बदहाली. पुराने पोस्टमार्टम हाउस में कई उपकरण नहीं, जैसे-तैसे चल रहा काम
पीएमसीएच में नया पोस्टमार्टम भवन बन कर तैयार, अब तक उद्घाटन नहीं
आनंद तिवारी
पटना : पीएमसीएच सिर्फ कहने के लिए बड़ा अस्पताल है, क्योंकि यहां कई मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. नये पोस्टमार्टम हाउस को जहां अब तक शुरू नहीं किया जा सका है, वहीं दूसरी ओर पुराने पोस्टमार्टम हाउस में कई उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. पोस्टमार्टम के दौरान 72 उपकरणों की जरूरत पड़ती है, लेकिन पीएमसीएच में चंद औजारों से ही शवों का पोस्टमार्टम किया जा रहा है.
इससे मौत के सही कारणों का ठीक तरह से पता नहीं चल पाता है. पोस्टमार्टम करनेवाले डॉक्टर व अन्य कर्मी इसे दबी जुबान स्वीकार भी करते हैं. लेकिन, खुल कर कोई भी सामने आने के लिए तैयार नहीं है.
15 से 20 शवों का रोज होता है पोस्टमार्टम : सूबे का बड़ा अस्पताल होने के कारण यहां रोजाना 15 से 20 शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन, पोस्टमार्टम कीट काफी कम है.
सूत्रों की मानें तो सिर फोड़ने के लिए हैमर, बॉडी को चीरने के लिए नाइफ, फोरसिब, सीजर आदि उपकरण ही हैं, जो अब काफी पुराने हो चुके हैं. बॉडी को सुरक्षित रखने के लिए पॉलीथिन बैग भी नहीं है, जिस कारण नमी से शव जल्द ही सड़ने लगते हैं. हालांकि, अंदर सेंट्रलाइज्ड एसी है, लेकिन शवों की संख्या अधिक होने के कारण परेशानी होती है.
दैनिक मजदूर के भरोसे चल रहा है काम : पीएमसीएच में दैनिक मजदूरों के भरोसे ही पोस्टमार्टम किया जा रहा है. इन दिनों सिर्फ दो मजदूर ही यहां काम कर रहे हैं. अगर इनमें से कोई भी मजदूर नहीं आता है, तो पूरा भार मॉर्चरी पर चला जाता है. मॉर्चरी के लिए भी एक ही पद है. स्टाफ की कमी के चलते यहां सही तरीके से पोस्टमार्टम नहीं हो पाता है. नतीजा कई बार परिजन हंगामा भी करते हैं. की वजह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने में परेशानी होती है.
पीएमसीएच में पोस्टमार्टम के दौरान तय मानकों को ताक पर रखा दिया जाता है. अलग-अलग तरीके से हुई मौत के लिए अलग-अलग औजारों से पोस्टमार्टम किया जाना चाहिए. जिससे मौतों के सही कारणों का पता चल सके. लेकिन, पीएमसीएच के पोस्टमार्टम हाउस में कारण जानने के लिए जिन उपकरणों की जरूरत पड़ती है वह काफी कम है. सूत्रों के मुताबिक कई बार डॉक्टर के बजाये वहां मौजूद स्वीपर या दैनिक मजदूर ही शवों की चीड़-फाड़ कर डॉक्टर को जानकारी देते हैं. इसके आधार पर ही रिपोर्ट बना दी जाती है.
ये उपकरण हैं जरूरी
फिंगरप्रिंट इंक, ट्यूब, इंक रोलर, रिमूवल वॉटलेस, क्लीनर कोगनेक, बोटल इंक क्लीनर, ग्लास इंक, स्लैब सिलमार्क, ग्रे कास्टिंग मैटेरियल ट्यूब, प्लास्टिक बोतल, हाइड्रोजन प्रोक्साइड, पॉलीप्रोलेन मिक्सिंग, स्वेडिया स्पेटुला ,फोरसिप पाइंटेड, राउंडेड नेलफाइल विद प्वाइंट, स्केपल हैंडल, स्केपल ब्लेड, थिक रबर ग्लस्व, थिन रबर ग्लस्व, डिस्पोजल पॉलीथिन ग्लस्व, पॉलीथिन बैग, प्लास्टिक टेस्ट ट्यूब व प्लास्टिक, स्टापर्स ब्रश फॉर हाइड्रोजन प्रोक्साइड, पोस्टमार्टम स्पून, क्रोमड सेट आॅफ थ्री फिंगर, स्टेचर्स बोटल आॅफ टिश्यू बुल्डर
उपकरण नहीं होने के बारे में स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख चुका हूं. विभाग की ओर से सहमति मिल गयी है. उम्मीद है कि अगले माह पोस्टमार्टम हाउस में उपकरण उपलब्ध हो जायेंगे. नये पोस्टमार्टम भवन में कई काम बाकी हैं. इसके उद्घाटन में पांच से छह महीने लग जायेंगे.
डाॅ एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल, पीएमसीएच
