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क्लिंटन की गोद ली बच्ची को खाना भी नसीब नहीं

पटना : जब रानी एक साल की थी, तभी उसका भविष्य लिखा जा रहा था. माता-पि ता के साथ आसपास के लोग भी उसके भविष्य को लेकर निशचिंत हो चुके थे. हो भी क्यूं नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जो रानी को गोद लिया था. उन्होंने कहा था कि इस बच्ची के पढ़ाई-लिखाइ […]

पटना : जब रानी एक साल की थी, तभी उसका भविष्य लिखा जा रहा था. माता-पि ता के साथ आसपास के लोग भी उसके भविष्य को लेकर निशचिंत हो चुके थे. हो भी क्यूं नहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने जो रानी को गोद लिया था. उन्होंने कहा था कि इस बच्ची के पढ़ाई-लिखाइ के साथ-साथ सारा खर्च बिल क्लिंटन फाउंडेशन उठायेगा. अब इस बात को चार साल होने जा रहा हैं, लेकिन, न तो बिल क्लिंटन ने दोबारा रानी का हाल-चाल लिया और न ही कोई सुविधा ही उसे दी गयी है. जमसौत मुसहरी की रहने वाली रानी स्कूल जाने के लायक हो गयी है. लेकिन, उसके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं, जो उसे स्कूल में पढ़ा सके.

बस फोटो खिंचवाया
चार भाई बहनों में सबसे छोटी रानी को लेकर आसपास के लोग बातें बनाने लगे हैं. मां रूकनी देवी ने बताया कि जब विदेशी बाबू आये थे, तो मैं खेत में काम कर रही थी. वहां से मुझे बुलाया गया था. जब मैं आयी, तो उन्होंने अंग्रेजी में कुछ कहा. मुझे समझ में नहीं आया. उनके साथ जो आये थे, उन्होंने बताया कि विदेशी साहब रानी को गोद लेना चाह रहे हैं. फिर विदेशी साहब ने रानी के साथ फोटो भी खिंचवायी. मेरे घर के अंदर भी आकर उन्होंने फोटो खिंचवायी. सभी चले गये. कुछ दिया नहीं, लेकिन कहा कि इस बच्ची के भविष्य का सारा खर्च वो ही उठायेंगे. उसके बाद सब चले गये.

अब भी क्लिंटन का इंतजार
200 की आवादी वाले इस गांव में लोगों को अब भी क्लिंटन का इंतजार है. मजदूरी का काम कर रहे अधिकांश लोगों का कहना है कि पेपर में फोटो खिंचवाने के लिए लोग हमारे पास तो आते हैं. लेकिन, कोई मदद नहीं करता है. पांचवीं तक का एक सरकारी स्कूल है. एक स्वास्थ्य केंद्र है, पर वहां कभी भी दवा नहीं मिलती है. ज्ञात हो कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बि ल क्लिंटन ने इस गांव
में एक हेल्थ रिसर्च सेंटर खोलने की भी घोषणा की थी. लेकिन, हेल्थ रिसर्च सेंटर तो दूर, यहां कोई सुविधा नहीं है.

इस मुसहरी गांव में मैं पिछले 21 साल से काम कर रही हूं. इस गांव में इंदिरा आवास
के माध्यम से मकान बनवाया गया है. इसके अलावा शौचालय बनाया गया. सरकारी
स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र आदि भी चल रहे हैं. क्लिंटन ने घोषणा की थी. मैने भी सुना
था. लेकिन, अभी तक कुछ नहीं हो सका है. (पद्मश्री सुधा वर्गीज, सामाजिक कार्यकर्ता)

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