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बिहार विधान परिषद में भाजपा बनी सबसे बड़ी पार्टी

बिहार विधान परिषद में चंद दिनों के लिए ही सही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है. मनोनयन कोटे के 10 सदस्यों के शनिवार को कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद उपरी सदन में जदयू के सदस्यों की संख्या 15 रह गयी है, जबकि सहयोगी भाजपा के 17 सदस्य हैं.

पटना : बिहार विधान परिषद में चंद दिनों के लिए ही सही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है. मनोनयन कोटे के 10 सदस्यों के शनिवार को कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद उपरी सदन में जदयू के सदस्यों की संख्या 15 रह गयी है, जबकि सहयोगी भाजपा के 17 सदस्य हैं. अगले महीने विधानसभा कोटे की खाली हुई नौ सीटों के लिए चुनाव कराये जाने की संभावना है. इसके साथ ही शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की चार-चार सीटों के लिए भी चुनाव कराये जायेंगे.

जानकारों के मुताबिक 15 जुलाई के पहले मनोनयन की खाली हुई सीटों को भी भरे जाने की संभावना है. इसके बाद एक बार फिर सदन की तस्वीर बदल जायेगी. वैसे शिक्षक और स्नातक निर्वाचन सीटों के चुनाव परिणाम ही जदयू और भाजपा को बढ़त दिला पायेगा. मनोनयन कोटे की सीटें फिलहाल भरी गयीं, तो इसमें भाजपा भी दावेदार होगी. इसके अलावा विधानसभा कोटे की खाली नौ सीटों में पांच पर ही एनडीए की जीत हो पायेगी. इन पांच में जदयू के तीन और भाजपा को दो सीटें मिलने की संभावना है. ऐसी स्थिति में सदन में दोनों दलों के सदस्यों की संख्या बराबरी की हो जायेगी. शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों की चार-चार सीटों पर चुनाव होना है.

इन आठ सीटाें में जिस दल के अधिक सदस्य चुनाव जीत कर सदन पहुंच पायेंगे, वह दल सदन का सबसे बड़ा दल होगा. इधर, जिन सदस्यों का शनिवार को कार्यकाल समाप्त हो गया, उनमें विप में जदयू के मुख्य सचेतक संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी, डाॅ रणवीर नंदन, राम लषण राम रमण, विजय कुमार मिश्रा, राणा गंगेश्वर, जावेद इकबाल अंसारी, शिव प्रसन्न यादव, डाॅ रामबचन राय, ललन सर्राफ और रामचंद्र भारती के नाम हैं. इसके पहले इसी महीने विप के 17 सदस्यों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया. सभापति और उपसभापति के पद भी हैं खालीसदन में 29 सदस्यों की सीट खाली हो जाने के बाद संवैधानिक सभापति और उपसभापति के पद भी खाली हो गये हैं. जदयू के संजय कुमार सिंह का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद सत्ताधारी दल के मुख्य सचेतक का पद भी फिलहाल खाली हो गया है. इसके साथ ही सदन की पांच प्रमुख समितियों के अध्यक्ष भी अब सदन के सदस्य नहीं रहे. इनमें प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, आवास समिति, निवेदन समिति, इथिक्स समित, पर्यटन से संबंधित समिति व राजभाषा समिति समेत 14 समितियों के अध्यक्ष पद पर रहे सदस्यों का भी कार्यकाल पूरा हो गया. लाेक लेखासमिति मेें विधान परिषद की भागीदारी भी तत्काल समाप्त हो गयी है.

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