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खत्म हो रहे पहाड़ बिगड़ा इको सिस्टम
रहम करो. नवादा और शेखपुरा के आठ पहाड़ खत्म बिहार में पहाड़ों की माइनिंग फिर से शुरू हो गयी है. वैध-अवैध माइनिंग से पहाड़ों का बड़ा हिस्सा पहले ही कट चुका है. इस साल अप्रैल में खान विभाग की हुई समीक्षा बैठक में माना गया कि अवैध माइनिंग के बारे में जिलों से आनेवाली रिपोर्ट […]
रहम करो. नवादा और शेखपुरा के आठ पहाड़ खत्म
बिहार में पहाड़ों की माइनिंग फिर से शुरू हो गयी है. वैध-अवैध माइनिंग से पहाड़ों का बड़ा हिस्सा पहले ही कट चुका है. इस साल अप्रैल में खान विभाग की हुई समीक्षा बैठक में माना गया कि अवैध माइनिंग के बारे में जिलों से आनेवाली रिपोर्ट अत्यंत निराशाजनक है.
सासाराम के अमरा में पहाड़ तो कटे ही, उसके नीचे की गहराई खतरनाक स्तर तक पहुंच गयी. यही नहीं, कई जगहों पर जमीन के नीचे इस कदर पत्थर काटे गये कि वहां वाटर लेवल छू गया. पहाड़ काटने का सबसे खराब असर यह रहा कि कई जिलों में वर्ष 2008 से कम बारिश हो रही है. नवादा, शेखपुरा और सासाराम में पहाड़ों का हाल जानने के लिए पढ़िए खास रिपोर्ट.
अजय कुमार
पटना : जैसे पानी खत्म होता जा रहा है, वैसे ही पहाड़ भी खत्म हो रहे हैं. सासाराम, नवादा और शेखुपरा की कई पहाड़ियां वैध-अवैध माइनिंग से या तो खत्म हो गयीं या आने वाले दिनों में खत्म हो जायेंगी. हजारों साल से खड़े पहाड़ों के शिखर विलीन हो चुके हैं. धरती के नीचे पत्थरों की कटाई होने से वहां दैत्याकार गड्ढे बन गये हैं. इन इलाकों की कई पहाड़ियां अब स्मृतियों में ही बची हैं.
पहाड़ों की अपनी पहचान है. उनके नाम हैं. नवादा के रजौली में सप्तऋषि पहाड़ी है, तो शेखपुरा में महाभारतकालीन गिरिहिंडा की पहाड़ी. ऐसी मान्यता है कि हिडिंबा का पुत्र घटोत्कच का वास इसी पहाड़ी पर था. भगवान बुद्ध से जुड़ी अनेक दंतकथाएं यहां प्रचलित हैं.
यहां की बुधैली पहाड़ी के बारे में मान्यता है कि भगवान बुद्ध जब गया से विक्रमशिला की ओर जाने लगे, तो वह इसी पहाड़ी पर रुके थे. उन्होंने ग्रामीणों को उपदेश दिया था. आधुनिक इतिहास में शेरशाह से जुड़ा शेखपुरा के बरूही पहाड़ का एक हिस्सा अब झील में बदल चुका है. इसे ग्वालिन खान की पहाड़ के नाम से जाना जाता था.
कहां कौन पहाड़ खत्म होने के कगार पर : कुछ साल पहले तक नवादा के शहरी हिस्से से पथरा इंगलिश का पहाड़ दिखता था. इसे स्थानीय लोग गुनी पहाड़ के नाम से जानते हैं. अब वहां पहाड़ का टीला बचा है. बड़ी-बड़ी मशीनें उस टीले को भी ढाहने में लगी हैं. उससे निकले पत्थरों को तोड़कर गिट्टी बनाया जा रहा है. हाइवा से गिट्टी की ढुलाई की जा रही है. ये गाड़ियां कतार में लगी हैं. गाड़ियों में ईंधन के लिए यहां दो-दो पेट्रोल पंप चल रहे हैं.
