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पटना का न्यू बाइपास बना डेथ जोन, ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही से हर महीने 16 की मौत

पटना : बिहार की राजधानी पटना में ट्रक, बस और ऑटो ड्राइवरकैसेलोगोंकी जिंदगी से खेल रहे हैं. उसका नमूना देखना हो तो बाइपास पर पैदल चलकर देखें या फिर दो पहियावाहन से सफर करके देखें.आपका पता चल जायेगा इस जोन मेंट्रैफिककानून नाम की कोई चीज नहीं है. न्यू बाइपास (एनएच) पर दुर्घटनाओं का दौर जारी […]

पटना : बिहार की राजधानी पटना में ट्रक, बस और ऑटो ड्राइवरकैसेलोगोंकी जिंदगी से खेल रहे हैं. उसका नमूना देखना हो तो बाइपास पर पैदल चलकर देखें या फिर दो पहियावाहन से सफर करके देखें.आपका पता चल जायेगा इस जोन मेंट्रैफिककानून नाम की कोई चीज नहीं है. न्यू बाइपास (एनएच) पर दुर्घटनाओं का दौर जारी है. शहर में सबसे अधिक सड़क हादसे इसी इलाके में हो रहे हैं. रविवार को भी न्यू बाइपास पर दो-अलग-अलग सड़क हादसे में दो महिलाओं की मौत हो गयी. खास बात यह है कि दाेनों ही घटनाओं में ट्रक ने ही टक्कर मारी. एक ट्रक को पुलिस ने तो पकड़ लिया. लेकिन, दूसरा ट्रक निकल भागने में सफल रहा.

पहली घटना रविवार की दोपहर 12 बजे की है. जीरो माइल ट्रैफिक थाने के समीप विदुपुर वसंतपुर निवासी बुजुर्ग महिला हियापति देवी (80) अपने बेटे रंजीत के साथ बस से उतरी और फिर सड़क पार कर रही थी. इसी बीच तेज रफ्तार से आ रही ट्रक ने धक्का मार दिया. ट्रक को पुलिस ने पकड़ लिया. हियापति देवी को न्यू बाइपास पर स्थित एक निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां उसकी रविवार की शाम मौत हो गयी. जीरो माइल ट्रैफिक पुलिस ने इसकी पुष्टि की और बताया कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

महिला ट्रक के नीचे व देवर सड़क पर गिरा

इसी प्रकार रविवार की शाम चार बजे कंकड़बाग थाने के न्यू बाइपास रामलखन पथ के समीप तीव्र गति से आ रही ट्रक ने एक बाइक में साइड से टक्कर मार दी. इससे बाइक चला रहा युवक सड़क पर गिर पड़ा, जबकि निभा देवी (40) ट्रक के अंदर चली गयी और पिछला चक्का उनके शरीर पर चढ़ गया.निभा देवी की मौत माैके पर ही हो गयी. उनका देवर और रेलवे में ड्राइवर जीतेश सिंह उर्फ वीरेंद्र घायल हो गया. निभा देवी खगौल के चकदहा की रहनेवाली है और उनका बेटा नंद कुमार सुपर-30 में पढ़ता है और वहीं अगमकुआं स्थित छात्रावास में रहता है. निभा अपने बेटे से मिलने के लिए देवर के साथ बाइक से खगौल से अगमकुआं जा रही थी और इसी बीच रामलखन पथ के समीप घटना घटित हुई. निभा के पति हरेंद्र नारायण सिंह फिजियाेथेराॅपिस्ट है. घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर दिया.

मां को बुलाओ पापा

फुलवारीशरीफ. मां निभा देवी हर रविवार को आनंद सुपर थर्टी में आइआइटी की तैयारी कर रहे बड़े बेटे हिमांशु नंदन को देखने के लिए जाती थी. अपने साथ में बेटे के लिए कुछ- न- कुछ लेकर जाती थी. निभा देवी की अचानक मौत के बाद चारों ओर चीत्कार मचा हुआ है. दो बेटों में छाेटा बेटा दिब्यांशु (7 वर्ष) का रो-रोकर हाल बेहाल था. वह अपने पिता से बार-बार पूछ रहा था कि मां कहां है. मां को बुलाओ पापा.

