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भागलपुर दंगा: जांच रिपोर्ट जारी, तत्कालीन पुलिस अधिकारी पर सवाल

पटना : राज्य सरकार ने शुक्रवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में भागलपुर दंगा जांच आयोग की जांच रिपोर्ट पेश कर दिया. विधानसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच गृह विभाग के प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रिपोर्ट पेश की.रिपोर्ट में भागलपुर के तत्कालीन ग्रामीण एसपी शीलवर्धन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की […]

पटना : राज्य सरकार ने शुक्रवार को बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में भागलपुर दंगा जांच आयोग की जांच रिपोर्ट पेश कर दिया. विधानसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बीच गृह विभाग के प्रभारी मंत्री विजय कुमार चौधरी ने रिपोर्ट पेश की.रिपोर्ट में भागलपुर के तत्कालीन ग्रामीण एसपी शीलवर्धन सिंह के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है. वर्तमान में ये केंद्र सरकार के आसूचना ब्यूरो में पदस्थापित हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिखा है.
रिपोर्ट पेश करने के बाद प्रभारी मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार कार्रवाई भी कर चुकी है. सरकार किसी चीज को न छिपाना चाहती है और नहीं किसी को बचाना चाहती है. जो रिपोर्ट आयी है, उसमें साफ-साफ बात बात लिखी गयी है. अब पूरी रिपोर्ट सदन पटल पर रखी जा चुकी है. उसमें हर बात का उल्लेख किया गया है. न्यायमूर्ति एनएन सिंह जांच आयोग ने 28 फरवरी, 2015 को राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी.
बाद में सरकार ने निर्णय लिया था कि इस रिपोर्ट को वह विधानमंडल में पेश करेगी. सरकार ने इस संबंध में एक्शन टेकेन रिपोर्ट भी जारी की है. सरकार ने दी कार्रवाई की जानकारी एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) में कहा गया है कि राज्य सरकार ने आयोग की अनुसंशा को मानते हुए दो चरणों में कार्रवाई की है.
पहले चरण में दोषपूर्ण अनुसंधान व त्रुटिपूर्ण सुपरविजन के लिए दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बिहार के पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया गया है. वर्तमान में झारखंड व केंद्र में प्रतिनियुक्त दोषी पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए गृह सचिव, झारखंड व गृह सचिव भारत सरकार को भी पत्र लिखा गया है.
सरकार ने आयोग की चार अन्य अनुसंशाओं को स्वीकार करते हुए दंगापीड़ितों द्वारा दबाव में आकर अपनी संपत्तियों को कम कीमत में बेचने की शिकायतों को दूर करने व भविष्य में इस तरह की सांप्रदायिक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए आयोग की अनुशंसाओं को क्रि यान्वित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है. इसमें पुलिस महानिदेशक, गृह विभाग के प्रधान सचिव, विधि विभाग व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य बनाया गया है.
यह समिति आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार को कार्ययोजना प्रस्तावित करेगी. एटीआर में कहा गया है कि भागलपुर सांप्रदायिक दंगा 1989-90 की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र को पत्र भेजा गया है. इसमें न्यायिक जांच रिपोर्ट से प्राप्त जांच प्रतिवेदन की अनुशंसाओं पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी है.
आयोग द्वारा चिह्न्ति या दोषी पाये गये अनुसंधान / पर्यवेक्षण पदाधिकारियों में से भारतीय पुलिस सेवा के पदाधिकारी शीलवर्धन सिंह, जो वर्तमान में केंद्रीय आसूचना ब्यूरों में पदस्थापित है. आयोग की अनुशंसा के आलोग में उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई किया जाना अपेक्षित है.
जस्टिस एनएन सिंह आयोग की क्या थी जिम्मेवारियां 26 वर्ष पूर्व हुए भागलपुर में हुए सांप्रदायिक दंगा की जांच के लिए गठित न्यायमूर्ति एनएन सिंह की पार्ट-दो रिपोर्ट को विधानमंडल के दोनो सदनों में रखा गया. आयोग को जांच के लिए छह बिंदु निर्धारित किये गये थे. इनमें भागलपुर दंगा 1989-90 से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजित करनेवाली एजेंसियों द्वारा अपने दायित्वों के निर्वहन व कार्यकलापों की जांच करना.
साथ ही उन कारणों व परिस्थितियों का पता लगाना, जिसके तहत अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों द्वारा अज्ञात कारणों से अपर्याप्त प्रमाण एकित्रत किये गये. इनमें सूत्रहीन तथ्यों के दोषपूर्ण पेश कर अंतरिम रिपोर्ट दाखिल किया जाना, अभिलेखों की समीक्षा कर ऐसे दोषी पाये गये पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ कर्तव्यपालन में त्रुटि, निष्क्रियता व पक्षपात करने के आरोप का गठन करना प्रमुख था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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