अजय कुमार/मिथिलेश Patna News: (Ahmedabad Plane Crash) तारीख 17 जुलाई. साल 2000. समय सुबह के साढ़े सात का वक्त. फोन की घंटी बजी. उधर से घबरायी हुई आवाज आयी: बहुत बड़ा हादसा हो गया है. एक जहाज मेरे मोहल्ले में गिर गया है. यह आवाज शौकत भाई की थी. शौकत हुसैन सचिवालय में काम करते थे और गर्दनीबाग के रोड नंबर 31 के सरकारी क्वार्टर में रहते थे. फोन पर हम घटना के बारे में और कुछ पूछ पाते, उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि हम वहीं जा रहे हैं. तब लैंड लाइन ही संवाद का जरिया था.
…भागे-भागे गर्दनीबाग
आम दिनों की तरह उस दिन भी पटना नींद से जगने की प्रक्रिया में था. गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुल चुके थे. सोमवार का दिन होने के चलते रविवार का आलस खत्म था. शौकत भाई की सूचना पर हम भी भागे-भागे गर्दनीबाग पहुंचे. हमारे पहुंचने तक भीड़ कुछ सौ की होगी, पर घंटे-आधे घंटे में घटनास्थल के आसपास का पूरा इलाका भीड़ से भर गया. हर पांव गर्दनीबाग की ओर भाग रहे थे. ऐसी घटना हर किसी ने पहली बार देखी-सुनी थी. विमान का गिरना अपने आप लोगों की उत्सुकता और दुख का कारण था.

फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से जलते जहाज…
हमारे आते-आते पुलिस ने मोरचा संभाल लिया था. फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से जलते जहाज के मलबे पर पानी की बौछार की जा रही थी. अधिकारियों की टीम सुबह-सवेरे पहुंचनी शुरू हो गयी थी. पूरे इलाके को पुलिसकर्मियों ने घेर लिया था. एक बच्चा विमान के क्वार्टर पर गिरते ही छिटक कर मैदान में उछल कर गिर गया. राहत व बचाकर्मियों ने उसे फौरन अस्पताल पहुंचाया. जलते हुए विमान से यात्रियों को निकालना बहुत ही मुश्किल हो रहा था. फिर भी कई जीवित यात्रियों को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया गया. उस वक्त कांग्रेस के शकील अहमद स्वास्थ्य मंत्री थे. अस्पताल में वह भी घायल विमान यात्रियों का हालचाल लेने पहुंचे थे.

लैंडिग से कुछ ही फासले पर मौत खड़ी मिली
विमान को पटना एयरपोर्ट पर लैंड होना था. लेकिन बदकिस्मती से विमान दो-तीन किलोमीटर पहले ही एक क्वार्टर पर गिरने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. ऐसा लगा मानो मौत यात्रियों को लील लेने के लिए वहीं खड़ी थी. जिस क्वार्टर पर विमान गिरा, उसे भी वित्त विभाग में काम करने वाले दत्त जी अपने परिवार के साथ रहते थे. इस हादसे में उनकी भी मौत हो गयी थी. अब उनके बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिल गयी है. शौकत भाई ने बताया: हम तो रोज की तरह उस दिन भी बरामदे में बैठकर अखबार पढ़ रहे थे. चूंकि एयरपोर्ट मेरे क्वार्टर से नजदीक होने के चलते विमान आते-जाते रहते थे. विमानों की आवाजाही ने हमें उसकी आवास सुनने का अभ्यस्त सा बना दिया था. पर उस दिन विमान की आवाज सुनकर मैं ठठक गया. आवाज बिल्कुल अलग तरह की थी.

हादसे के बाद चीख-पुकार मची
गों…गों…गों… की आवाज आ रही थी. यह असामान्य आवाज थी. हाथ में पेपर पढ़ते हुए बरामदे से दो कदम निकला ही था कि लगा विमान मेरे सिर पर गिर जायेगा. ऐसा लगा कि क्वार्टर के छत को छुते हुए आगे निकला और गर्दनीबाग गर्ल्स स्कूल के पूरब वाले रोड के क्वार्टर पर गिरा. उसके गिरते हुए जोरदार आवाज हुई. चीख-पुकार मची. हम उधर भागे. विमान पूरी तरह खिलौने की गिरा हुआ था. धुंआ निकल रहा था. सीटें बाहर छिंटक कर बाहर आ गयी थीं. वीआपी इलाका होने के कारण फायर ब्रिगेड को पहुंचने में देर न हुई. जब हम अस्पताल पहुंचे तो कोलकाता के एक घायल यात्री से बात भी की. उनका शरीर जला हुआ था और वह बेहद तकलीफ में थे. उसी दर्द में उन्होंने हादसे के बारे में बताया भी. अस्पताल के इमरजेंसी में भाग-दौड़ मची हुई थी.