इस जिले के रजौली में लोमस ऋषि के नाम पर खड़ा पहाड़ कब तक बचेगा, कोई नहीं जानता. इस पहाड़ का बड़ा हिस्सा कट चुका है और वहां विशाल गड्ढा बन गया है. यहीं की तुंगी पहाड़ अब इतिहास बनने को है.इसी तरह शेखपुरा के चकंदरा, हसनगंज, सुदासपुर, बरूही और नीरपुर के पहाड़ खत्म हो चुके हैं. हसनगंज में पहाड़ कटने से जो जमीन निकली, उस पर एक सरकारी भवन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. चकंदरा पहाड़ का एक हिस्सा इसलिए बचा है कि उसके शिखर पर एक धर्म से जुड़ा स्थान है. यहीं के बरारी गांव के हरि मांझी कहते हैं: कुछ साल पहले पहाड़ काटने के लिए हुए ब्लास्ट में मेरे पिता का हाथ टूट गया था. इस गांव के मवेशी अब पहाड़ पर नहीं चढ़ते, क्योंकि खनन के चलते उसका रास्ता नहीं बचा.
बंदी के बाद लीज फिर शुरू : पहाड़ों की माइनिंग के लिए 2015 से 2020 तक लीज देने की प्रक्रिया फिर शुरू हुई है. नवादा में 17 ब्लॉक में कुल 86 एकड़ पहाड़ लीज पर दिये गये हैं. शेखपुरा में 30 ब्लॉक में 375 एकड़ पहाड़ की माइनिंग होनी है. पर अब तक 13 ब्लॉक की बंदोबस्ती का काम पूरा हो पाया है. सासाराम में फॉरेस्ट व माइनिंग डिपार्टमेंट के बीच सहमति नहीं बन पाने के चलते लीज के लिए टेंडर नहीं निकल पाया है. लीज की नयी शर्तों के मुताबिक जिसका सालाना टर्न ओवर तीन करोड़ होगा, वही व्यक्ति या कंपनी टेंडर में हिस्सा लेंगे.
इसके चलते शेखपुरा में 13 ब्लॉक ही लीज पर दिये जा सके हैं. उसमें भी केवल सात ब्लॉक में माइनिंग शुरू हुई है. टेंडर में भागीदारी बढ़ाने के लिए डिपॉजिट मनी घटा कर आठ करोड़ किया गया है, जबकि इसके पहले एक करोड़ प्रति एकड़ के हिसाब से लीज की दर तय थी. पत्थर कारोबारी संतोष कुमार कहते हैं, इससे सरकार के रेवेन्यू में कमी तो हुई ही, कम पूंजी वाले स्थानीय कारोबारी इस धंधे से बाहर हो गये. नयी व्यवस्था के अनुसार, एक ब्लॉक में खनन का क्षेत्र बढ़ाकर 12.5 एकड़ कर दिया गया है.
अवैध खनन से अथाह पैसा : प्राकृतिक संसाधनों की लूट से इन इलाकों में कई लोग अचानक धनवान बन गये. इनमें कई राजनेता, बिचौलिए, कारोबारी और सरकारी नुमाइंदे शामिल हैं. सासाराम से लेकर नवादा और शेखपुरा में पहाड़ से आये पैसे ने समृद्धि के कई टापू खड़े कर दिये. मुट्ठी भर ऐसे ही लोग पहाड़ों को काटने के समर्थन में सड़क से कोर्ट तक सक्रिय रहे हैं.
अब भी चल रहा अवैध खनन
सासाराम : सासाराम में पहाड़ की माइनिंग के लिए 2010 से ही लीज नहीं है, पर वहां इस संवाददाता ने देखा कि दिन में करबंदिया पहाड़ी पर ब्लास्ट किये जा रहे हैं. क्रसर से पत्थर तोड़े जा रहे हैं. जीटी रोड पर दौड़ते गिट्टी लदे ट्रक पहाड़ नहीं कटने के दावों की हकीकत बता देते हैं.
यहां के पत्थर की क्वालिटी काफी अच्छी मानी जाती है. एक अनुमान के मुताबिक, करबंदिया पहाड़ के पांच सौ एकड़ क्षेत्र की चट्टानें साफ हो चुकी हैं. इसी क्षेत्र में डीएफओ संजय सिंह की फरवरी, 2002 में हत्या कर दी गयी थी, तो 2011 में तत्कालीन एसपी मनु महाराज पर हमला किया गया. पत्थर माफियाओं की सक्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बीते पांच साल में 700 लोगों को पकड़ा गया. 2500 पर प्राथमिकी हुई. एक हजार वाहन थानों में सड़ रहे हैं. अवैध खनन के बारे में डीएम अनिमेष कुमार पराशर कहते हैं: पहाड़ से मेन रोड तक रास्तों को काटने की योजना पर गौर किया जा रहा है.
अतिरक्ति पुलिस बल की भी मांग की गयी है. यहां के अदमापुर, बसंतपुर, बांसा और अमरा-तालाब में बेरोक-टोक पहाड़ काटे जा रहे हैं.
