नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में बिहार के बाहुबलि राजनेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के सीवान जेल से तिहाड़ में शिफ्टिंग और बिहार से केस ट्रांसफर मामला एक बार फिर टल गया है. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में छह दिसंबर को अगली सुनवाई होगी. इस मामले में बिहार सरकार ने पहले ही शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखते हुए स्पष्ट कर दिया है कि यदि शहाबुद्दीन मामले का केस बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हो जाता है और उसकी सीवान जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्टिंग की जाती है, तो सरकार को किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है.
बता दें कि बिहार के बाहुबलि सांसद शहाबुद्दीन मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में बीते 28 नवंबर से ही चल रही है. अदालत ने 29 और 30 नवंबर को भी इस मामले में सुनवाई कर दोनों पक्षों का विचार लिया था. पिछले तीन दिनों के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई बड़े सवाल भी उठाये थे. अदालत ने शहाबु्द्दीन के वकील से सवाल करते हुए पूछा था कि क्यों न उससे जुड़े सारे केस दिल्ली ट्रांसफर कर दिये जाएं. इसके अलावा अदालत ने यह भी पूछ था कि शहाबुद्दीन को सीवान से दिल्ली क्यों न ट्रांसफर कर दिया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि शहाबुद्दीन से जुड़ा मामला भारतीय अपराध शास्त्र के हिसाब से गवाहों की सुरक्षा और स्वच्छ ट्रायल के सिद्धांत की असली परीक्षा है.
इस मामले में छह दिसंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट यह तय कर सकता है कि शहाबुद्दीन से जुड़े सभी 45 केस दिल्ली ट्रांसफर कर दिये जाएं या नहीं. इसके साथ ही, सीवान जेल में बंद बाहुबलि राजनेता को तिहाड़ जेल में ट्रांसफर भी किया जा सकता है.
राजदेव रंजन केस में सीबीआई ने सीलबंद रिपोर्ट कोर्ट में सौंप दी है. उसने अदालत से कहा कि ये मामला दिल्ली ट्रांसफर करने के लिए फिट केस है. वहीं, शहाबुद्दीन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, क्योंकि मीडिया ने उन्हें अपराधी घोषित कर दिया है. इसके पीछे राजनीतिक साजिश है. शहाबुद्दीन के वकील ने दलील दी कि अगर केस दिल्ली ट्रांसफर किया जाता है, तो उनके परिवार वालों से मिलने के अधिकार का हनन होगा.