हर सप्ताह में दो-तीन लोगों की होती है मौत

न्यू बाइपास पर हर सप्ताह दो-तीन लोगों की मौत की हो रही है. इन सभी घटनाओं में ट्रक के टक्कर मारने की बात आ रही है. आगे निकलने की होड़ में ट्रकचालक आये दिन घटना को अंजाम दे रहे हैं. दो दिन पहले ही न्यू बाइपास पर ट्रक ने एक बाइक में टक्कर मार दी थी. इस दौरान ट्रकचालक अपनी गाड़ी को रोकने के बजाये भागने के चक्कर में राम कुमार को रौंदता हुआ चला गया था. इसी प्रकार जक्कनपुर थाने के विग्रहपुर के पास ट्रक ने छात्रा की स्कूटी में पीछे से टक्कर मार दी थी. घटना में भी छात्रा की मौत हो गयी थी. पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. गैरसरकारी आंकड़ों और बाइपास के स्थानीय लोगों की मानें तो हर महीने 16 लोगों की मौत ट्रक और बसों के कुचलने से होती है. कई बार दुर्घटना के बाद पुलिस से गुहार लगायी गयी कि नेशनल हाइवे के दोनों किनारे जबरन और गैरकानूनी रूप से खड़े किये गये वाहनों को हटाया जाये, लेकिन प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

नाम का सड़क सुरक्षा सप्ताह

जिले में विभिन्न समुदाय और संस्थानों द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है. लेकिन सड़क दुर्घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले चार दिनों में जिले के ‌विभिन्न इलाकों में सड़क दुर्घटना से सात मौतें हुई हैं. सबसे ज्यादा मौतें नेशनल हाइवे पर हुई हैं.

ऐसे में प्रभात खबर की टीम ने बाइपास की सड़कों का जायजा लिया. इसमें पता चला कि बाइपास पर परिचालन भगवान भरोसे है. न ही यातायात चिह्न सड़कों पर दिखे और न ही पर्याप्त बल. सबसे ज्यादा मौतें ओवर टेक की प्रवृति के कारण हो रही हैं. मीठापुर बस स्टैंड मोड़ से टॉल प्लाजा तक भारी और छोटे वाहन रफ्तार भर रहे हैं. गाड़ियां अपनी लेन में नहीं चल रही हैं, जिससे बड़े वाहनों से टकराकर छोटे वाहन चालकों की मौत हो रही है.

नहीं दिखा कोई ट्रैफिक साइन

बाइपास पर किसी तरह का कोई रोड साइन नहीं दिखा. यहां तक की जेब्रा क्रॉसिंग के पहले रुकने के लिए किसी तरह की कोई चिह्न नहीं है. बेऊर मोड़, सिपारा, बस स्टैंड मोड़, जगनपुरा आदि मोड़ पर किसी तरह का कोई ट्रैफिक साइन नहीं है. बेऊर का ट्रैफिक लाइट भी काम नहीं करता है. ट्रैफिक बलों की भी घोर कमी है. जाम लगे या फिर वाहन नियम तोड़ कर दूसरे लेन में चले, कार्रवाई नहीं की जाती. बाइपास पर ओवर लोडेड गाड़ियां बेरोकटोक दौड़ रही हैं. जिला परिवहन कार्यालय कार्रवाई तो करती है, लेकिन पेट्रोलिंग नहीं होने से इसमें सुधार नहीं होता है.

सड़कों पर बालू, फिसल रहे वाहन

पिछले दिनों सिपारा मोड़ के पास एक मोटर साइकिल फिसल कर गिर गयी. कारण था सड़कों पर फैला बालू. तेज गति में अचानक ब्रेक लगाने पर यह घटना घटी. इसी तरह बेऊर मोड़ टर्निंग और मीठापुर बस स्टैंड मोड़ पर चल रहे निर्माण कार्यों के कारण यहां सड़कों पर बालू फैला होता है.

टर्निंग प्वाइंट कहां, पता नहीं चलता

बाइपास के दोनों तरफ घनी आबादी है. सड़कों के डिवाइडर कई जगह खुले हैं. बेऊर से जगनपुरा तक करीब 40 डिवाइडर खुले पाये गये. लेकिन इन डिवाइडरों के आगे कोई चेतावनी चिह्न लगे हैं. ट्रक मालिकों और गैरेज वालों की दबंगई ऐसी है कि उन्होंने आधी सड़क को स्टैंड बना लिया है. जबरन गाड़ी खड़ी कर जाम लगाते हैं. सड़क की दोनों ओर जबरन हुए अतिक्रमण हादसों को निमंत्रण देते हैं.

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