Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है, इसी बीच दीघा विधानसभा सीट पर सियासी पारा अचानक चढ़ गया है. CPIML ने महागठबंधन में औपचारिक घोषणा से पहले ही दिव्या गौतम को उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव खेला है. छात्र राजनीति और सामाजिक सक्रियता से निकली दिव्या की एंट्री ने बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले दीघा में मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
महागठबंधन में बंटवारे से पहले मैदान में उतरी उम्मीदवार
महागठबंधन में सीटों का औपचारिक बंटवारा अभी बाकी है. कांग्रेस और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के बीच कुछ सीटों पर पेंच फंसा है. इस बीच, CPIML ने दीघा सीट पर दिव्या गौतम के नाम पर मुहर लगाकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी. दिव्या 15 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगी. सोशल मीडिया पर उनका नामांकन पोस्टर वायरल हो चुका है और पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार परवेज ने इसकी पुष्टि की है.
दीघा: बीजेपी का गढ़, जहां चुनौती आसान नहीं
पटना की दीघा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में रणनीतिक रूप से अहम मानी जाती है. यह सीट पिछले दो चुनावों से भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है. 2020 में बीजेपी के उम्मीदवार डॉ. संजीव चौरसिया ने 97,044 वोट हासिल कर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में भाकपा (माले) की शशि यादव को 50,971 वोट मिले थे और वे दूसरे स्थान पर रहीं. इस बार दिव्या को उतारकर पार्टी ने महिला और युवा कार्ड दोनों खेल दिया है. बीजेपी के लिए यह सीट एक ‘सेफ जोन’ मानी जाती रही है, ऐसे में विपक्ष का उम्मीदवार तय होते ही मुकाबले का रोमांच बढ़ गया है.
छात्र राजनीति से सियासत की मुख्यधारा तक
दिव्या गौतम की पहचान सुशांत सिंह राजपूत के साथ सिर्फ एक पारिवारिक रिश्ते तक सीमित नहीं है. पटना यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में स्नातक करने के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू की. 2012 में उन्होंने AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) की ओर से पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार के रूप में हिस्सा लिया और दूसरे स्थान पर रहीं. इसी दौरान उनका राजनीतिक सफर आकार लेने लगा.
राजनीतिक सक्रियता के साथ-साथ दिव्या की शैक्षणिक उपलब्धियां भी उल्लेखनीय हैं. उन्होंने 64वीं बीपीएससी परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की और आपूर्ति निरीक्षक पद पर चयनित हुईं. उन्होंने सामाजिक कार्य और उच्च शिक्षा को प्राथमिकता दी. फिलहाल वह पीएचडी कर रही हैं और यूजीसी-नेट क्वालिफाइड हैं.
महागठबंधन में गतिरोध, लेकिन रणनीति साफ
सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में अभी मंथन जारी है. कांग्रेस और वीआईपी पार्टी के बीच कुछ सीटों पर खींचतान बनी हुई है. सभी दल 2020 के आधार पर अपने पुराने गढ़ों पर फिर से दावा कर रहे हैं. इसी बीच, भाकपा (माले) का दिव्या के नाम का एलान साफ इशारा है कि वह दीघा सीट पर जल्दबाजी में नहीं, बल्कि सुनियोजित रणनीति के साथ उतर रही है.
नॉमिनेशन से पहले ही बनी चर्चा का केंद्र
दिव्या गौतम का नाम आते ही दीघा विधानसभा सीट पर सियासी चर्चा तेज हो गई है. बीजेपी के लिए यह सीट अब तक आरामदायक रही है, लेकिन एक युवा महिला चेहरे के मैदान में उतरने से समीकरण बदल सकते हैं. सामाजिक कार्य और छात्र राजनीति से निकली दिव्या के पास जमीनी अनुभव के साथ-साथ एक सुसंगत शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी है, जो उन्हें अन्य पारंपरिक उम्मीदवारों से अलग बनाती है.

