Bihar Greenfield City Project: बिहार अब सिर्फ पारंपरिक शहरों का राज्य नहीं रह जाएगा, बल्कि आने वाले वक्त में यहां भारत के सबसे बड़े हाईटेक क्लस्टर्स खड़े होंगे. सरकार ने पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया, दरभंगा, मुंगेर, सारण, सहरसा, पूर्णिया और मधुबनी में ग्रीनफील्ड सिटी बनाने की योजना को मंजूरी दे दी है.
नगर विकास एवं आवास विभाग और उद्योग विभाग मिलकर इसे आकार देंगे. यह ऐसा प्रोजेक्ट होगा जिसमें रहने, पढ़ने, काम करने और बिज़नेस करने की दुनिया एक ही कैंपस में खड़ी होगी.
बिहार में बदलेगा शहरों का चेहरा
ग्रीनफील्ड सिटी को दो हिस्सों में बांटा जाएगा. अंदर का हिस्सा पूरी तरह रिहायशी और पर्यावरण केंद्रित होगा, जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक हिस्से में हरियाली विकसित की जाएगी. कैंपस के भीतर ही स्कूल, हॉस्पिटल, पार्क, बाजार और एक ‘छोटे जंगल’ का निर्माण किया जाएगा ताकि रहने वाले लोगों को प्रदूषण-मुक्त और प्राकृतिक माहौल मिल सके. बाहरी हिस्से में बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना है, खासकर IT सेक्टर को केंद्र में रखकर.
इसके साथ ही शहर के आसपास 2 किलोमीटर की परिधि में टेक्सटाइल, फर्नीचर और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योग स्थापित किए जाएंगे. सरकार का मानना है कि जब काम और रहने की सुविधाएं एक-दूसरे के करीब होंगी, तब निवेशक बिहार में बड़े स्तर पर उद्योग लगाने में पीछे नहीं हटेंगे.
15 हजार एकड़ भूमि पर बसेंगे भविष्य के शहर
ग्रीनफील्ड सिटी के लिए लगभग 15 हजार एकड़ भूमि चिन्हित की जा रही है. जमीन चयन करते समय मुख्य सड़कों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से दूरी का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. ताकि नए शहर आधुनिक होते हुए भी पुराने शहरों से जुड़े रहें.
यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि निर्माण के दौरान क्षेत्र को ‘नो-एंट्री’ जोन घोषित कर दिया जाए, जिससे प्रोजेक्ट में तेजी आए और लोगों को भी परेशानी न हो. खास बात यह है कि सरकार सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण करेगी, बाकी क्षेत्र को विकसित कर उसकी नीलामी की जाएगी. इसी धन से आगे का पूरा शहर निर्माण किया जाएगा.
क्यों जरूरी बना ग्रीनफील्ड सिटी मॉडल?
उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल के अनुसार बिहार को नए औद्योगिक राज्य के रूप में विकसित किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय निवेशक ऐसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहते हैं जहां रहने, शिक्षा, इलाज और ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं सहज उपलब्ध हों। IT कंपनियों की प्राथमिकता ऐसे ही शहरी ढांचे पर आधारित होती है.
सरकार इसलिए एक ऐसे मॉडल पर काम कर रही है जो गुरुग्राम, चंडीगढ़, बेंगलुरु और ऑस्ट्रेलिया–न्यूजीलैंड के शहरों जैसा हो. जहां उद्योग और आधुनिक नागरिक सुविधाएं एक ही इकोसिस्टम में विकसित हों.
पर्यावरण संरक्षण भी इस योजना का मूल तत्व है. बड़े औद्योगिक क्षेत्रों के बीच 40 प्रतिशत हरियाली ‘ग्रीन लंग’ की तरह काम करेगी.