नवादा : इसी तरह नवादा के रजौली पहाड़ी के अंदरुनी हिस्से में पहाड़ काटे जा रहे हैं, पर वहां के डीएफओ आलोक कुमार कहते हैं: रजौली में माइका के अवैध खनन के मामले में एक महीने के भीतर चार प्राथमिकी दायर हुई है. 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वे सभी जेल में हैं.
माइका के खनन की इजाजत नहीं है. उन्होंने दावा किया कि पहाड़ों की अवैध कटाई की आशंका अब नहीं रह गयी है, क्योंकि लीज एरिया में वन विभाग की ओर से पीलर लगा दिये गये हैं. यहां वन क्षेत्र में आने वाले तीन पहाड़ों की माइनिंग की मंजूरी दी गयी है. जानकारों का कहना है कि गलत चालान पर गिट्टी की ढुलाई का मामला भ्रष्टाचार का दूसरा अध्याय है.
शेखपुरा : शेखपुरा में 2014 तक पहाड़ों की अवैध कटाई खूब होती रही और साथ में कार्रवाई भी. कार्रवाई में दर्जनों अवैध क्रसर पकड़े गये. करोड़ों का पेनाल्टी लगा. उन दिनों को याद करते हुए एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि हर दिन सात से बारह सौ ट्रक निकला करते थे.
तत्कालीन डीएम संजय सिंह और एसपी आरके भील की सख्ती के बाद अवैध कारोबार बंद हो गया था. महात्मा गांधी और राजेंद्र ब्रिज पर बड़े वाहनों के नहीं चलने से शेखपुरा में गिट्टी का कारोबार फिलहाल सुस्त चल रहा है.
पहाड़ काटने के खिलाफ उठने लगी आवाज : नवादा के कवि शंभू वश्विकर्मा हों या जेएनयू से स्पैनिश लैंग्वेज की पढ़ाई कर शेखपुरा में स्कूल चलाने वाले रविभूषण, दोनों मानते हैं कि विकास की जरूरत बताकर जिस तरह पहाड़ काटे जा रहे हैं, वह भयावह है. पहाड़ों के कटने से इकोलॉजी पर असर पड़ रहा है. पहाड़ कुदरत की अनमोल देन है जिसे नष्ट करने का कोई अधिकार नहीं है. पत्थर-गिट्टी के विकल्पों की तलाश करने के बदले पहाड़ जैसी धरोहर को नष्ट करना अपनी विरासत-सभ्यता को नष्ट करने जैसा है. कहां इन पहाड़ों को संरक्षित करने की जरूरत थी और कहां हम उसकी दुर्गति कर रहे हैं.
भारी नुकसान की ओर बढ़ रहे : पहाड़ इको सिस्टम का अहम अंग है. इसे मृत कह कर काट देना अंतत: पारस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगा. किसी भी प्राकृतिक संसाधन का दोहन एक सीमा तक होनी चाहिए.
पहाड़ों के कटने से भूकंप की आशंका बढ़ेगी. आंधी-तूफान के चलते खेती वाली जमीन की ऊपरी सतह प्रभावित होगी. बाढ़ सहित अन्य प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेंगी. किसी भी प्राकृतिक संसाधन के दोहन के पहले उसके वैज्ञानिक असर का अध्ययन जरूरी है. इन संसाधनों को जिस कदर खत्म किया जा रहा है, उसकी वजह आबादी का अनियंत्रित विस्तार प्रमुख कारण है.
(एके घोष: पर्यावरण के जानकार)
सासाराम में करबंदिया के पांच सौ एकड़ पहाड़ साफ
लगातार कम हो रही बारिश
जिले 2008 09 10 11 12 13 14 15
रोहतास 1150 990 960 1056 673 818 410 524
नवादा 1201 796 — 978 616 351 1034 627
शेखपुरा 998 1044 880 816 847 332 1132 794
(वर्षापात के आंकड़े मिमी में) स्रोत : आर्थिक सर्वेक्षण
पहाड़ कटने का असर
कहां कितने पहाड़ी क्षेत्र पर हो रहा खनन
नवादा : 86 एकड़
शेखपुरा : 50 एकड़ (375 एकड़ के लिए निकला है टेंडर)
सासाराम: करबंदिया पहाड के बड़े हिस्से में अवैध खनन
इन पहाड़ों के बड़े हिस्से का वजूद खत्म
नवादा: पथरा इंगलिश, तुंगी और लोमस पहाड़
शेखपुरा: चकंदरा, हसनगंज, सुदासपुर, नीरपुर व बरूही पहाड़
शराबबंदी के नाम पर नाटक कर रहे नीतीश
पटना : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास शनिवार को तैलिक साहू समाज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि वे कामगार मुख्यमंत्री है जबकि नीतीश नामदार मुख्यमंत्री. उनके राजनीति के नशा से बिहार बरबाद होगा. शराबबंदी के नाम पर नाटक नहीं, ईमानदारी से काम होना चाहिए. सवालिया लहजे में रघुवर ने कहा कि बिहार को 10 साल में किसने नशेड़ी बनाया. ये कैसा डाक्टर है,पहले दर्द दिया अब दवा दे रहा है.
