संवाददाता, पटना राज्य सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत किफायती आवास विकसित करने जा रही है, जिसमें बिल्डरों को 50% हिस्सेदारी दी जायेगी. इसका मतलब है कि बिल्डर के पास आधा हिस्सा रहेगा, जबकि बाकी का हिस्सा निम्न आय समूह (एलआइजी) के लिए होगा. नगर विकास विभाग ने इसके लिए 2017 की किफायती आवास एवं मलिन बस्ती पुनर्वास नीति में संशोधन किया है. पहले की नीति में शहरों की आबादी के अनुसार हिस्सेदारी तय थी. तीन लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 75%, एक से तीन लाख आबादी वाले शहरों में 60% और एक लाख से कम आबादी वाले शहरों में 50% हिस्सा किफायती आवास के लिए दिया जाना था, लेकिन पुरानी नीति के तहत कोई बिल्डर आगे नहीं आ रहा था क्योंकि उनकी मांग ज्यादा हिस्सेदारी की थी.
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