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जेल में बंद पूर्व RJD सांसद शहाबुद्दीन ने अदालत में दी अर्जी कहा-सरकार से जान को खतरा

सीवान: भागलपुर जेल में बंद पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन ने राज्य सरकार से अपनी जान पर खतरा बताया है. उन्होंने कोर्ट में अर्जी देकर सुरक्षा की गुहार लगायी है. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इसकी अगली सुनवाई 14 जुलाई होगी. पूर्व सांसद की तरफ से उनके अधिवक्ता अभय […]

सीवान: भागलपुर जेल में बंद पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन ने राज्य सरकार से अपनी जान पर खतरा बताया है. उन्होंने कोर्ट में अर्जी देकर सुरक्षा की गुहार लगायी है. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. इसकी अगली सुनवाई 14 जुलाई होगी. पूर्व सांसद की तरफ से उनके अधिवक्ता अभय कुमार राजन ने मंगलवार को एडीजे चार सह विशेष अदालत के न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव के कोर्ट में यह अर्जी दी.

इसमें कहा गया है कि सरकार के हाथ में उनका जीवन सुरक्षित नहीं है. जेल में रहनेके दौरान ही वर्ष 2006 में राज्य सरकार के इशारे पर मो शहाबुद्दीन की हत्या करने की कोशिश की गयी थी. एसडीपीओ सुधीर कुमार के हमले में शहाबुद्दीन के रीढ़ की हड्डी खिसक गयी थी. एम्स में उनका ऑपरेशन कराया गया था. डॉक्टरों की टीम ने जांच में इसकी पुष्टि की थी. यह राज्य सरकार जेल प्रशासन से मिल कर उन्हें ठिकाने लगाने की साजिश रचती रही है. लेकिन, कोर्ट के हस्तक्षेप से ऐसा नहीं हो सका. आवेदन में कहा गया है कि वर्तमान राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही विद्या आयोग को भंग कर दिया. यह आयोग प्रतापपुर गोलीकांड में आठ ग्रामीणों की हत्या के मामले की जांच कर रहा था.

इस कांड में पुलिस विद्रोह के मामले में तत्कालीन डीआइजी व डीएम ने कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हुआ था. लेकिन, सरकार ने लोक अदालत के माध्यम से सुलह कर मामले को निष्पादित करा दिया, जो विधिसम्मत नहीं है. आवेदन में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय से होने और उसका नेता होने के चलते सरकार प्रताड़ित करना चाहती है. फर्जी मुकदमे में फंसाने और मारने की साजिश रची जा रही है. कोर्ट के आदेश के बिना ही मंडल कारा, सीवान से भागलपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. यह हाइकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.

शहाबुद्दीन के स्पाइन में दर्द की जांच को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित मेडिकल टीम पर हमें भरोसा नहीं है. बेहतर इलाज के लिए विशेष अस्पताल में भेजा जाये. इस आवेदन पर कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में गृह विभाग के प्रधान सचिव को 14 जुलाई को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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