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21वीं सदी की मांग को पूरा करने के लिये शिक्षण में बदलाव जरूरी

21वीं सदी के नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप पाठ्यक्रम डिजाइन करने की आवश्यकता है

संवाददाता, पटना 21वीं सदी के नौकरी बाजार की मांगों के अनुरूप पाठ्यक्रम डिजाइन करने की आवश्यकता है. इसके लिये उद्योग जगत के साथ सहयोग बढ़ाकर विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता को सुधारना जरूरी है. ये बातें स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस के निदेशक प्रोफेसर (डॉ) नीलेश के मोदी ने पांच दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) के समापन पर शनिवार को कही. प्रो मोदी ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों को केवल डिग्री प्रदान करने के बजाय उन्हें रोजगार के लिये तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए. इस एफडीपी का उद्देश्य उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी उपकरणों और शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से शिक्षकों को सशक्त बनाना था. कार्यक्रम में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना और इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के संकाय सदस्यों के साथ विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुये थे. एकेयू के एएडीसी नोडल अधिकारी डॉ. मनीषा प्रकाश ने कहा कि संकाय विकास कार्यक्रम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी नवाचार और रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. इसके माध्यम से शिक्षकों ने न केवल नये कौशल सीखे बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिये प्रेरित भी हुये. उन्होंने कहा कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना मूक पाठ्यक्रम निर्माण में रुचि रखने वाले शिक्षकों को संसाधन उपलब्ध कराने के लिये तैयार है. उन्होंने भविष्य में इस तरह के और कार्यक्रम आयोजित करने की योजना की संभावनाओं के बारे में भी बताया.

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