… गर्दनीबाग में जिस आवास पर गिरा विमान, उसका परिवार हो गया जमींदोज
मिथिलेश
वह साल 2000 था. प्रभात खबर में काम करते हुए कुछ ही दिन हुए थे. दिन के 11 बजे पत्रकारिता की परीक्षा थी, फिर उसके बाद अखबार की रिपोर्टिंग. गर्दनीबाग के सरकारी आवास पथ संख्या 27 के क्वार्टर नंबर तीन में रहने वाले वित्त विभाग के कर्मी वैद्यनाथ दत्त के आवास पर सुबह जाना था. यह लैंड फोन का जमाना था, सुबह करीब आठ बजे उनके आवास पर लैंड फोन लगाया तो फोन लगा नहीं. तभी स्वतंत्र पत्रकार शीतांशु कुमार सहाय दौड़े आये और कहा कि 27 नंबर में विमान गिर गया है. गर्दनीबाग की पहचान रोड नंबर से ही की जाती थी. हम उनके साथ दौड़ पड़े. पांच मिनट में घटना स्थल पर पहुंचे तो चारों तरफ बर्बादी का मंजर था. विमान वैद्यनाथ दत्त के आवास पर ही क्रैश हुआ था, इसमें वे और उनकी दो पुत्रियों की जानें चली गयीं. एकदिन पहले स्व दत्त की बड़ी पुत्री पटना से कानपुर रवाना हुई थी. उस समय लैंड फोन का जमाना था. बड़ी पुत्री कानपुर अपने घर पहुंच कर पिता और अन्य लोगों को सकुशल पहुंचनामे की बात लैंड फोन पर सुना रही थी.

वैद्यनाथ दत्त क्वार्टर के बाहर अखबार पढ़ रहे थे…
पिता वैद्यनाथ दत्त क्वार्टर के बाहर अखबार पढ़ रहे थे. छोटी पुत्री ने कहा दीदी आपसे बात करना चाह रही है. पिता अंदर आये. पुत्री से बात अभी खत्म भी नहीं हो पायी थी, अचानक भारी आवाज के साथ विमान छत पर आ गिरा. मौके पर परिवार के तीन सदस्य जमींदोज हो गये. जिला प्रशासन को जब इस दर्दनाक हादसे की खबर मिली तो तत्कालीन सदन एसडीओ गंगाधर लाल दास दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. श्री दास ने जमींदोज आवास से अंदर दबे लोगों को बाहर सुरक्षित निकालने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाये. आवास के बाहर अंबेदकर कालोनी की कुछ महिलायें काम कर रही थी, उनमें से तीन महिलाओं की भी विमान के मलबा तले दब कर मौत हुई थी. विमान यात्रियों और केबिन क्रू का एक भी सदस्य जिंदा नहीं बच पाया था. हालांकि सरकारी आवास पर विमान गिरने से हुई मौत के बाद मृतकों के परिजनों को उड्डयन मंत्रालय की ओर से मुआवजा दिया गया. लेकिन, जिन परिवारों के ऊपर अचानक यह हादसा आ पड़ा, वो इस घटना को याद कर अब भी तड़प उठते हैं. बाद के दिनों में उस आवासीय इलाके को धवस्त कर एक सरकारी बालिका स्कूल का निर्माण कराया गया है. साथ ही अन्य बड़े आवासीय क्वार्टर भी बनाये गये हैं.
एयर क्रू की चूक से हुआ था बड़ा हादसा
वर्ष 2000 में 17 जुलाई की सुबह पटना में मौसम साफ था और विजिबिलिटी करीब चार किलोमीटर थी. लैंडिंग के दौरान विमान रनवे से ऊंचाई पर था, ऐसे में क्रू ने कंट्रोल टावर से 360 डिग्री टर्न की अनुमति मांगी और उन्हें यह अनुमति मिल भी गयी. लेकिन टर्न के दौरान विमान की स्पीड कम हो गयी, इंजन आईडल मोड में था और पिच एंगल अधिक हो गया. क्रू ने तय प्रक्रियाओं की अनदेखी की और ‘स्टॉल रिकवरी’की जगह ‘गो अराउंड’प्रक्रिया अपनायी, जिससे विमान ने संतुलन खो दिया और पटना के गर्दनीबाग इलाके में जा गिरा.

जांच रिपोर्ट में क्या आया था सामने
उसी वर्ष सितंबर में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यह हादसा मानव त्रुटि यानी एयर क्रू की गलती की वजह से हुआ. पायलटों ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और लैंडिंग से पहले एयर स्पीड काफी कम कर दी गयी. इससे विमान ने स्टॉल कर दिया और क्रैश हो गया.रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि विमान पूरी तरह से एयरवर्दी था और किसी भी तरह की तकनीकी खराबी नहीं थी. हालांकि पटना एयरपोर्ट की भौगोलिक और तकनीकी सीमाएं भी सामने आईं, जिनके कारण बड़े विमानों के संचालन में जोखिम बना रहता है. यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास में एक बड़ी चेतावनी के रूप में दर्ज है, जिसने पायलट प्रशिक्षण, हवाई अड्डों की व्यवस्था और आपातकालीन प्रबंधन प्रणाली की गहराई से समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया.
तब जांच कमिटी ने कहा था : बिहटा में बने वैकल्पिक एयरपोर्ट
- एलायंस एयर में पायलट प्रशिक्षण की प्रणाली में सुधार और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली का पुनर्गठन किया जाए.
- पटना एयरपोर्ट पर ए-320 और बी-737 जैसे बड़े विमानों के संचालन में मौजूद बाधाओं को दूर किया जाए.
- बिहटा एयरफोर्स स्टेशन को वैकल्पिक हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जाए.
- एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया देश के सभी हवाई अड्डों पर नेविगेशन और लैंडिंग सिस्टम को मानक के अनुसार बनाए रखे.
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