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अंतिम पायदान पर खड़ी लड़की खुद फैसला नहीं ले सकती : रुचिरा

आद्री का रजत जयंती समारोह. चैलेंजिंग स्मार्ट : रीचिंग द लास्ट गर्ल-द अंत्यजा विषय पर व्याख्यान में वक्ताओं ने रखे विचार पटना : न्यूयार्क विश्वविद्यालय की विजिटिंग प्रोफेसर सुश्री रुचिरा गुप्ता ने कहा कि समाज में लैंगिक असमानता को समाप्त किया जाना चाहिए. वर्तमान समय में समाज के अंतिम पायदान पर खड़ी लड़की गरीब पृष्ठभूमि […]

आद्री का रजत जयंती समारोह. चैलेंजिंग स्मार्ट : रीचिंग द लास्ट गर्ल-द अंत्यजा विषय पर व्याख्यान में वक्ताओं ने रखे विचार
पटना : न्यूयार्क विश्वविद्यालय की विजिटिंग प्रोफेसर सुश्री रुचिरा गुप्ता ने कहा कि समाज में लैंगिक असमानता को समाप्त किया जाना चाहिए. वर्तमान समय में समाज के अंतिम पायदान पर खड़ी लड़की गरीब पृष्ठभूमि और निम्न जाति से संबंध रखती है. महिलाओं के संबंध में असमानता घर से ही शुरू होता है. यही कारण है कि घर में रहकर भी वह अपने बारे में कोई फैसला नहीं ले सकती.
उसे हर चीज के लिए घरवालों से सहमति लेने की आवश्यकता पड़ती है. ठीक इसके विपरीत परिवार में लड़कों को अपने बारे में फैसले लेने की छूट होती है. यह समस्या हर जगह मौजूद होती है, चाहे इसका नाम अलग-अलग की क्यों न हो. सुश्री गुप्ता शुक्रवार को भारत में सामाजिक सांख्यिकी थीम पर आरंभ हुए आद्री के चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में तीसरा रजत जयंती व्याख्यान प्रस्तुत कर रही थीं. उनके व्याख्यान का शीर्षक चैलेंजिंग स्मार्ट : रीचिंग द लास्ट गर्ल-द अंत्यजा था.
पटना : आद्री के चार दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस में रविवार को भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमनियन संबोधित करेंगे. रजत जयंती समारोह, 2016-17 के हिस्से के बतौर भारत में सामाजिक सांख्यिकी पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सुब्रमनियन ओवरव्यू ऑफ द इंडियन इकोनॉमी विषय पर व्याख्यान होगा. सत्र का समन्वय बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के इंडिया कंट्री प्रोग्राम्स की उप-निदेशक हरि मेनन द्वारा किया जायेगा.
रोजगार देने में पीछे
देश में रोजगार की स्थिति पर चर्चा करते हुए जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर हिमांशु ने कहा कि सरकारी संस्था रोजगार देने में पिछड़ रहे हैं. वहीं, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के प्रोफेसर अरूप मित्रा ने कहा कि दक्षिण एशिया के देश सामाजिक क्षेत्र से ज्यादा खर्च सैन्य व्यवस्था पर कर रहे हैं. भारत सरकार के सचिव व चीफ स्टैटस्टिशियन डॉ टीसीए अनंत ने कही. वह ‘द 2030 डेवलपमेंट एजेंडा : चैलेंजेज फॉर स्टैटस्टियंस’ विषय पर कहा िक विकास के लिये आंकड़ों की जरूरत होती है.
स्वास्थ्य सेवा हो उपलब्ध : फौजदार
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक फौजदार राम ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता का अधिकार है. इसके लिए हमलोगों को सामाजिक सांख्यिकी संबंधी आंकड़े सूक्ष्म स्तर पर जिला से पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराने चाहिए. वहीं, वर्ल्ड सोसायटी ऑफ विक्टिमोलॉजी के उपाध्यक्ष के. चोकालिंगम ने भारत में ‘आपराधिक आंकड़ों के आयाम’ पर कहा कि भारत में आपराधिक आंकड़ों का संकलन ज्यादा सूक्ष्मता से करने की जरूरत है. खासकर घरेलू हिंसा से जुड़े आंकड़ों का संकलन ज्यादा सजगता से करने की जरूरत है.
गरीब देशाें में भारत के आंकड़े सबसे पुराने
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के ऑक्सफोर्ड पोवर्टी एंड ‘ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव की निदेशक सुश्री सबीना अलकायर ने कहा कि बहुआयामी गरीबी सूचकांकों वाले 50 प्रतिशत सबसे गरीब देशों में भारत के आंकड़े सबसे पुराने हैं. इस पर रांची विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्यां द्रेज ने टिप्पणी की कि यह भारत की सामाजिक आंकड़ा संग्रहण प्रणाली के मामले में लगभग कलंक की स्थिति है.
अलकायर ने स्पष्ट किया कि सेनेगल और बंगलादेश में आंकड़ों का नियमित रूप से संग्रहण होता है. अलकायर के व्याख्यान का शीर्षक मल्टी डायमेंशनल पोवर्टी मेजरमेंट रोबस्टनेस एंड एनालिसिस था. सत्र की अध्यक्षता यूनिसेफ की सोशल पॉलिसी के रीजनल एडवाइजर ;साउथ एशिया अब्दुल अलीम ने की.

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