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नये पुलों का निर्माण जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है पुराने पुलों का संरक्षण : नितिन नवीन

राज्य के पुल अब होंगे और भी मजबूत, सुरक्षित और टिकाऊ. पथ निर्माण विभाग ने मंगलवार को बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बीएसआरडीसीएल) के सभागार में पुलों के सुरक्षा एवं ऑडिट विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

संवाददाता,पटना

राज्य के पुल अब होंगे और भी मजबूत, सुरक्षित और टिकाऊ. पथ निर्माण विभाग ने मंगलवार को बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बीएसआरडीसीएल) के सभागार में पुलों के सुरक्षा एवं ऑडिट विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन करते हुए पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि राज्य में नये पुलों का निर्माण जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है पुराने पुलों का संरक्षण. यह न सिर्फ संसाधनों की बचत है, बल्कि जनसुविधा के लिहाज से भी अहम है.

उन्होंने जोर दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच के अनुरूप केवल नयी परियोजनाएं शुरू करना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि पहले से बनी संरचनाओं की रक्षा और निरंतर निरीक्षण भी उतना ही आवश्यक है. मंत्री ने तकनीकी दक्षता को समय की मांग बताते हुए कहा कि अभियंताओं को आधुनिकतम तकनीकों से लगातार अपडेट रहना होगा.

पुलों का बनेगा ‘डेटा बैंक’

मंत्री नवीन ने यह भी कहा कि संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट भविष्य में विभाग के लिए एक मूल्यवान डेटा बैंक की तरह कार्य करेगा. इससे आगे की योजनाओं और नीतिगत निर्णयों में मदद मिलेगी. कार्यक्रम में राज्यभर से आए कनीय एवं सहायक अभियंताओं को पुलों के रख-रखाव, सतत निगरानी और संरचनात्मक मजबूती के लिए आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जा रही है. कार्यक्रम में बीएसआरडीसीएल के प्रबंध निदेशक शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि राज्य में कई पुलों का ऑडिट कार्य शुरू हो चुका है. शेष पुलों की भी जांच शीघ्र शुरू की जायेगी. उन्होंने अभियंताओं से आग्रह किया कि वे प्रशिक्षण से मिले ज्ञान को फील्ड में लागू करें ताकि राज्य की बुनियादी संरचना और भी सुदृढ़ हो सके.

तकनीकी विषयों पर गहन प्रशिक्षण

कार्यक्रम में विशेषज्ञों और वरीय अभियंताओं ने प्रतिभागी अभियंताओं को भौतिक स्थिति सर्वेक्षण, पुल सुरक्षा ऑडिट, पुलों की जांच प्रक्रिया और आधुनिक उपकरणों के उपयोग जैसे विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया. विभाग का उद्देश्य पुल संधारण की वैज्ञानिक और व्यावहारिक समझ विकसित करना है ताकि भविष्य में कोई संरचनात्मक दुर्घटना न हो.

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