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Bihar News: सब्जियों की बर्बादी रोकने के लिए 22 करोड़ खर्च करेगी बिहार सरकार, अब होगा ये काम

Bihar News: सब्जियों की बर्बादी को कम करने के लिए, बिहार सरकार ने कई पहल की हैं, जैसे कि फसल अवशेष प्रबंधन और कूड़ा प्रबंधन के लिए योजनाएं बनाई हैं. इसी क्रम में प्लास्टिक क्रेट्स, लेनो बैग एवं फ्रूट ट्रैप बैग योजना के लिए 22 करोड़ 25 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी है.

Bihar News: पटना. प्लास्टिक क्रेट्स, लेनो बैग एवं फ्रूट ट्रैप बैग योजना के लिए 22 करोड़ 25 लाख रुपये की स्वीकृति दी गयी है. सरकार की इस पहल से फल और सब्जी उत्पादक किसानों को बड़ा लाभ मिलेगा और फसलों की बर्बादी रुकेगी. प्लास्टिक क्रेट्स एवं लेनो बैग का लाभ राज्य के सभी 38 जिलों के सब्ज़ी एवं फल उत्पादक किसानों को मिलेगा. फ्रूट ट्रैप बैग का लाभ केवल केला उत्पादक किसानों को दिया जायेगा. अनुदानित दर पर प्लास्टिक क्रेट्स, लेनो बैग एवं फ्रूट ट्रैप बैग की प्रति इकाई लागत राशि क्रमशः 400, 20 और 30 रुपये है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों का बिहार का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है. साथ ही इच्छुक किसानों का कृषि विभाग बिहार के डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण होना आवश्यक है. योजना के तहत प्रति किसान प्लास्टिक क्रेट्स न्यूनतम 10 एवं अधिकतम 50, लेनो बैग न्यूनतम 100 एवं अधिकतम 1000 तथा फ्रूट ट्रैप बैग न्यूनतम 300 एवं अधिकतम 10,000 की संख्या में उपलब्ध कराये जायेंगे.

हर साल औसतन 70 लाख टन अनाज होता है बर्बाद

बिहार में 2024 में लगभग 17.093 मिलियन टन सब्जियों का उत्पादन हुआ था, जो 2023 में 18.020 मिलियन टन से कम है. बिहार में हर साल औसतन 70 लाख टन से ज़्यादा अनाज बर्बाद हो रहा है. यह बर्बाद हो रहा अनाज तेलंगाना या केरल जैसे राज्यों की पूरी आबादी का पेट भर सकता है, जिनकी आबादी करीब 3.5 करोड़ है. यह जानना और भी दुखद है कि भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है और ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2024 में 27.3 अंक के साथ “गंभीर” श्रेणी में आता है. यह इंडेक्स भुखमरी, बच्चों के कमज़ोर होने, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर जैसे चार पैमानों पर आधारित है. बिहार में 50% से ज़्यादा लोग “बहुआयामी गरीबी” में जी रहे हैं. इसका मतलब है कि वे स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के मामले में पिछड़े हुए हैं. बिहार में ही सबसे ज़्यादा कुपोषित लोग भी हैं.

फल और सब्ज़ियां के लिए नहीं है पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज

बिहार में पैदा होने वाले ढेर सारे फल और सब्ज़ियां पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज न होने के कारण बर्बाद हो जाते हैं. 12 जिलों में तो एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है. अनाज बर्बाद होना एक गंभीर समस्या है। यह बर्बादी न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए भी अन्याय है जिन्हें भरपेट भोजन नहीं मिलता. बिहार में बहुआयामी गरीबी का आंकड़ा इस समस्या की गंभीरता को और बढ़ाता है. जानकारों को कहना है कि खाद्य बर्बादी के पीछे कई कारण हैं. खराब प्रबंधन और सप्लाई चेन की खामियों को भी मुख्य वजह माना जा सकता है. कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण फल और सब्ज़ियां भी बर्बाद हो जाती हैं. घर, समुदाय और सरकार मिलकर छोटे-छोटे कदम उठाकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं. ये छोटे-छोटे प्रयास न केवल खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगे.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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