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जानें अर्थशास्त्रियों की नजर में बजट, बिहार के है कितना अनुकूल
बिहार को केंद्रीय बजट में कुछ खास नहीं मिला, लेकिन अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय बजट को बिहार के अनुकूल बताया है. राष्ट्रीय स्तर की जो भी योजनाएं लागू होंगी, उनका लाभ प्रदेश को भी मिलेगा. शिक्षा, पर्यटन, खेती-किसानी के क्षेत्र में राज्य को केंद्र की विशेष मदद की दरकार थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बावजूद […]
बिहार को केंद्रीय बजट में कुछ खास नहीं मिला, लेकिन अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय बजट को बिहार के अनुकूल बताया है. राष्ट्रीय स्तर की जो भी योजनाएं लागू होंगी, उनका लाभ प्रदेश को भी मिलेगा. शिक्षा, पर्यटन, खेती-किसानी के क्षेत्र में राज्य को केंद्र की विशेष मदद की दरकार थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके बावजूद अर्थशास्त्र के विद्वानों ने कहा है कि राज्य को लाभ होगा.
बिहार को स्पेशिफिक कुछ नहीं मिला: बरना गांगुली
बरना गांगुली, लेखिका, आद्री की आर्थिक मामलों की जानकार हैं.केंद्रीय बजट में बिहार के हिस्से में स्पेशिफिक कुछ नहीं आया. गुजरात जैसे विकसित राज्य को भी केंद्र सरकार ने सौगात दी है. गुजरात के अलावा यूपी, तमिलनाडु, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर और झारखंड के लिए भी केंद्रीय बजट में कुछ- न- कुछ घोषणा की गयी, लेेकिन केंद्रीय बजट में बिहार शब्द का एक बार भी उल्लेख नहीं हुआ.
इससे राज्य को निराशा हाथ लगी है. पर्यटन के क्षेत्र में केंद्रीय बजट में बिहार को सपोर्ट मिलने की उम्मीद थी. ककोलत व बलिराजगढ़ जैसे पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार घोषणा कर सकती थी, लेकिन इसमें भी बिहार को निराशा हाथ लगी हैैैै. एक भी नयी ट्रेन नहीं, एक भी उच्चस्तरीय इंस्टीट्यूट नहीं मिला. ओवर आॅल राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाये तो बजट लोगोें के उम्मीद अनुरूप कहा जा सकता है. आॅनलाइन परीक्षा के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का केंद्र कमोवेश सभी जिलों में खोलने की बात कही गयी है. इसका लाभ बिहार को भी मिलेगा.
अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कृषि सेक्टर, किसान और ग्रामीण इकोनोमी को उबारने के उपाय किये गये हैं. देश के सौ चुनिंदा जिले में पानी बचाव की घोषणा की गयी है, इसका लाभ बिहार को भी मिल सकता है. स्वयं सहायता समूह और वेयर हाउजिंग के क्षेत्र में समर्थन की बात कही गयी है. यह अच्छी पहल है. इसमेें बड़े पैमाने पर महिलाओं को लाभ होगा. दूध के उत्पादन बढ़ाने की भी बात कही गयी है, इससे बिहार को लाभ होगा.राजकाेषीय घाटे को पाटने के लिए वित्तीय प्रबंधन के उपाय की घोषणा की गयी है. इससे सरकार को लाभ होगा.
कृषि विकास बढ़ने की उम्मीद नहीं
बजट में आश्वासन भरपूर
प्रो डीएम दिवाकर
संसद में पेश केंद्रीय बजट 2020-21 को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रिया मिल रही है. आर्थिक समीक्षा में जो चुनौतियां दिखायी गयी है जिसमें घटते हुए विकास दर, बेरोजगारी या मूल्य वृद्धि के मुद्दों पर इस बजट को केंद्रित होना चाहिए था. बजट में जो 16 सूत्री फाॅर्मूला दिया है, जिनमें सोलर पंप, धन लक्ष्मी, किसान रेल, हॉर्टिकल्चर के बढ़ावा की बात, हर जिला में अस्पताल, ओडीएफ, लोकल वाटर रिसोर्स, वर्ल्ड क्लास एजुकेशन की बात की गयी है.
