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लालू ने किया आरएसएस के संविधान और अंदरूनी प्लान का खुलासा, पढ़ें

पटना : राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया फेसबुक के जरिये बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला है. लालू ने सवाल करते हुए पूछा है कि ये RSS क्या है, कौन है? ये एक सांस्कृतिक संगठन है, जातिवादी संगठन है, देश में हजारों सांस्कृतिक संगठन हैं. आरक्षण खत्म करने की आड़ में […]

पटना : राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया फेसबुक के जरिये बीजेपी और आरएसएस पर जमकर हमला बोला है. लालू ने सवाल करते हुए पूछा है कि ये RSS क्या है, कौन है? ये एक सांस्कृतिक संगठन है, जातिवादी संगठन है, देश में हजारों सांस्कृतिक संगठन हैं. आरक्षण खत्म करने की आड़ में ये बाबा साहेब के संविधान की बजाय गुरु गोलवलकर का संविधान लागू करना चाहते है ताकि छोटी जाति के लोग पढ़ ना सके, बढ़ ना सके, नौकरी ना कर सके, मंदिरों में प्रवेश ना कर सके और हर जगह इनका ही वर्चस्व कायम रहें.

बंच ऑफ थॉट्स आरएसएस का संविधान है

लालू यहीं नहीं रुके हैं लालू ने आरएसएस के गुरू गोलवलकर की किताब बंच ऑफ थॉट्स में लिखी हुई बातों का जिक्र करते हुए लिखा है कि आरएसएस दबे, कुचले एवं वंचितों को तिरस्कार एवं शोषित करने के तरीकों को लागू करना चाहता है ताकि इस देश में मनुवाद और जातिवाद को बल मिल सके और इनकी दुकानदारी अच्छे से चल सके. लालू ने अपने बयान में कहा है कि पूरा देश जानता है कि केंद्र सरकार द्वारा आरएसएस एवं गुरु गोलवलकर की नीतियों पर चलने के कारण ही हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की मौत हुई. लालू के मुताबिक आरएसएस गोलवलकर की किताब को अपना संविधान मानता है और उसे लागू करना ही इनका असली एजेंडा है. लालू ने कहा कि ये लोग बाबा साहब द्वारा रचित इस देश के सँविधान को कागज का एक टुकड़ा मानते है. अब ये पहचान चुके है कि इस देश का दलित,पिछड़ा एवं उत्पीड़ित समाज जाग गया है इसलिए बाबा साहेब की दिखावटी आड़ लेकर गुरु गोलवलकर का खतरनाक एजेंडा गुप्त रूप से लागू करना चाहते हैं.

आगामी चुनावों में हारेगी बीजेपी

लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी और आरएसएस के बारे में कहा कि दिल्ली और बिहार में हुयी बुरी हार, आगामी चुनावों में संभावित हार एवं अपने चुनावी वादे पूरा नहीं करने के कारण आरएसएस व भाजपा के लोग हताशा और निराशा में अनाप-शनाप बोल रहे हैं. विकास के अति महत्वपूर्ण मुद्दों एवं अपनी विफलताओं से से ध्यान भटकाने के लिए ये लोग नित नए नए स्वांग रचते है. बिहार की जनता ने जो कड़ा सबक इनको सिखाया है उसका संदेश पूरे देश में गया है। बिहार में भी इन्होंने ये मुद्दा उठाया था, उसका क्या हश्र हुआ ये किसी से छुपा नहीं है. आरक्षण को लेकर आरएसएस का सपना, सपना ही रहेगा. इनका ये सपना कभी भी पूरा नहीं होगा. अब पता नहीं येखुशफहमी के शिकार है या गलतफहमी के इनके भेष बदलने से कुछ नहीं होगा , हां अगर दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को लेकर आरएसएस अपना द्वेष कम करें तो देश का जरूर भला हो सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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