीक्षा करेंगे. जिलाध्यक्ष प्रखंड, बूथ और वार्ड कमेटी का गठन करेंगे. कमेटी के गठन के लिए विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में छह माह का समय दिया गया है. अगर छह माह में कमेटी का गठन नहीं होता है तो संबंधित जिलाध्यक्ष को हटा दिया जायेगा. एआइसीसी में आयोजित बैठक दोपहर 1.30 बजे से रात 7.30 बजे तक चली. इस बैठक में बिहार के गया जिला के जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, समस्तीपुर के जिलाध्यक्ष अबु समीम और बांका जिला की अध्यक्ष कंचना सिंह को बिहार के प्रतिनिधि के रूप में राहुल गांधी के सामने बात रखने का मौका मिला. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी जिलाध्यक्षों की बातें सुनने के बाद जिलाध्यक्षों की नयी भूमिका निर्धारित की गयी. चर्चा में बताया आजादी के बाद से इंदिरा गांधी के कार्यकाल तक विधानसभा और लोकसभा में कैंडिडेट के चयन का काम जिलाध्यक्ष करते थे. स्व राजीव गांधी के कार्यकाल में कैंडिडेट के चयन का काम जिला अध्यक्षों से छीनकर प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारियों को सौंप दिया गया. इसके बाद सोनिया गांधी के समय में कैंडिडेट के चयन का काम आइसीसी व सीइसी के मेंबरों को सौंप दी गयी.

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