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बिहार कैबिनेट के फैसले : कारपेट एरिया के आधार पर ही अब बिकेगा फ्लैट
बिल्डरों पर शिकंजा, रियल एस्टेट रूल्स लागू बुकिंग या एडवांस के रूप में कोई बिल्डर नहीं ले सकेगा 10% से अधिक राशि पटना : अपने सपनों का घर खरीदने में आम लोगों के साथ अब कोई बिल्डर धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा. सभी स्तर के बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने बिहार रियल […]
बिल्डरों पर शिकंजा, रियल एस्टेट रूल्स लागू
बुकिंग या एडवांस के रूप में कोई बिल्डर नहीं ले सकेगा 10% से अधिक राशि
पटना : अपने सपनों का घर खरीदने में आम लोगों के साथ अब कोई बिल्डर धोखाधड़ी नहीं कर सकेगा. सभी स्तर के बिल्डरों पर नकेल कसने के लिए राज्य सरकार ने बिहार रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) रूल्स, 2017 पर अंतिम सहमति दे दी है. गुरुवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में इसके मसौदे पर मुहर लगी. बिल्डरों पर नियंत्रण के लिए ये नियम-कायदे केंद्र की तरफ से हाल में लागू किये गये रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) कानून, 2016 के मद्देनजर बनाये गये हैं. नये नियम के अनुसार अब डेवलपर कारपेट एरिया के आधार पर ही किसी भी फ्लैट को बेच सकता है. कारपेट एरिया की परिभाषा में अपार्टमेंट में वास्तविक उपयोग होनेवाला क्षेत्र आयेगा. कारपेट एरिया का आकलन बालकनी, बरामदा समेत अन्य के क्षेत्र को हटा कर किया जाता है.
नये नियम 500 वर्गमीटर से अधिक एरिया में बननेवाले अपार्टमेंट या वैसे अपार्टमेंट, जिनमें आठ या इससे अधिक फ्लैट हैं, पर सामान रूप से लागू होंगे. ये नियम आवासीय और व्यावसायिक दोनों तरह के प्रोजेक्ट पर लागू होंगे. ये वर्तमान में चल रहे उन प्रोजेक्टों पर भी लागू होंगे, जिन्हें अब तक कंपलिशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है.
इन नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जिला स्तर पर रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी और राज्य स्तर पर अपीलीय ट्रिब्यूनल बनेगा. इनमें किसी बिल्डर के खिलाफ कोई भी उपभोक्ता शिकायत दर्ज करवा सकता है. पूर्णकालिक रेगुलेटरी ऑथाेरिटी की स्थापना होने तक नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को प्राधिकार के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है.
राज्य स्तर पर रियल एस्टेट अपीलीय ट्रिब्यूनल की स्थापना होने तक राज्य में प्रभावी लैंड ट्रिब्यूनल को तत्काल अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है. अपीलीय ट्रिब्यूनल में न्यायिक सदस्यों और अन्य सदस्यों की नियुक्ति चयन समिति की अनुशंसा के बाद ही की जायेगी. इस चयन समिति में हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अथवा उनके प्रतिनिधि, नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव और विधि सचिव शामिल होंगे.
ये खास बातें
प्राधिकार की एक विशेष वेबसाइट होगी, जिस पर सभी बिल्डरों को निबंधन कराने के बाद अपने प्रोजेक्ट का डिटेल डालना होगा. इसके बाद ही कोई बिल्डर अपने फ्लैट की बुकिंग कर सकता है.
वेबसाइट पर प्रोजेक्ट का ले-ऑउट, भूमि की स्थिति, स्वामित्व से जुड़ी अहम बातें, ट्रैक रेकॉर्ड, आवंटन पत्र, एग्रीमेंट ऑफ सेल एंड डीड समेत तमाम जानकारी अपलोड करनी होगी.
बिल्डर को प्रोजेक्ट में जो राशि प्राप्त होगी, उसका 70% एक अलग बैंक खाते में जमा करना होगा और इंजीनियर, वास्तुविद व सीए के प्रमाणपत्र के आधार पर ही इसकी निकासी होगी.
बनेगी रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी व अपीलीय ट्रिब्यूनल मामलों का होगा तुरंत निबटारा
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