बजट में इलेक्ट्रिफिकेशन में स्मार्ट मीटर की बात की गयी है, ट्रांसपोर्ट को बेहतर करने के लिए निवेश , करदाता के बीच विश्वास पैदा करने , रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की बात की गयी है. साथ ही बैंकिंग में सुधार के लिए पहले साल 10 बैंकों को मर्ज कर चार बनाया गया. इस बजट में उसे बेहतर करने की बात की है.
जब इस बजट को समझने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि पहले कृषि सिंचाई योजना बनायी गयी थी. उसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुपात में राशि आवंटित नहीं की गयी. किसान रेल चलाने की बात कही गयी है. इसमें किसान रेफ्रिजेरेटर में अपना सामान ले जायेंगे. इसे पीपीपी मोड में चलाया जायेगा. पहले रेल बजट अलग होता था.
अब रेल भी पीपीपी मोड में चलायी जायेगी. इसकी शुरुआत पिछले साल हो गयी थी. 50 रेलवे स्टेशनों और 150 रेल लाइन प्राइवेट को दे दिया है. अब कृषि उत्पाद पीपीपी मोड में ढोया जायेगा. भारत में छोटे और मंझोले किसान अधिक हैं. इससे उनको लाभ नहीं मिलनेवाला है. कृषि की विकास दर जो अभी 2.6 पर अटकी हुई है उसको बढ़ने का कोई अंदाजा इस बजट में नहीं दिख रहा है. उद्योग का विकास निगेटिव हो गया है. काॅरपोर्ट को फायदा दिया गया है.
कंपनी डिविडेंट फंड में छूट दे दी गयी है. अब टैक्स शेयर होल्डर को देना होगा. कंपनी के पक्ष में निर्णय हुआ. किसानों के उपज पर समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना की बात कही पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई काम नहीं किया गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की संभावना कम है. रोजगार के क्षेत्र में एक नया कदम उठाया गया है. इसमें नन गजटेड पोस्ट के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाने की बात की है. पिछले साल लैटरल इंट्री का प्रावधान किया. इससे कॉरपोरेट के लिए ज्वाइंट सेकरेटरी रखने की बात की. यूपीएससी व स्टाफ सेलेक्शन को खत्म करके, रेलवे बोर्ड को खत्म करके, बैंकिंग बोर्ड को खत्म करके एक नयी एजेंसी बनाने की घोषणा की गयी है.
बिहार के लिए लाभकारी है बजट: अमित बक्शी
अमित बक्शी, अर्थशास्त्री
केंद्र सरकार के वर्ष 2020-21 के बजट में बिहार के लिए अलग से कुछ नहीं दिया गया है. इसके बावजूद अर्थशास्त्रियों की राय में यह बजट राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों के लिए लाभकारी माना जा रहा है. अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सभी राज्यों को बाजार से 0.5 फीसदी अतिरिक्त ऋण लेने की सुविधा दी गयी है. इससे राज्यों में निवेश बढ़ेगा. अब तक राज्यों को उनकी जीडीपी के अधिकतम तीन फीसदी तक ही बाजार से ऋण लेने की सुविधा दी गयी थी. ग्रामीण अर्थव्यवस्था और लाइफ स्टाइल को सुधारने के लिए इस बजट में व्यापक प्रावधान किये गये हैं. इसका फायदा बिहार के ग्रामीण इलाकों के लोगों को भी होगा.
फसलों के लिए पारंपरिक खादों को बढ़ावा दिया जायेगा. ऊर्जादाता योजना में किसानों की बंजर जमीनों का उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए होगा. वहीं किसानों के पंप सेटों को सौर ऊर्जा से बिजली देने से फसल उत्पादन लागत कम होगी. प्रत्येक जिला में निर्यात केंद्र विकसित किये जायेंगे. इससे स्थानीय स्तर पर उत्पादित वस्तुओं को बेहतर बाजार मिल सकेगा. इससे रोजगार के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था सुधरेगी.
बजट में उल्लेख किये गये अन्नदाता और धनलक्ष्मी योजना के तहत जनवितरण प्रणाली की दुकानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ायी जायेगी. साथ ही कोल्ड स्टोरेज और वेयर हाउस खोलने में भी महिलाओं की स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जायेगी. इसे महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बेहतर कदम बताया गया है.नॉन गजेटेड पोस्ट के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन किया जायेगा. इससे युवाओं को साधारण रोजगार भी हासिल करने में सहूलियत होगी.
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