Bihar Election 2025: महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में लगातार हो रही देरी ने वाम दलों के धैर्य की हद पार कर दी है. माले और माकपा ने अब अपनी 2020 की सीटों पर उम्मीदवार तय करना शुरू कर दिया है. पिछले चुनाव में जीत हासिल करने वाली सिटिंग सीटों पर कोई बदलाव नहीं किया जा रहा, लेकिन गठबंधन की समन्वय प्रक्रिया के धीमे कदमों ने वाम दलों में असंतोष बढ़ा दिया है.
माले ने 2020 की सीटों पर किया दावा
माले ने 2020 में जीती गई 19 सीटों में से सिर्फ औराई को छोड़कर बाकी 18 सीटों पर सिंबल देने का फैसला किया है. इन सीटों पर मौजूदा विधायक या वही उम्मीदवार रहेंगे. सोमवार को माले ने पालीगंज से संदीप सौरभ, घोसी से रामबली सिंह यादव, डुमरांव से अजीत कुशवाहा को अपने सिंबल दे दिए. वहीं, दीघा में दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाया गया.
माले के अन्य उम्मीदवारों में सिकटा से वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, जीरादेई से अमरजीत कुशवाहा, दरौली से सत्यदेव राम, बलरामपुर से महबूब आलम, तरारी से सुदामा प्रसाद, कराकाट से अरुण सिंह, अरवल से महानंद सिंह, फुलवारीशरीफ से गोपाल रविदास शामिल हैं. अंगियाव का उम्मीदवार अभी तय नहीं हुआ है.
माले ने दरौंदा, वारिशनगर, दीघा और भोरे जैसी 2020 में हारी हुई सीटों पर भी दावेदारी की है. औराई सीट छोड़ने के बदले माले ने गया, नालंदा और मधुबनी में एक-एक सीट की मांग रखी है.
माकपा ने भी खेला चाल
माकपा ने मांझी से सत्येंद्र यादव और विभूतिपुर से अजय कुमार को सिंबल दे दिया है. पिपरा सीट से राजमंगल प्रसाद को मंगलवार को उम्मीदवार घोषित किया जाएगा.
भाकपा ने गठबंधन की समन्वय प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए 24 सीटों की अपनी सूची बनाई है. इसमें माले की दो और कांग्रेस की पांच सीटें शामिल हैं. भाकपा का कहना है कि वारिसनगर और डुमरांव जैसी सीटें वर्षों से उनकी पार्टी की रही हैं. डुमरांव से सूरज प्रसाद और बक्सर से तेजनारायण सिंह एमपी रह चुके हैं.
कांग्रेस की दावेदारी वाली सीटों में करहगर, राजापाकड़, बिक्रम, बेलदौर और जाले शामिल हैं. भाकपा ने विशेष जोर दिया कि बेलदौर में सत्य नारायण सिंह दो बार विधायक रहे, बिक्रम से रामनाथ यादव चार बार विधायक रहे और जाले सीट पूरी तरह उनका गढ़ है. इसके अलावा भाकपा ने बखरी, तेघड़ा, बछवाड़ा, हरलाखी, बिस्फी, चनपटिया, लौरिया, नौतन, मोतिहारी, सिमरी बख्तियारपुर, बांका, गया, आलमनगर, रुपौली, बिहारशरीफ, सिकंदरा, गोपालपुर और झंझारपुर समेत अन्य सीटों को अपनी सूची में रखा है.
सीट बंटवारे का दबाव और गठबंधन का संयम
माले और माकपा ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने अपने सिटिंग उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी है. भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि पार्टी गठबंधन के नियमों का पालन करेगी, लेकिन अभी समय है और जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है. नामांकन 17 अक्टूबर तक होंगे, इसलिए उम्मीदवारों के चयन में धैर्य रखना जरूरी है.
महागठबंधन में सीटों का बंटवारा लंबित रहने के कारण वाम दलों के भीतर असंतोष और रणनीतिक खेल साफ नजर आने लगे हैं. माले और माकपा अपनी सिटिंग सीटों पर जोर देकर उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं, जबकि भाकपा स्वतंत्र रुख अपनाकर अपनी सूची और मांग पर अड़ी हुई है. यह राजनीतिक खींचतान आगामी चुनाव में गठबंधन की स्थिति को प्रभावित कर सकती है.

