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दस्तावेज फर्जी मिलने पर भू-माफियाओं पर होगी कार्रवाई

राज्य में भू-माफिया के अवैध कब्जा मामले में फर्जी दस्तावेज पाये जाने पर कार्रवाई होगी. इसके तहत ऐसे मामलों में संदेह होने या मामला पुलिस के संज्ञान में आने पर दस्तावेजों की गहन जांच-पड़ताल की जायेगी.

संवाददाता, पटना राज्य में भू-माफिया के अवैध कब्जा मामले में फर्जी दस्तावेज पाये जाने पर कार्रवाई होगी. इसके तहत ऐसे मामलों में संदेह होने या मामला पुलिस के संज्ञान में आने पर दस्तावेजों की गहन जांच-पड़ताल की जायेगी. उसे फर्जी पाये जाने पर अन्य आपराधिक मामलों की तरह ही लिया जायेगा. खासकर फर्जी दस्तावेजों और बलपूर्वक दूसरों का कब्जा हटाकर प्रवेश करने के अपराध में भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जायेगी. इससे भू-माफिया तत्त्वों के प्रयास पर लगाम लगाना संभव हो सकेगा. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, आइजी, डीआइजी, समाहर्ता, एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा है. सूत्रों के अनुसार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग लगातार जमीन संबंधी दस्तावेजों को अपडेट कराने और इसे आसानी से उपलब्ध कराने के प्रयास में जुटा है. इसका मकसद जमीन विवादों को दूर करना है. इसी दिशा में जमीन विवादों का समाधान करने के लिए अंचल अधिकारी और थाना प्रभारियों की प्रत्येक सप्ताह के शनिवार को अंचल कार्यालयों में बैठक निर्धारित की गयी है. ऐसे में जमीन विवाद के एक कारण के रूप में जमीन माफिया द्वारा जबरन कब्जा करने का मामला भी विभाग के संज्ञान में आया था. इस मामले में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि भूमि विवाद के मामलों में संगठित अपराध के रूप में कुछ भू-माफिया तत्व भी विभिन्न जिले में सक्रिय हैं. इसकी जानकारी औपचारिक व अनौपचारिक रूप से जिला एवं पुलिस प्रशासन को प्राप्त होती रहती है. अक्सर यह पाया जाता है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से भूमि पर कब्जा का प्रयास अथवा कब्जा दबंग तत्वों द्वारा कर लिया जाता है. इस मामले में राजस्व पदाधिकारियों द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सके, इसके लिए सिविल न्यायालय में स्वत्व वाद (टाइटल सूट) दायर कर दिया जाता है. इस प्रकार के मामले में यह पाया गया है कि शनिवारीय बैठक में भी स्वत्व वाद दायर होने के कारण कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है. ऐसे मामले में पुलिस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. जिन मामलों में भी दस्तावेजों के फर्जी होने का प्रथमदृष्टया संदेह हो, उनमें गहन जांच-पड़ताल कर नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए.

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