उन्होंने कहा कि विकास में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. हर समस्या का इलाज विकास है. जातिवाद व संप्रदायवाद की राजनीति से बिहार को नुकसान हो रहा है. श्री दास तैलिक साहू समाज के पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. अपने संबोधन में उन्होंने झारखंड के विकास की रूपरेखा और योजनाओं पर भी प्रकाश डाला.
मुख्यमंत्री श्री दास ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र का ही तकाजा है कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी आ- जा सकता है. किसी भी पद पर पहुंच सकता है , एक मजदूर भी सीएम बन सकता है. मेरे बिहार आने पर क्यों छटपटा रहे हैं. वे नामदार हैं
इसलिए एक कामगार को सहन नहीं कर पा रहे हैं. हर तरह का नशा खराब होता है लेकिन वह छूट सकता लेकिन राजनीति का नशा बड़ा खराब होता है. राजनीति का नशा ही बिहार को बरबाद करेगा. बिहार में विकास की बात नहीं हो रही है. श्री दास ने सवालिया लहजे में कहा कि शराबबंदी के लिए नीतीश कुमार सिर्फ झारखंड और यूपी ही क्यों जा रहे हैं.
पश्चिम बंगाल क्यों नहीं जाते. वहां से भी तो बिहार में शराब आ रही है. शराबबंदी का सभी ने समर्थन किया . अच्छा काम ईमानदारी से होना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि अभी तो शराबबंदी पर फोकस है इसलिए पुलिस सक्रिय है. लेकिन आगे पता नहीं अवैध शराब से कितने लोग मरेंगे. अवैध शराब हर हाल में बंद होना चाहिए. बिहार में 25 प्रतिशत खपत बढ़ी है. डर है कि कहीं पंजाब की तरह यहां भी ड्रग्स नहीं आ जाये, नशा मुक्ति के लिए समाज में जागरुकता लाना होगा. नशामुक्ति के लिए झारखंड में जागरुकता अभियान चल रहा है. नशामुक्त गांवों को हम एक लाख का इनाम देते हैं.
विकास में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए
मुख्यमंत्री श्री दास ने पंचायत प्रतिनिधियों से कहा कि विकास में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. विकास में प्रतिस्पर्धा का भाव रखना चाहिए. जनता बड़ी उम्मीद से चुनती है इसलिए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेवारी है कि वह बिना भेदभाव विकास करे. झारखंड की चर्चा करते हुए श्री दास ने कहा कि वहां पंचायत राज व्यवस्था मजबूत हो रही है. जनता की राय से योजना बन रही है.
जल संचय और प्रबंधन पर काम हो रहा है. डेढ़ माह में 1.67 लाख तालाब की योजना बनी. 1000 तालाब का जीर्णोद्धार किया गया. 4 लाख डोभा बनेगा. निजी तालाब का भी जीर्णोद्धार हो रहा है. 15 अगस्त के बाद हर पंचायत का अपना सचिवालय होगा. हर दो माह पर ग्राम सभा होगी. पंचायत एक-एक पाई का हिसाब देगा. बिचौलिया और भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है. हर तीन माह पर गरीब कल्याण मेला लगेगा.
सभी तरह का प्रमाणपत्र पंचायत के जरिये मिलेगा. शासन व जनता के बीच कोइ दीवार नहीं होना चाहिए. कार्यक्रम को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, विपक्ष के नेता डा प्रेम कुमार , पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव, राम नारायण मंडल, सुनील कुमार पिंटु. सांसद रामेशवर तेली, लाखनलाल साहू विधान पार्षद लाल बाबू प्रसाद, विधायक सीएम गुप्ता, महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू आदि ने भी संबोधित किया.
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